यूपी के मिर्जापुर में मचा बाढ़ से हाहाकार, समय रहते सुन ली होती अधिकारियों ने तो गरीब किसान नहीं होते तबाह
करोड़ों की लागत से बना बांध टूटा क्योंकि मानकों में बरती गयी थी घोर अनियमितता, निर्माण के समय ही ग्रामीण किसानों ने अनियमितता बरतने का लगाये थे आरोप, फिर भी नही चेता था जिला नहर प्रखंड, सालभर पहले बना बांध बहा भ्रष्टाचार में....
मिर्ज़ापुर से पवन जायसवाल की ग्राउंड रिपोर्ट
जनज्वार। उत्तर प्रदेश स्थित मिर्जापुर मड़िहान तहसील क्षेत्र के पड़रिया कलां में स्थित हनुमान सागर बांध शनिवार 28 सितंबर की रात को टूट गया। इसके पहले वर्ष 2017 में 5 जुलाई की तेज बारिश में भी यह बांध टूटा था। बांध को तब नये सिरे से करोड़ों रुपये खर्च कर फिर से बनवाया गया था। भाजपा सरकार के कद्दावर नेताओं की कवायद पर हनुमान सागर और शिव सागर बांध की मरम्मत के लिए लगभग 1 करोड़ 55 लाख की धनराशि शासन से पास करायी गयी थी। इसके बाबत मीरजापुर नहर प्रखंड सिंचाई विभाग को कार्यदायी संस्था बनाकर 1 करोड़ 54 लाख की लागत से उक्त हनुमान सागर बांध को उच्चीकृत कर वर्ष 2018 के जून माह तक काम करवाया गया था।
यह भी पढ़ें : पानी में डूबा 75 फीसदी पटना, मुख्यमंत्री शिफ्ट हुए फर्स्ट फ्लोर पर तो उपमुख्यमंत्री का बंग्ला भी डूबा
ठेकेदारों की लापरवाही का शिकार हुआ हनुमान सागर बंधी पिछले साल 2018 में ही टूट गया होता, मगर संयोग ही था कि बारिस अच्छी नहीं हुई। पहले से ही कई जगहों से बंधी में दरार पड़ गयी थी, जिसे विभागीय अधिकारियों ने अनदेखा कर फिर से उसमें लीपापोती कर छोड़ दिया था। स्पिलवेल में दरार व रिसाव आ गया था, जिसकी आनन फानन में मरम्मत करायी गयी, मगर वह कामचलाऊ ही था, क्योंकि पानी का रिसाव स्लेप से बंद नहीं हुआ था।
पढ़ें पवन जायसवाल से जुड़ी खबर : मिड डे मील में नमक-रोटी परोसने की खबर ब्रेक करने वाले पत्रकार पर दर्ज हुई एफआईआर
प्रशासनिक लापरवाही के कारण डूबी हजारों जिंदगियां
अगर विभाग उसी समय जाग गया होता तो किसानों की उम्मीदों पर पानी नहीं फिरता। बारिस के पहले भी बंधी के कई हिस्से टूट चुके थे। पुनर्निर्माण का एक वर्ष भी नही बीता और 1 करोड़ 54 लाख रुपये पानी में बह गया, उसका जिम्मेदार आखिर कौन होगा, ठेकेदार या फिर नहर प्रखंड। बंधी टूटने से सैकड़ों किसानों को भारी क्षति हुई थी, उसकी भरपाई आखिर कौन करेगा। जो भी हो, मगर कुछ लोग मालामाल हुए बाकी किसानों के बारे में कौन सोच रहा साहब।
क्षेत्रीय किसान इसके लिए वर्तमान योगी सरकार को कोसते हुए आरोप लगा रहे हैं कि एक भी कार्य सही नहीं किया जा रहा। हर तरफ लूट—खसोट मची हुई है, शिकायत करने के बाद भी जांच नहीं हुई थी। अगर उसी समय जांच हुई होती तो आज किसान की फसल भी बच जाती और सरकारी धन की बंदरबांट भी नहीं हुई होती।
गरीब किसानोें और मजदूरों के कच्चे घरों के गिरने का सिलसिला जारी
मिर्जापुर के जमालपुर क्षेत्र में गुरुवार 26 सितंबर से ही रुक—रुककर हो रही बरसात के चलते भोका नाला, ओडी ड्रेन, नकोइया नाला, नौआ नाला, दिलवा बडौला ताल उफान पर रहने से दर्जनों गरीबों का आशियाना उजड़ गया और सहेवा गांव में कच्ची दीवार गिर जाने से एक अल्पसंख्यक की मौत भी हो गयी। बरसात के चलते किसानो की हजारों एकड़ फसल जलमग्न हो गयी है, जिससे किसान चिंतित हैं कि कहीं उन्हें खाने के लाले न पड जायें। इसी तरह बहुआर, मुड़हुआ, भभौरा, देवरीला, गुलौरी, गौरी, मनाई शेखानपुर, ककरही, बनौली, ढेलवासपुर सहित दर्जनो गांव की धान की फसल के साथ गांवों की बस्ती पानी से घिरी हुई है।
संबंधित खबर : बिहार में बाढ़ से अब तक 2 दर्जन की मौत, मुख्यमंत्री नीतीश बोले, ‘क्या करें कुदरत पर किसका काबू’
पानी का रुख गाँव की गलियों की तरफ बढ़ने की वजह से कच्चे मकानों के गिरने का सिलसिला शुरू हो गया है, जिसको लेकर कुछ प्रधान और प्रधान प्रतिनिधि ग्रामीणों को कच्चे मकान से बाहर रहने की सलाह दे रहे हैं। बाढ़ चौकी पर नियुक्त कर्मचारियों का अभी तक क्षेत्र मे कोई पता नहीं है, जिससे लगता है कि जिला प्रशासन और सरकार के मंसूबों पर पानी फिर रहा है।
ग्रामीणों ने खतरे को भांपते हुए चंद्रप्रभा पसही पर जाकर रेगुलेटर के तीन गेटों को खोला। उक्त रेगुलेटर में पानी खतरे के निशान से 15 सेंटीमीटर नीचे है। इस सम्बन्ध में ग्रामीण ने बताया कि सावधानी नहीं बरती गई तो निचले क्षेत्र की स्थित बद से बदर हो सकती है। रुक—रुककर हो रही बारिश से ओइनवा गांव में असरफ अली, सतीश गिरि, मुन्ना, लल्लू और छोटे बियार के कच्चे मकान गिर गये। जिनका मकान गिर गया, वो लोग पंचायत भवन में रह रहे हैं।
डवक चौकी क्षेत्र के मुरेराडीह गांव में राणा, मनोहर, पप्पू भारतीय, नन्दलाल, इलाका, हनुमान बियार का मकान धराशायी गिर गया। इन्हें प्रधान प्रतिनिधि ने माध्यमिक विद्यालय परिसर में रहने को जगह उपलब्ध करायी। इसी तरह गौरी, धारा, सहिजनी ग्राम पंचायत में दर्जनो लोगों के कच्चे मकान बारिश की भेंट चढ़ चुके हैं। मगर अभी तक जिम्मेदार लोग पीड़ित के परिजनों को कच्चे मकान में नहीं रहने की नसीहत दे रहे हैं।
रेल प्रशासन की बड़ी लापरवाही से डूबने को है मिर्जापुर का अघवार गांव
मिर्जापुर के पड़री थाना क्षेत्र के अघवार गांव का नजारा भी बाढ़ के चलते बदल चुका है। चारों तरफ पानी भरा हुआ है। आधा से अधिक गांव रेल प्रशासन की लापरवाही के कारण जलमग्न होता गया है। जब कभी भी थोड़ी सी बरसात भी होती है तो लोगों के घरों में बरसात का पानी घुसने लगता है। बिना बाढ़ के भी लोग बरसात की बाढ़ से त्रस्त रहते हैं।
पीड़ित ग्रामीण कहते हैं कि यदि रेल प्रशासन ने पानी के निकासी की कोई व्यवस्था की होती तो इस तरह की दुर्दशा ग्रामीणों की नहीं झेलती पड़ती। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी का इस तरफ ध्यान आकृष्ट कराते हुए मांग की है कि रेल प्रशासन द्वारा कराए गए नवनिर्मित रेल मार्ग से पानी की निकासी की व्यवस्था कराना अति आवश्यक है। यदि ऐसा नहीं होता है तो ग्रामीणों की कई बीघे की फसलें नष्ट होती जा रही हैं और आने वाले दिनों में भी होती रहेंगी।
(पवन जायसवाल मिर्जापुर के वही पत्रकार हैं, जिनकी 'मिड डे मिल में नमक—रोटी' खाने वाली खबर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बनी थी।)