Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

बिहार में बाढ़ से अब तक 2 दर्जन की मौत, मुख्यमंत्री नीतीश बोले, 'क्या करें कुदरत पर किसका काबू'

Prema Negi
29 Sep 2019 4:41 PM GMT
बिहार में बाढ़ से अब तक 2 दर्जन की मौत, मुख्यमंत्री नीतीश बोले, क्या करें कुदरत पर किसका काबू
x

बाढ़ प्रभावित कहते हैं पटना में 1996-97 में बाढ़ जैसे बने थे हालत और नावें चलीं थीं, मगर तब भी इतना ज्यादा पानी नहीं भरा था, इतना पानी तो कभी हम लोगों ने देखा ही नहीं...

जनज्वार। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में पिछले कई दिन से लगातार हो रही बारिश के बाद बाढ़ के हालात बने हुए हैं। बिहार में तो बाढ़ के कारण हालात बहुत खराब हैं। अब तक बाढ़ के कारण 2 दर्जन से भी ज्यादा लोग अपनी जान गंवा बैठे हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में भी मरने वालों का आंकड़ा 2 दर्जन पार करने की खबरें आ रही हैं।

सके अलावा बाढ़ ने माल की कितनी तबाही मचायी है, इसका तो अभी अंदाजा तक नहीं लगाया जा सकता। बिहार के 14 जिलों में बाढ़ के चलते भारी तबाही मच रही है, पटना भी इससे अछूता नहीं है। सोशल मीडिया पर शेयर की जा रहीं पटना शहर की तस्वीरें सरकार के इंतजामों की पोल खोल रही हैं।

पूरा बिहार जहां बाढ़ का शोक मना रहा है, वहीं मुख्यमंत्री ​नीतीश कहते हैं कि हमारी सरकार ने बाढ़ से निपटने के पुख्ता इंतजाम किये हैं। सवाल है कि अगर सरकार ने इतने ही पुख्ता इंतजाम किये हैं तो लोग आखिर मर कैसे रहे हैं। नीतीश कुमार कहते हैं, 'यह सही है कि बिहार के कई इलाकों में शनिवार 28 सितंबर से भारी बारिश जारी है और गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है, लेकिन हालात से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं और प्रशासन लोगों की मदद करने के लिए पूरी कोशिश कर रहा है।'

नीतीश यहीं पर नहीं थमते, ​बल्कि बोलते हैं कि 'बाढ़ की यह भयावह स्थिति किसी के हाथ में नहीं होती, ये आपदा प्राकृतिक है। आखिर कुदरत पर किसका काबू है। मौसम विभाग भी सुबह कुछ कहता है और दोपहर में कुछ होता है। पीने का साफ पानी मुहैया कराने के लिए भी इंतजाम किए जा रहे हैं। साथ ही बाढ़ प्रभावित इलाकों में भी कम्युनिटी किचन चलाए जा रहे हैं।"

गौरतलब है बिहार की राजधानी पटना के राजेंद्रनगर में हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से इस इलाके में इतना ज्यादा पानी जमा हो चुका है जिसकी लोग कल्पना भी नहीं कर पा रहे। बाढ़ प्रभावित कहते हैं राजेंद्रनगर में 1996-97 में बाढ़ जैसे हालत बने थे तो नावें चलीं थीं, मगर तब भी इतना ज्यादा पानी नहीं भरा था। इतना पानी तो कभी हम लोगों ने देखा ही नहीं। कुछ बुजुर्ग यह जरूर कहते हैं कि 1975 में पटना में जो बाढ़ आई थी, तब ठीक ऐसा ही नजारा था।

राजेंद्रनगर के सभी घरों के ग्राउंड फ्लोर पानी में जलमग्न हैं। गाड़ियों ने जैसे जलसमाधि ले ली है। सबसे बड़ी बात तो यह कि पटना के पंप हाउस में पानी जाने की वजह से यहां की मशीनरी भी काम नहीं कर रही है। लोग अपने घरों में कैद होकर रह गये हैं। बिजली की सप्लाई काट दी गई है और पीने के पानी की भी किल्लत हो रही है। बाढ़ में फंसे घरों के छोटे बच्चों को दूध तक मुहैया नहीं हो पा रहा है। हालांकि NDRF और SDRF की टीमें 16 नावों के जरिए लोगों को बाढ़ से निकालने का काम कर रही है, मगर जितनी ज्यादा आबादी है, उसे देखते हुए यह राहत कार्य बहुत कम है।

Next Story

विविध