Lakhimpur Kheri : FIR से 56 घंटे बाद भी अरेस्ट नहीं हुआ मंत्रीपुत्र या दिल्ली दरबार नहीं चाहता काबू से बाहर योगी फिर बने CM
Lakhimpur Kheri : गुजराती जोड़ी किसी क़ीमत पर 2022 में बाबाजी को वापस नहीं देखना चाहती भले ही बाबाजी के बग़ैर सीटें कम रह जाएं। सीटों की कमी केन्द्रीय सत्ता के डंडे और सूटकेस से पूरी कर ली जाएगी...
Lakhimpur Kheri (जनज्वार) : लखीमपुर खीरी कांड के बाद ऐसा लग रहा है कि योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की कहीं ना कहीं उनके अपने ही लोग छवि को दागदार करना चाहते हैं। उसके तमाम कारण हैं। एक तो केशव मौर्य को जब पता था कि उनके जाने से वहां बवाल हो सकता है तो फिर क्यों गए? दूसरी बात जब मंत्री का लड़का जानता था विवाद खड़ा है, फिर उसने गाड़ी चढ़ाकर शुरूआत क्यों की?
हमने इस बारे में पहले भी लिखा है कि, 2022 विधानसभा (UP Assembly Election 2022) का चुनाव नजदीक है। ऐसे में अगर भाजपाई ही बवाल करेंगे तो इसका सीधा दोष योगी आदित्यनाथ पर ही मढ़ा जाएगा। यह केशव मौर्य भी जान रहे हैं। तब ये जो कांड हुआ उसमें सीधा सा अर्थ निकल रहा की मंत्री अजय टेनी के सुपुत्र आशीष टेनी ने जानबूझकर बवाल को हवा दी है। गाड़ी चढ़ाकर मर्डर एक गहरी साजिश की तरफ इशारा करती है।
साजिश किसकी और कैसी को, कुछ बहुत समझने के लिए यह पढ़िए जो मुहम्मद फिरोज खान लिख रहे हैं। फिरोज ने लिखा की 'लखीमपुर कांड (Lakhimpur Khiri Violence) मुझे भाजपा की अंदरूनी कलह ज़्यादा लग रहा है संघ के अलावा खासतौर पर गुजराती जोड़ी अपने बाबाजी के सख्त खिलाफ है। साढ़े चार साल में कई बार बाबाजी को घेरने की कोशिश हो चुकी है, बाबाजी हाथ नहीं आ रहे, हर बार बचकर साफ निकल जाते हैं।
लखीमपुर कांड में हत्या आरोपी बनाए गए छोटे मिश्रा के पिता बड़े मिश्रा दरअसल केन्द्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा हैं उनका राज्य सरकार से कोई लेना-देना नहीं है। बहुत मुमकिन है यह कांड बाबाजी को बदनाम करने के लिए कराया गया हो। गुजराती जोड़ी किसी क़ीमत पर 2022 में बाबाजी को वापस नहीं देखना चाहती भले ही बाबाजी के बग़ैर सीटें कम रह जाएं। सीटों की कमी केन्द्रीय सत्ता के डंडे और सूटकेस से पूरी कर ली जाएगी जैसे बिहार मध्यप्रदेश में की गई थी।
अगर बाबाजी अपने खिलाफ चल रही साज़िश को समझ रहे हैं तो यक़ीनन लखीमपुर कांड के आरोपियों पर सख्त एक्शन लिया जाएगा। जोकि होता हुआ भी दिख रहा है। मुझे लगता है बाबाजी अब अपने वजूद की लड़ाई सीरियस होकर लड़ेंगे। वजूद है तो जहान है वजूद नहीं तो कुछ नहीं। चुनाव करीब आते आते भाजपा की अंदरूनी कलह सड़कों पर दिखने लगेगी, अपने यहां धौलाना विधानसभा में ऐसा अभी से दिखाई दे रहा है।
भाजपा कैडर आपस मे ही सर फोड़ने पर उतारू है। बाबाजी को अपने फ्यूचर की भी खास चिंता नहीं होनी चाहिए क्योंकि उनको दोबारा सत्ता तक पंहुचाने के लिए नए समीकरण ऑलरेडी मौजूद हैं बस वो समीकरण उन्हें हिन्दू हृदय सम्राट नहीं रहने देंगे।'
हीनियस धारा में FIR
मुकदमे लिख गये, धाराएं भी गंभीर लगी हैं। बावजूद इसके गिरफ्तारी ना होना उसी बात को दर्शाता है जो हमने कहा, या जिसे उपर स्थान दिया। क्योंकि मंत्री पुत्र आशीष मिश्रा टेनी सहित 15 से 20 लोगों पर 147 ipc जो बलवा के लिए लगती है तथा दो साल तक की कैद होती है। 148 ipc यह हथियारों के साथ बलवा करने के लिए जिसमें तीन साल तक की कैद का प्रावधान है। 149 ipc गिरोह के साथ बलवा और हिंसा में भागीदारी, इसमें भी सजा है। 179 ipc सार्वजनिक मार्ग पर लापरवाही से वाहन चलाना, एक साल तक की कैद। 338 ipc गंभीर चोट पहुंचाना, दो साल तक की कैद। 304ए ipc गैर इरादतन हत्या, दो साल तक की कैद। 302 हत्या, मृत्युदंड या आजीवन कारावास होता है। इसके अलावा आरोपियों पर साजिश करने की धारा 120 बी भी लगाई गई है, लेकिन हिरासत नहीं हुई। यह गिरफ्तारी होने न होने पर भी शायद उपर से प्रेशर हो बड़ी बात नहीं।
गिरफ्तारी पर सवाल?
तिकुनिया में किसानों की मौत के मामले में रविवार रात दो बजकर 53 मिनट पर मृतक किसान दलजिंदर सिंह के भाई दलजीत सिंह की ओर से आशीष मिश्रा उर्फ मोनू और उसके 20 अज्ञात साथियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। आरोप है कि भीड़ की शक्ल में आए हमलावरों ने लापरवाही से कार चढ़ाकर किसानों की हत्या कर दी। साथ ही हमला करके कई लोगों को गंभीर चोट भी पहुंचाई गई। इस मामले में हत्या और गैर इरादतन हत्या समेत कई गंभीर धाराओं में थाना तिकुनिया में मुकदमा दर्ज किया गया है। इनमें से कुछ धाराएं ऐसी हैं, जिनमें गिरफ्तारी का प्रावधान है और आजीवन कारावास या फांसी तक की सजा है। मगर रिपोर्ट दर्ज होने के 56 घंटे यानी बुधवार दोपहर तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं की जा सकी है।