Lakhimpur Kheri : क्या योगी आदित्यनाथ को बदनाम करने के लिए हुआ था कांड, नरसंहार के बाद कतरे जा सकते हैं केशव मौर्या के पर
विपक्ष केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी की बर्खास्तगी से कम पर समझौते के लिए तैयार नहींं।
Lakhimpur Kheri (जनज्वार) : ये तीन चेहरे लखीमपुर नरसंहार के असली जिम्मेदार हैं। जब इंटेलिजेंस ने सूचना दी कि आपके आने से कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो सकती हैं और आपका हेलीकॉप्टर जहां पर उतरेगा वहां पर धरना प्रदर्शन हो सकता है। बावजूद इसके यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या बात नही माने। मौर्या जी मिश्रा जी के साथ हेलीकाप्टर की जगह सड़क मार्ग से पहुँच गये।
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— Janjwar Media (@janjwar_com) October 5, 2021
देखिये किसानों पर मंत्री अजय मिश्र टेनी के पुत्र आशीष टेनी ने हूटर बजाकर ऐसे चढ़ाई थी जीप. @yadavakhilesh pic.twitter.com/D6mhoqjftT
दूसरी बात यह कि, केशव प्रसाद मौर्या अच्छी तरह जानते हैं कि अगर कानून व्यवस्था की स्थिति कहीं भी खराब हुई तो उसके लिए जिम्मेदार सीधे तौर पर योगी आदित्यनाथ को माना जाएगा। इस बीच केशव प्रसाद मौर्या और गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी दोनों अपने टॉप बॉस के संपर्क में थे सो उनको यह करना ही था। लेकिन यह दोनो उपर किसके संपर्क में थे वह शायद कहने या बताने की जरूरत नहीं है।
लेकिन इधर योगी महाराज भी कम शातिर नहीं हैं। उन्होंने ऐन वक्त दिमाग लगा दिया और किसानों की सारी मांगे मान ली। जिसके बाद मृतकों और घायलों को मुआवजा देने सहित आशीष टेनी पर मुकदमा दर्ज कराया गया। अब सवाल यह है कि क्या योगी जी डिप्टी सीएम केशव मौर्य पर किस प्रकार की कार्यवाही करेंगे। यह देखने वाली बात होगी।
बहरहाल यह सभी पॉलिटिकल स्टंट हैं। इस बीट एक बात तो तय है कि अब इस बड़ी घटना के बाद केशव मौर्या की 2022 चुनाव से पहले इतनी हैंसियत खतम हो ही गई है कि वह जनता के बीच आकर अपना अब से पहले कहा जाने वाला डॉयलाग दोहरा सकें, 'अबकी बार 300 पार।'
Raj at its finest from the BJP!! The son of Union minister of state Ajay Mishra mow down the farmers, 9 killed. @PMOIndia @RahulGandhi @POTUS @HRC @CNN @KamalaHarris @UNHumanRights#भाजपा_के_आतंकवादी pic.twitter.com/inmUKWvcwA
— ਦੀਪ ਸੰਧੂ Deep Sandhu (@DeepSandhu_K) October 5, 2021
उत्तर प्रदेश चुनाव 2017 में केशव मौर्या ही सीएम की कुर्सी के प्रबल दावेदार कहे जा रहे थे। लेकिन एन वक्त योगी को लाकर कुर्सी दे दी गई। केंद्रीय आलाकमान ने जैसा सोंचा था, योगी उससे भी कहीं ज्यादा आगे निकलकर बैटिंग कर गये। मौर्या इस दफा 2022 में भी कुछ ना कुछ गुल खिलाने को आतुर थे। उनकी सीम की कुर्सी पाने की लालसा खत्म नहीं हुई थी।
लेकिन अब लखीमपुर खीरी के इस कांड से केशव मौर्य बनाम योगी आदित्यनाथ की दावेदारी से लगाकर तमाम चीजों में एक बड़ा फर्क पड़ेगा। ऐसे में अगर पॉलिटिकल नाते योगी कहीं मौर्य पर भी कोई गाज ना गिरा दें तो बड़ी बात नहीं होगी। उन्हें कहना होगा की चुनाव से पहले हमारे अपने ही मोदी और शाह तक की छवि बिगाड़ना चाहते थे।