कला और हस्तकला में रुचि रखने वाले अधिक खुशमिजाज, आशावादी-जीवन के प्रति सकारात्मकता बढ़ा देती है ऐसे लोगों की उम्र
समस्याएं सबके पास आती हैं, पर सकारात्मक विचारों वाले इन समस्यायों से निराश नहीं होते और इसका हल ढूँढ़ने का प्रयास करते हैं। सकारात्मक विचारों वाले लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति भी जागरूक रहते हैं....
बेहतर स्वास्थ्य के लिए कला और हस्तकला कैसे है जरूरी, बता रहे हैं महेंद्र पाण्डेय
A new study links art and craft with overall wellness of public. आज की जटिल दुनिया में सकारात्मक विचार रखना या आशावादी होना कठिन है, क्योंकि भागदौड़ की जिन्दगी में हरेक उपभोग की वस्तु हमें अवसाद, तनाव और नकारात्मकता की ओर ले जाती है। अवसाद, तनाव और नकारात्मकता आधुनिक जीवन के सह-उत्पाद हैं, जिनसे हम लगातार जूझते हैं और भले ही इन्हें मानसिक विकार समझा जाता हो, पर इन्हीं से हमारी सामान्य स्वास्थ्य समस्याएं शुरू होती हैं।
हाल में ही वैज्ञानिकों ने बताया है कि कला और हस्तकला करने वाले लोगों का मानसिक स्वास्थ्य सामान्य लोगों की अपेक्षा बेहतर रहता है, और उनका स्वास्थ्य भी अपेक्षाकृत अच्छा रहता है। इस तरह के अध्ययन पहले भी किये जाते रहे हैं, पर पहले के अधिकतर अध्ययन मानसिक विकारों वाले मरीजों पर किये गए थे, जबकि यह नया अध्ययन सामान्य आबादी पर किया गया है।
फ्रंटियर्स इन पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार कला या हस्तकला में संलग्न लोगों में जीवन की संतुष्टि रोजगार पा लेने से भी अधिक होती है। रोजगाररत अधिकतर लोगों को कार्यालय के माहौल के अनुरूप और किसी अधिकारी के निर्देशों के अनुसार काम करना पड़ता है, जबकि कला और हस्तकला के क्षेत्र में इसे करने वाला अपनी मर्जी और कल्पना के अनुरूप करता है और इसमें किसी का दखल नहीं होता।
इस अध्ययन की मुख्य लेखिका ग्रेट ब्रिटेन के एंग्लिया रस्किन यूनिवर्सिटी की वैज्ञानिक डॉ हेलेन कीज़ के अनुसार कला और हस्तकला की परंपरा बहुत पुरानी है, हमारे समाज में प्रचलित है और लोग इसे जानते हैं। यह सस्ती है, लोकप्रिय है और बड़ी आबादी के लिए वहन करने योग्य है – लोगों को इस दिशा में प्रोत्साहित कर केवल मानसिक स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि जनस्वास्थ्य की दिशा भी बदली जा सकती है। इस अध्ययन को 16 वर्ष से अधिक उम्र के 7000 प्रतिभागियों पर किया गया था, जिसमें से 37 प्रतिशत शौकिया तौर पर कला और हस्तकला से जुड़े थे। कला में चित्रकारी, चीनीमिटटी की कलाकृति, फोटोग्राफी इत्यादि शामिल थे। कला या हस्तकला में रुचि रखने वाले लोग अधिक खुशमिजाज, आशावादी, सकारात्मक विचार वाले, संतुष्ट और जीवन को सार्थक समझने वाले थे।
वर्ष 2019 में प्रकाशित एक अध्ययन से स्पष्ट होता है कि सकारात्मक विचार आपकी उम्र बढ़ा सकते हैं। यह अध्ययन प्रोसीडिंग्स ऑफ़ नेशनल अकादमी ऑफ़ साइंसेज नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया था। इस अध्ययन को इस तरीके का सबसे बड़ा अध्ययन कहा गया था, क्योंकि इसमें हजारों लोगों को शामिल किया गया है और लगभग तीन दशक के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है। इसमें बताया गया है कि आशावादी लोगों की उम्र निराशावादी लोगों की अपेक्षा 15 प्रतिशत अधिक होती है।
जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में पहले किये गए दो अध्ययन के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है। इसमें से एक अध्ययन 69744 महिलाओं पर किया गया था, जबकि दूसरा 1429 पुरुषों पर। दोनों अध्ययनों में लोगों से एक प्रश्नावली के माध्यम से पूछा गया था कि वे अपने भविष्य के बारे में क्या सोचते हैं? फिर उनके जवाबों के आधार पर उन्हें सकारात्मक सोच रखने वाले आशावादी या नकारात्मक सोच रखने वाले निराशावादी के वर्गों में बांटा गया। इस अध्ययन के अनुसार आशावादी महिलाओं की उम्र निराशावादी महिलाओं की अपेक्षा 14.9 प्रतिशत तक अधिक होती है, जबकि आशावादी पुरुषों की उम्र 10.9 प्रतिशत तक अधिक रहती है।
दोनों अध्ययन में लोगों के स्वास्थ्य की स्थिति, उनका व्यवहार, खान-पान, व्यायाम करने की आदतें और इसी प्रकार के दूसरे क्षेत्रीय संतुलन का भी विश्लेषण किया गया। निराशावादी महिलाओं की तुलना में आशावादी महिलाओं के लिए 1.5 गुना अधिक संभावना रहती है कि वे 85 वर्ष की उम्र पार कर जाएँ, पुरुषों के वर्ग में यह संभावना 1.7 गुना अधिक रहती है।
आजकल आशावाद से सम्बंधित बहुत सारे ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किये जाते हैं और यह दुनिया में एक बड़ा और महंगा कारोबार बन गया है। कुछ लोगों को इसका फायदा भी होता है, पर महंगा होने के कारण ऐसे कार्यक्रम सामान्य आबादी से दूर हैं। सामान्य आबादी को यही परिणाम कला या हस्तकला से मिल सकते हैं।
अध्ययन के अनुसार सकारात्मक विचारों वाले लोगों की अधिक उम्र का राज उनकी सोच है। समस्याएं सबके पास आती हैं, पर सकारात्मक विचारों वाले इन समस्यायों से निराश नहीं होते और इसका हल ढूँढ़ने का प्रयास करते हैं। सकारात्मक विचारों वाले लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति भी जागरूक रहते है।
संदर्भ:
1. https://www.frontiersin.org/journals/public-health/articles/10.3389/fpubh.2024.1417997/full
2. https://www.pnas.org/doi/full/10.1073/pnas.1900712116