शराब के नशे में धुत रईसजादों ने विकलांग रिक्शेवाले पर चढ़ाई तेज रफ्तार कार, मदद करने आगे आये लोगों को भी पीटा

देर रात घायल विकलांग को नेहरू नगर के अस्पताल में लेकर पहुंचे तो वहां पर भर्ती करने से मना कर दिया, उसके बाद घायल को एमएमजी जिला अस्पताल में भेजा गया, जहां पर चिकित्सकों ने कहा कि जब तक पेपर नहीं आ जाते हैं तब तक भर्ती नहीं किया जा सकता...

Update: 2021-02-06 07:42 GMT

जनज्वार, गाजियाबाद। यूपी के गाजियाबाद में शुक्रवार 5 फरवरी की रात कुछ रईसजादों ने कविनगर जैन मंदिर के सामने एक दिव्यांग पर कार चढ़ा दी। हादसा इतना जबरदस्त था कि दिव्यांग अपने रिक्शे सहित सड़क से लगभग 10 फुट दूर जा गिरा और कार करीब 50 मीटर दूर जाकर पलट गई। इतना ही नहीं हादसे के बाद मदद को आए लोगों को रईसजादों के दोस्तों ने दौड़ा-दौड़ाकर पीटा।

शुक्रवार 5 फरवरी की रात लगभग 10 बजे लग्जरी कार सवार कविनगर निवासी युवक अपने 3 दोस्तों के साथ नासिरपुर फाटक की तरफ से नया रेलवे स्टेशन की तरफ जा रहा था। कार की रफ्तार बहुत तेज थी। जैन मंदिर के सामने घर लौट रहे अवंतिका सेक्टर 47 में रहने वाले विकलांग रिक्शेवाले नीरज कुमार पर पीछे से कार चढ़ा दी। इस हादसे में विकलांग नीरज का रिक्शा सड़क से 10 फुट दूर रेलवे लाइन की दीवार से जा टकराया।

मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि कार सवार सौ किलोमीटर प्रतिघंटा से भी ज्यादा की रफ्तार में कार चला रहे थे। रिक्शा को टक्कर मारने के बाद कार डिवाइडर से जा टकराई। कार करीब 50 मीटर दूर बीच सड़क पर जाकर पलट गई। कार पलटने की आवाज पर सुनकर आसपास के लोग मदद के लिए दौड़े। कुछ लोगों ने कार सवार युवकों को बाहर निकाला तो कुछ ने विकलांग को उठाकर एक तरफ लिटाया।

लोग मदद के लिए पुलिस और एंबुलेंस को फोन करते रहे, लेकिन घटना के करीब 25 मिनट बाद भी डायल 112 की गाड़ी पहुंची। वहीं संबंधित थाना क्षेत्र की पुलिस को पहुंचने में करीब 40 मिनट लग गए। बताया जा रहा है कि कार से शराब की कुछ खाली बोतलें और गिलास भी मिले हैं। यहां तक की बीच सड़क पर मदद करने वाले लोगों को रईसजादों के दोस्तों ने दौड़ाकर पीटा, लेकिन पुलिस का कोई अता पता नहीं था।

मदद करने वाले लोगों ने कार सवार युवकों से पूछा कि विकलांग का इलाज कौन कराएगा। इस बीच एक-एक करके कार सवार तीन युवक मदद के लिए पहुंची दोस्त की लग्जरी कार में जाकर बैठ गए, जबकि कुछ युवक मदद करने वालों से बहस करने लगे। रईसजादों ने अपने दोस्तों को फोन कर बुला लिया। थोड़ी देर में ही उनके दोस्त लग्जरी गाड़ियों में पहुंच गए और सभी वहां से निकल गए।

हादसे के वक्त कविनगर रोड से तमाम लोग गाड़ियों से गुजरते रहे। मदद को दौड़े लोगों ने कार सवार लोगों को हाथ देकर रोका और फिर हाथ जोड़कर अनुरोध भी किया कि किसी भी तरह से विकलांग को अस्पताल तक पहुंचा दो, लेकिन कोई नहीं रुका। एक कार चालक ने कार रोकी, लेकिन जैसे ही पता चला कि दिव्यांग को अस्पताल पहुंचाना है तो अपनी गाड़ी का सेंट्रल लॉक ही नहीं खोला और यह कहकर मनाकर दिया कि मुझे एक इमरजेंसी काम है।

इसी बीच एक ई रिक्शा चालक को रोका, जिस पर पहले से सामान लदा था। लोगों ने उसके हाथ जोड़े तो वह अपने ई-रिक्शा से ले जाने को राजी हुआ। देर रात घायल विकलांग को नेहरू नगर के अस्पताल में लेकर पहुंचे तो वहां पर भर्ती करने से मना कर दिया। शायद अस्पताल वालों को भी लगा होगा कि गरीब विकलांग रिक्शेवाले के इलाज का पैसा कौन देगा। उसके बाद घायल को एमएमजी जिला अस्पताल में भेजा गया, जहां पर चिकित्सकों ने कहा कि जब तक पेपर नहीं आ जाते हैं तब तक भर्ती नहीं किया जा सकता।

बाद में विकलांग रिक्शेवाले को नेहरूनगर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है।

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