चेतावनी लेवल वाला FOPL उपभोक्ताओं के लिए हो सकता है सबसे कारगर, स्वास्थ्य मंत्री ने दिलाया भरोसा
हमारे देश में जहां कुपोषण के शिकार लोगों की संख्या बहुत अधिक है, साथ ही आज के समय में पैकेट बंद खाद्य पदार्थ के अत्यधिक चलन के चलते लोग गैरसंचारी बीमारी से ग्रसित होते जा रहे हैं, इसीलिए जनमानस को डिब्बाबंद खाने की पौष्टिकता के बारे में एफओपीएल विनियम के मार्फत पूर्ण जानकारी मिलनी चाहिए....
विधायक आशुतोष सिन्हा द्वारा हाल में बहुप्रतीक्षित स्टार रेटिंग फूड लेबल आधारित एफओपीएल विनियम को लेकर स्वास्थ्य मंत्री भारत सरकार डॉक्टर मनसुख मंडाविया को पत्र लिखते हुए पैरवी की गयी कि अपने निगरानी में चेतावनी वाला फ्रंट ऑफ पैक लैबलिंग लाने की कृपा करें, जिससे उपभोक्ताओं को स्वस्थ विकल्प चुनने के अधिकार मिल सके। साथ ही इस दिशा में जनमानस के पक्ष में कदम उठाए जाएं।
पत्रांक 11 ईवीएनएस/1221 का संदर्भ लेते हुए मनसुख मंडारिया ने कहा कि मानवधिकार जन निगरानी समिति के सुझाव नोट कर लिए गए हैं और उस पर प्रारूप परामर्श टिप्पणियों की समीक्षा के समय समुचित रूप से विचार किया जाएगा।
मानवाधिकार जननिगरानी समिति के संयोजक डॉ. लेनिन रघुवंशी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि कहा कि "चेतावनी लेवल वाला एफओपीएल सबसे कारगर साबित हो सकता है, जो उपभोक्ता को स्वस्थ विकल्प चुनने में मदद करता है, की डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ में कितना चीनी, वसा एवं नमक की मात्रा है, जिससे गंभीर बीमारी खासकर गैर संचारी रोगों को रोकने में मदद मिल पाएगी।'
हमारे देश में जहां कुपोषण के शिकार लोगों की संख्या बहुत अधिक है, साथ ही आज के समय में पैकेट बंद खाद्य पदार्थ के अत्यधिक चलन के चलते लोग गैरसंचारी बीमारी से ग्रसित होते जा रहे हैं, इसीलिए जनमानस को डिब्बाबंद खाने की पौष्टिकता के बारे में एफओपीएल विनियम के मार्फत पूर्ण जानकारी मिलनी चाहिए।
आगे उन्होंने नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के परिणामों का हवाला देते हुए कहा कि भारत जल्द ही मधुमेह और बच्चों में मोटापे की वैश्विक राजधानी बनने का वांछनीय उपलब्धि हासिल करने वाला है, सरकार को अविलंब पैकेट फूड पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार वार्निंग लेवल लाना चाहिए।
मानवधिकार जन निगरानी समिति ने जनमानस को ध्यान में रखते हुए इस मसौदे को और मजबूत बनाने के लिए पत्र में सुझाव दिए हैं कि रेगुलेशन में फ्रंट ऑफ पैक न्यूट्रीशनल लैबलिंग (एफओपीएनएल) में स्पष्ट तौर पर वसा, चीनी, एवं नमक की अधिकता को लेकर आसान तरीके से समझ में आने वाली चेतावनी जारी करें। साथ ही साथ खाद्य पदार्थ बनाने वाले कंपनियों को 4 साल के बजाय 1 साल का समय दे, ताकि वह जल्द से जल्द जनमानस के हक में काम कर सकें.