Janjwar Impact : 'जनज्वार' ने छात्तर गांव मुद्दा उठाया तो प्रशासन आया हरकत में, 23 के खिलाफ मामला दर्ज

Janjwar Impact : जींद जिले के अंतर्गत आने वाले छात्तर गांव की दलित बस्ती में रहने वाले दलितों का जाटों द्वारा सामाजिक बहिष्कार कर दबाव बनाया गया।

Update: 2021-10-15 11:52 GMT

जनज्वार ब्यूरो। हरियाणा के जींद जिले के गांव छात्तर में जाटों के दलितों के बहिष्कार के मामले को 'जनज्वार' ने प्रमुखता से उठाया। मामला प्रकाश में आते ही पुलिस ने दलितों को बहिष्कार (Dalits Boycott) करने के आरोप में 23 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 23 लोगों के खिलाफ एट्रोसिटी सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया हैं। डीएसपी जितेंद्र कुमार ने बताया कि 23 लोगों पर सामाजिक बहिष्कार का मामला दर्ज किया जा चुका है।

जींद जिले के अंतर्गत आने वाले छात्तर गांव की दलित बस्ती में रहने वाले दलितों का जाटों द्वारा सामाजिक बहिष्कार कर दबाव बनाया गया। दलित बस्ती का बहिष्कार इतना कि गांव से बाहर जाने-आने के लिए वाहनों में बैठने पर भी रोक लगा दी, खाने-पीने की चीजें मिलना मुश्किल हो गया।

वजह इतनी कि दलित समाज के युवक गुरमीत ने जाट समाज (Jatt Community) के एक युवक के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज करवा दिया, क्योंकि जाट समुदाय से संबंध रखने वाले युवक पर आरोप है कि दलित समाज के युवक गुरमीत के साथ मारपीट कर जातिसूचक शब्द कहे।

जाट समुदाय के लोग गुरमीत व बस्ती के लोगों पर केस वापस लेने का दबाव बना रहे थे, लेकिन शिकायतकर्ता दबाव के आगे नहीं झुका और केस वापस नहीं लिया। जिसे दंबंग समुदाय से संबंध रखने वाले लोगों ने प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया। नतीजा जाट समुदाय के लोगों ने गांव में पंचायत कर दलित बस्ती का सामाजिक बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया, हुक्का पानी बंद कर दिया।

26 सितम्बर से दलित बस्ती के लोग सामाजिक बहिष्कार (Social Boycott) की पीड़ा झेल रहे हैं, पीडि़त बस्ती के लोग रामफल, लहरी, सतपाल, बलबीर, कर्मबीर, रवि, प्रवीन कुमार, राहुल, विजय ने बताया कि सामाजिक बहिष्कार क्यों? उनका क्या कसूर हैं? पीडि़त कानूनी लड़ाई लड़ रहा हैं। सामाजिक बहिष्कार के बारे में अधिकारियों को अवगत कराया गया, लेकिन सामाजिक बहिष्कार की बात को मानने से तैयार नहीं थे।

स्थानीय मीडिया में दलितों की आवाज को उठाने से बच रहा था। इसी बीच 'जनज्वार' को मामले का पता चला। 'जनज्वार' टीम ने मामले को लेकर गांव से ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की। 'जनज्वार' की रिपोर्ट के बाद दलित कांग्रेस ने मामला उठाया। इसके बाद बहुजन समाज पार्टी समेत सामाजिक संगठनों ने भी मामले को उठाया। सामाजिक संगठन नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट आर्गेनाइजेशन, छात्र एकता मंच, प्रोग्रेसिव स्टूडेंट फ्रंट, क्रांतिकारी युवा संगठन, मजदूर,वकील, पत्रकारों ने गांव का दौरा कर पीड़ितों के पक्ष में आवाज उठाई।

बसपा उचाना विधानसभा महासचिव राजेश करसिन्धु, इंचार्ज बसपा यूनिट जींद डॉ. अनिल रंगा ने कहा कि उनकी पार्टी पीड़ित परिवारों के साथ खड़ी है। गांव के दोनों पक्षों के बीच भाईचारा बनाने का प्रयास किया जाएगा। मामले में जो वास्तविक आरोपी हैं, उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही हो।

डॉ. अनिल रंगा ने बताया कि गांव के पूरे घटनाक्रम के बारे में बसपा प्रदेश अध्यक्ष को अवगत कराया गया हैं। पार्टी द्वारा मामले पर नजर रखी जा रही हैं। बसपा यूनिट जींद इंचार्ज अनिल रंगा ने बताया कि गांव में बुद्धिजीवियों व अन्य की सहायता से पीड़ित परिवारों तक राशन पहुंचाया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि यह अकेले छात्तर गांव (Chattar Village) के दलितों की लड़ाई नहीं है, यह पूरे समाज की लड़ाई है। हम सब मिल कर उनके साथ खड़े हैं। पीड़ितों की हर संभव मदद की जाएगी। उन्होंने बताया कि पीड़ितों के समर्थन में जिस तरह से 'जनज्वार' ने आवाज उठाई है,इससे यह मामला देश की राजधानी में उठा। तब जाकर पीड़ितों की ओर पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने ध्यान दिया है।

इधर लोगों के समर्थन के बाद गांव के दलितों को भी हिम्मत मिली है। उन्होंने कहा कि अब वह अपना हक लेकर ही रहेंगे। इसके लिए उन्हें जितनी चाहे दिक्कत आ जाए। उन्होंने यह भी बताया कि अपने सम्मान के लिए लड़ना उनका हक है। उन्होंने कोई गलती नहीं की है। वह अपना हक मांग रहे हैं। लेकिन जाट समुदाय को यह बात पसंद नहीं आ रही है। इस वजह से उन्हें दबाने की कोशिश की गई है।

इधर डीएसपी जितेंद्र सिंह ने बताया कि मामले की जांच चल रही है। गांव में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। आरोपियों के खिलाफ सबूत जुटाए जा रहे हैं। एक बार तथ्य मिल जाए, इसके बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि गांव में अभी शांति बनी हुई है।

पीड़ित पक्ष ने पुलिस और प्रशासन की कार्यवाही पर असंतोष जताया है। उनका कहना है कि एक तो पुलिस ने पहले ही कार्यवाही में इतनी देरी लगाई। अब भी आरोपियों को पूरा मौका दिया जा रहा है कि वह अपने पक्ष में हालात को बना लें। पुलिस को चाहिए कि वह तुरंत ही आरोपियों को गिरफ्तार करें। इस दिशा में अभी तक पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाया है।

गांव के दलित इस बात से भी डर रहे हैं कि अब यदि उचित कार्यवाही न हुई तो उनका गांव में रहना भी मुश्किल हो सकता है। क्योंकि एक दलित के मामला दर्ज कराने पर तो पूरे दलितों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया। अब तो गांव के 23 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हो गया तो सवर्ण समुदाय तिलमिलाया हुआ है। इस वजह से वह डरे हुए हैं। उनकी यह भी मांग है कि पुलिस प्रशासन सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करें। जिससे उनकी जान माल की सुरक्षा हो सके।

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