केरल की पहली ट्रांसजेंडर महिला डॉ. वीएस प्रिया, समाज के डर से 30 साल तक छुपाई अपनी पहचान

डॉक्टर प्रिया ने 30 साल तक एक पुरुष की तरह दिखने के लिए कड़ी मेहनत की थी, कहती हैं मेरे चलने के तरीके से लेकर पुरुषों की तरह कपड़े पहनने में सजग रहती थी कि गलती से भी न हो पूरी पहचान उजागर...

Update: 2021-05-17 17:21 GMT

जनज्वार। डॉ. वीएस प्रिया केरल की पहली ट्रांसजेंडर डॉक्टर हैं, जिनका जीवन संघर्षों, संभावनाओं और उम्मीदों से मिलकर बना है। वह​ करोड़ों लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं। 30 वर्षों तक उन्होंने समाज में अपनी पहचान को छुपा कर रखा और कठिन परिश्रम कर एक डॉक्टर बनीं। डॉक्टर बनने के बाद डॉ. जीनू शशिधरन ने अपने शरीर की सच्चाई को सामने लाने का फ़ैसला किया। इसके बाद उन्होंने सर्जरी कराई और सर्ज़री के बाद से वे अब डॉ. वीएस प्रिया हैं।

अपने नये अभियान #Makeitpossible के माध्यम से एरियल इंडिया डॉ. वीएस प्रिया की कहानी को एक फिल्म के रूप में लेकर आ रहा है। एरियल इंडिया कंपनी के अधिकारी कहते हैं, डॉक्टर प्रिया की कहानी साहस, दृढ़ता और लचीलेपन की कहानी है, जो हमें बताती है कि परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो, साहस व हिम्मत से हम सबकुछ संभव बना सकते हैं।

गौरतलब है कि डॉ. बीएस प्रिया केरल की पहली आयुर्वेदिक डॉक्टर है। जन्म के समय उनकी पहचान एक लड़के के रूप में हुई थी, लेकिन बचपन के दौरान उन्हें अपनी सेक्सुअलि​टी के बारे में आभास होने लगा और उन्हें लगने लगा कि पुरुष शरीर में उनके भीतर एक स्त्री रहती है।

डर और सामाजिक बंदिशों के कारण वह अपनी समस्या और सच को कभी भी माता-पिता के साथ साझा नहीं कर पायीं, लेकिन वह जो महसूस करती थी उसे अपनी डायरी पर लिखा करती थी। 1 दिन उनकी डायरी उनके माता-पिता के हाथ में आ गई। डायरी को पढ़ने के बाद उनके पिता को लगा कि उनके बेटे का मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ गया है। वे अपने बेटे को हॉस्पिटल में एक मनोचिकित्सक के पास ले गए, जहाँ मनोचिकित्सक ने बताया कि उन्हें कोई मानसिक परेशानी नहीं है।

डॉ प्रिया बताती हैं, जब वह 15 वर्ष की थीं तब उनको यह बात समझ में आ गई थी कि वह अपनी असली पहचान समाज में कभी उजागर नहीं कर पायेंगी। वह समझने लगी थी कि हमारे समाज में ट्रांसजेंडर के साथ किस तरह व्यवहार किया जाता है, उनका उपहास उड़ाया जाता है और उन्हें तुच्छ नजरों से देखा जाता है।

अपने पूरे स्कूली जीवन में डॉ प्रिया ने अपनी पहचान को कभी भी उजागर नहीं होने दिया। उस समय डॉक्टर प्रिया ने अपनी असली पहचान (एक महिला) के रूप में जीने के लिए किसी दूसरी जगह पर जाकर रहने के बारे में सोचा, लेकिन अपने माता-पिता से बहुत ज्यादा प्यार करने के कारण वे ऐसा नहीं कर सकीं।

डॉ प्रिया के माता-पिता नर्स थे, इसलिए वे चाहते थे कि उनके बच्चे डॉक्टर बने। हालांकि डॉ प्रिया एक टीचर बनना चाहती थी, लेकिन अपने माता-पिता की इच्छा के अनुरूप उन्होंने मेडिकल लाइन में जाने का फैसला किया। 2013 में डॉक्टर प्रिया को वैद्यरत्नम आयुर्वेद कॉलेज ओल्लूर त्रिसूर में प्रवेश मिला, यहां उन्होंने बीएएमएस की पढ़ाई एक पुरुष के रूप में रहकर ही पूरी की थी। इसके बाद शादी के सवालों से बचने के लिए उन्होंने मंगलुरू में एमडी डॉक्टर ऑफ़ मेडिसिन की पढ़ाई शुरू की।

एमडी का कोर्स पूरा करने के बाद डॉक्टर प्रिया को राजकीय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज त्रिपुनिथुरा व राजकीय मेडिकल कॉलेज कन्नूर में गेस्ट लेक्चरर के रूप में काम करने का मौका मिला।

डॉक्टर प्रिया कहती हैं, हर समय उस रूप में रहना मुश्किल होता है जा वाकई हम होते नहीं हैं। इस दौरान डॉ. प्रिया ने एक पुरुष की तरह दिखने के लिए कड़ी मेहनत की थी। वे कहती हैं, मेरे चलने के तरीके से लेकर पुरुषों की तरह कपड़े पहनना में अनचाहे और समाज के डर से करती थी। हमेशा डर बना रहता था कि कहीं मेरी असली पहचान उजागर ना हो जाये।

वर्ष 2018 में डॉक्टर प्रिया ने सीताराम आयुर्वेद अस्पताल त्रिसूर में डॉक्टर के रूप में सेवा देनी शुरू की। वह कहती हैं, इस दौरान वह अपने व्यावसायिक जीवन में अच्छा प्रदर्शन कर रही थीं। उनके माता-पिता भी उन पर गर्व करते थे। वह अपने जीवन से वह खुश थी, लेकिन एक चीज उन्हें हमेशा सालती रहती थी और वह थी उनकी पहचान।

पहचान के लिए छटपटाती डॉ. प्रिया ने आखिरकार अपने घर वालों को खुद के बारे में बताने और सर्जरी कराने का फैसला लिया। इस दौरान सर्जरी के बारे में उन्होंने काफी ज्यादा रिसर्च की और एक दिन अपने माता-पिता को पूरे साहस के साथ सबकुछ सच बता दिय। उस दिन उनके माता-पिता बहुत ज्यादा दुखी भी हुए। डॉक्टर प्रिया कहती है कि यदि वे अपनी सच्चाई नहीं बता पाती तो वह खुद के साथ कभी न्याय नहीं कर पाती।

इस बार डॉ प्रिया के माता-पिता ने उन्हें दोष देने के बजाय उनका पूरा समर्थन किया और उनकी मां उनकी सर्जरी के दौरान हमेशा उनके साथ खड़ी रहीं। अपने परिवार के सहयोग के साथ डॉक्टर प्रिया अब तक 6 सर्जरी करवा चुकी हैं और 2 सर्जरी अभी बची हैं।

सर्जरी कराने के बाद डॉक्टर पहले डॉ. जीनू शशिधरन के नाम से जानी जाने यह ट्रांसजेंडर अब अपने मरीजों, हॉस्पिटल स्टाफ, अपने परिवार और संपूर्ण समाज के बीच डॉक्टर प्रिया के नाम से जानी जाती हैं। डॉक्टर प्रिया अब अपनी पहचान को छुपाकर नहीं जीती हैं, खुलकर वह डॉ. प्रिया के रूप में सामने आ चुकी हैं एक नई पहचान के साथ।

Tags:    

Similar News