पत्रकार शीतला सिंह: जिले से देश की राजधानी तक, सांप्रदायिकता के खिलाफ ताउम्र लड़ी लड़ाई
पत्रकारों के काम के घंटे नियत हों और उन्हें फैक्टरी कर्मियों से बेहतर वेतन मिले साथ ही समाज धर्मनिरपेक्ष हो जहां सांप्रदायिकता को कोई स्थान न हो, ये उनके उसूल थे। नई दिल्ली के प्रेस कौंसिल में वे सक्रिय दिखते और मजबूती से अपनी बात रखते...
वरिष्ठ पत्रकार शीतला सिंह को याद कर रहे हैं अमित प्रकाश सिंह.
उत्तर प्रदेश में अयोध्या के पास ही फैजाबाद में जीवनभर पत्रकारिता करने वाले शीतला सिंह ने 16 मई 2023 को अंतिम सांस ली। उम्र 95 जरूर थी, लेकिन वे सतत सक्रिय थे। हमेशा की तरह दोपहर बाद वे कार्यालय से घर पहुंचे और कुछ ही देर बाद उन्होने विदा ली।
शीतला जी पूरे प्रदेश और देश के पत्रकारों के अच्छे सलाहकार थे। पत्रकारों के काम के घंटे नियत हों और उन्हें फैक्टरी कर्मियों से बेहतर वेतन मिले साथ ही समाज धर्मनिरपेक्ष हो जहां सांप्रदायिकता को कोई स्थान न हो, ये उनके उसूल थे। नई दिल्ली के प्रेस कौंसिल में वे सक्रिय दिखते और मजबूती से अपनी बात रखते। वे राज्य की प्रैस पत्रकारिता मान्यता समिति के सदस्य भी थे।
देश में आपातकाल, बाबरी ध्वंस और राज्य में संप्रदायिक विवाद की कोशिशों का उन्होंने हमेशा विरोध किया। फैजाबाद जैसे छोटे जिला शहर में उन्होंने पत्रकारों को बिना डरे, निष्पक्ष रिपोर्टिंग के लिए प्रेरित किया। वे हमेशा पत्रकारों को ऐसा समाज बनाने में मदद करने को कहते, जहां सांप्रदायिकता के आधार पर वैमनस्य न बढ़े। यह बात और है कि उनके कहे को मौका मिलते ही धनलाभ की लालसा में नौकरशाही और नेताओं के दबाव में आकर संवाददाताओं ने भुला दिया।
लेकिन शीतला जी ने हार नहीं मानी, वे जुटे रहे। उनके साथ कवि, लेखक, चित्रकार, कलाकार और वे युवा पत्रकार जरूर जुड़े, जो शांतिप्रिय समाज के निर्माण में यकीन रखते थे। ‘जनमोर्चा’ उनकी आवाज भी बना। पूरे देश और प्रदेश में इस दैनिक की चर्चा रही जो एक छोटे से जिले में सहकारिता के आधार पर शुरू हुआ और आज भी चर्चा में है। यह अखबार जिले से निकलते हुए भी पत्रकारिता शुरू करने वाले छात्रों के लिए उपयोगी दैनिक रहा है। इस उम्र में भी शीतला जी नए लेखकों के लिखे को संपादित करते और बेहतर लिखने के लिए ज्यादा से ज्यादा पढाई करने पर जोर देते।
शीतला जी के जाने से क्षति हुई है, जिला संवाददाताओं की वैचारिक सोच, समुचित वेतन और सुरक्षा के साथ ही जिले से देश में निष्पक्ष युवा पत्रकार बनने की संभावना की। दैनिक जनमोर्चा के नए उत्तराधिकारी यदि उनके आदर्श और मूल्यों के आधार पर दैनिक को संभालते हुए इसकी यात्रा जारी रख पाते हैं तो समाज की यह बड़ी सेवा होगी।