प्रेमविवाह करने वाली उत्तराखंड की युवती की रायबरेली में कथित गैंगरेप के बाद हत्या, पुलिस द्वारा पेट्रोल डाल रात में ही लाश जलाने का आरोप !

घटनास्थल पर मौजूद तमाम साक्ष्यों को संकलित करने के बजाय उन्हें साफ करने तथा सच्चाई को छिपाने की कोशिश में है इसीलिए पुलिस ने इस पूरी घटना में रेप की किसी संभावना का जिक्र पंचनामे में नहीं किया और इसी वजह से पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों ने भी उस का कोई परीक्षण नहीं किया...

Update: 2024-07-17 06:27 GMT

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लखनऊ। यूपी के रायबरेली जिले में बछरावां थानाक्षेत्र के चुरुआ गांव में एक महिला की संभावित गैंगरेप के बाद हत्या, पुलिस द्वारा पेट्रोल डालकर रात में ही लाश जला देने व सबूतों को नष्ट करने का मामला सामने आया है। मामले में भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने आरोपों की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की है।

पार्टी के एक जांच दल ने घटनास्थल का दौरा किया। मंगलवार 16 जुलाई को जांच रिपोर्ट जारी करते हुए राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि घटना बीती 11 जुलाई की रात की है। गंभीर रूप से घायल और अचेत अवस्था में महिला (चंपा, काल्पनिक नाम) को मोहनलालगंज के अस्पताल में 11/12 जुलाई की रात भर्ती कराया गया। यहां से उसे 13 जुलाई की सुबह मेडिकल कॉलेज ले जाने की सलाह दी गई। उसे वापस बछरावां कस्बे लाया गया और स्थानीय नर्सिंग होम ले जाया गया। उसे गेट पर ही मृत घोषित कर डॉक्टर ने वापस कर दिया। चंपा उत्तराखंड की मूल निवासी थी। उसका प्रेम विवाह रिंकू सिंह से हुआ था।

रिपोर्ट के अनुसार, उसके पति और सहयोगी दोस्तों ने उसे दफन करने की कोशिश की, किंतु ग्रामीणों के प्रबल विरोध के बाद पुलिस ने उसका पंचनामा किया और लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पंचनामे में किन चोटों का जिक्र है यह तो पता नहीं, किंतु मृतका के गालों में दांतों से काटने के निशान और उसके साथ जो हुआ था उसकी गवाही दे रहे थे।

पोस्टमार्टम से लाश वापस आने पर ग्रामीणों का कहना था कि लाश को सुबह दफन किया जाएगा, क्योंकि पुलिस मामले की लीपापोती कर रही है। घटनास्थल पर मौजूद तमाम साक्ष्यों को संकलित करने के बजाय उन्हें साफ करने तथा सच्चाई को छिपाने की कोशिश में है। इसीलिए पुलिस ने इस पूरी घटना में रेप की किसी संभावना का जिक्र पंचनामे में नही किया और इसी वजह से पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों ने भी उस का कोई परीक्षण नहीं किया।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार उसकी कनपटी में हथौड़ेनुमा औजार से चोट और उससे हुई इंटरनल ब्लीडिंग से कोमा में जाने के कारण मृत्यु हुई। इसके पहले घर पर शराब पार्टी के चिन्ह, शराब की बोतलें, गिलास, सिगरेट, बाहर से मंगाए खाने के पैकिंग पेपर्स और प्लेटों में बचा खाना मिला था। पुलिस ने कोई फोरेंसिक टीम नहीं बुलाई थी। ग्रामीण इन्हीं तमाम आशंकाओं के कारण लाश का दाह-संस्कार सुबह करने और मदद के लिए उच्चाधिकारियों तथा सामाजिक संगठनों, पत्रकारों से गुहार लगा रहे थे।

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आरोप है कि बछरावां पुलिस ने रात के अंधेरे में चारों ओर से घेरकर लाश को पेट्रोल डालकर जला दिया। मौके पर किसी तरह की कोई अशांति नहीं थी, किंतु एक स्त्री की इस दर्दनाक हत्या से सभी दुखी थे और सत्यान्वेषण में पुलिस की लापरवाहीपूर्ण कार्यवाही से क्षुब्ध थे। मौके पर किसी उच्चाधिकारी की कोई उपस्थिति नहीं थी।

रिपोर्ट के अनुसार यह सामूहिक बलात्कार व हत्या का मामला था। इसके सारे साक्ष्य बछरावां पुलिस ने अपनी निगरानी में नष्ट करवा दिए। शक की सुई महिला के पति की ओर जाती है, जिस पर सामूहिक बलात्कार और हत्या के आयोजक होने का शक है। ग्रामीणों ने भी आरोप लगाया है कि चार पांच लोगों से गैंगरेप के बाद जीतू ने अपनी पत्नी की बेहरहमी से हत्या कर दी।

घटना के खिलाफ गांव के लोगों ने 15 जुलाई को विशाल प्रदर्शन किया और कैंडल मार्च निकाला। भाकपा (माले) ने भी जिला मुख्यालय पर प्रतिवाद किया है। पार्टी के जांच दल का नेतृत्व राज्य समिति के सदस्य व एक्टू नेता विजय विद्रोही ने किया।

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