लाखों का सोना और बच्चों को लेकर गंगा में कूदने वाली थी अधिकारी की पत्नी लेकिन हुआ कुछ ऐसा
सलीम मलिक की रिपोर्ट
हरिद्वार। कोरोना महामारी के बाद से ज़िन्दगी में आये बदलाव का एक खौफनाक पहलू परिवारों में बढ़ता मानसिक अवसाद है। गरीब परिवारों से लेकर अमीर परिवारों तक इसका दायरा व्यापक हो चला है। सामाजिक रिश्तों के ताने-बाने को बुरी तरह प्रभावित कर रहे किसी घटनाक्रम के चलते उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद से एक अधिकारी की पत्नी अपने घर से बीस तोले सोने के जेवर और दो बच्चों को लेकर उत्तराखण्ड के हरिद्वार में पवित्र गंगा की गोद में डूबकर आत्महत्या के इरादे से घर से निकल पड़ी।
लेकिन नियति को उसकी मौत मंजूर नहीं थी। जिस बस से वह मरने का इरादा लेकर हरिद्वार आ रही थी उस बस के चालक की सूझ-बूझ से न केवल इस महिला और उसके बच्चों की जान बच गयी बल्कि वह सकुशल अपने परिजनों की सुरक्षा में भी चली गयी। हालांकि अधिकारी व उनकी पत्नी की पहचान पुलिस द्वारा गोपनीय रखी गई है।
बस चालक ने दिखाई सूझबूझ
यूपी रोडवेज की बस में गाज़ियाबाद से एक महिला अपने दो बच्चों 10 वर्ष और 12 वर्ष के साथ बैठी थी। महिला को हरिद्वार जाना था। लेकिन रास्ते में सफर के दौरान बस के चालक को महिला का व्यवहार अटपटा लगा। चालक को महिला जरूरत से ज्यादा परेशान लगी।
इसलिए बस जब रुडक़ी बस स्टैंड पर पहुंची तो चालक ने बस अड्डे पर तैनात पुलिसकर्मियों को इस महिला के बारे में बताया कि बस मेें एक महिला मानसिक रूप से काफी परेशान लग रही है। पुलिसकर्मियों ने इसकी सूचना कोतवाली प्रभारी निरीक्षक अमरचंद शर्मा को दी। उधर से प्रभारी निरीक्षक ने पुलिसकर्मियों से महिला को कोतवाली लाने को कहा।
हरिद्वार जाकर गंगा में कूदने का प्लान
अब पुलिस बस के अंदर महिला के पास गई तो पता चला कि महिला के साथ उसके दो बच्चे हैं। पूछताछ में पता चला कि महिला यूपी के गाजियाबाद में भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी की पत्नी है। पुलिसकर्मियों के साथ बातचीत के दौरान महिला बेहद भावुक हो गई। बोली वह जिंदगी से परेशान होकर बच्चों सहित गंगा नदी में डूबकर जान देने जा रही है।
पुलिस ने उसके बैग की तलाशी ली तो उसके अंदर करीब 20 तोले सोने के जेवरात मिले। बैग में जेवरात देख पुलिस के होश उड़ गये। पुलिस को महिला पर शक होने लगा तो पुलिस ने उससे सख्ती से जेवरात के बारे में पूछा तो महिला ने बताया कि सब जेवरात उसके अपने है। डूबने से पहले वह यह जेवरात किसी मंदिर या मठ में दान दे देगी।
महिला की बात सुन पुलिस के भी होश उड़े
उसकी बातें सुनकर पुलिसकर्मियों के होश उड़ गये। इसके बाद पुलिसकर्मी उसे कोतवाली ले आये। जहां महिला पुलिसकर्मियों ने महिला समझाते हुए उससे उसके परिवार के बारे में जानकारी हासिल की।
इसके बाद महिला के पति को फोन कर रूडक़ी बुलाया गया। गाजियाबाद से महिला के पति के रूडक़ी पहुंचने के बाद पुलिस ने एक बार फिर महिला की काउंसलिंग की। जिसके बाद महिला ने आगे से अपने पति को ऐसा कदम न उठाने का भरोसा दिया। इस घटनाक्रम के बाद पुलिस ने बच्चों और महिला को उनके पति के साथ भेजा गया।
एक बस चालक की सूझ-बूझ से इस मामले में एक भरा-पूरा हंसता-खेलता परिवार तबाह होने से तो बच गया। लेकिन देश में ऐसे न जाने कितने घटनाक्रम डिप्रेशन की वजह से अंदर ही अंदर लावे की तरह सुलग रहे हैं। जो लोगों की नज़र में घटना हो जाने के बाद आते हैं।
यूँ तो देश के मनोवैज्ञानिक इस समस्या को लेकर चिंतित हैं। लेकिन यह समस्या सरकारों के एजेंडे से बाहर है। डिप्रेशन की जद में रहता समाज शासन के लिए अनुकूल होने के कारण यह बीमारी सरकारों की चिन्ता के दायरे में उस तरह नहीं आ रही जैसी चिंताएं पर्यावरण को लेकर है।