गोवा के एक ही अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 41 कोरोना मरीजों की मौत, सरकार ने बताया एक्पर्ट ड्राइवर को जिम्मेदार
गोवा मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) में गुरुवार 13 मई को ऑक्सीजन की कमी से 15 कोरोना मरीजों की मौत हो गई थी, दो दिन पहले भी (जीएमसी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 26 कोरोना पॉजिटिव मरीज मरे थे....
जनज्वार। देशभर में हर रोज हजारों लोग इलाज न मिलने और ऑक्सीजन की कमी से मौत के मुंह में समा रहे हैं, बावजूद इसके व्यवस्थायें दुरुस्त नहीं हो रही हैं। पहले दिल्ली, गुजरात, उत्तर प्रदेश समेत तमाम राज्यों से ऑक्सीजन की कमी से सैकड़ों मरीजों के मरने की खबर आ ही चुकी हैं, अभी भी इन राज्यों में यह सिलसिला जारी है, अब गोवा से भी ऑक्सीजन की कमी के कारण 41 कोरोना मरीजों की मौत का मामला सामने आया है।
मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक गोवा के जीएमसी अस्पताल में बीते 3 दिनों में ऑक्सीजन की कमी से 41 कोरोना पॉजिटिव मरीजों की जान चली गयी है। इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान गोवा सरकार ने ऑक्सीजन की कमी के लिए एक्सपर्ट ट्रैक्टर ड्राइवर की कमी को जिम्मेदार ठहराकर अपना पल्ला झाड़ना चाहा तो कोर्ट ने कड़ी फटकार लगायी।
गोवा मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) में गुरुवार 13 मई को ऑक्सीजन की कमी से 15 कोरोना मरीजों की मौत हो गई थी। दो दिन पहले भी (जीएमसी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 26 कोरोना पॉजिटिव मरीज मरे थे। इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान गोवा सरकार ने ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों के लिए एक्सपर्ट ट्रैक्टर ड्राइवरों की कमी को ही जिम्मेदार ठहरा दिया। सरकार के इस टालू जवाब के बाद हाईकोर्ट ने कड़ी फटकार भी लगायी।
बॉम्बे हाई कोर्ट में ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की गयी थी। इस सुनवाई में जीएमसी के नोडल अधिकारी डॉ. विराज खंडेपरकर ने कहा, 'ऑक्सीजन सप्लाइ बाधित होने के चलते अस्पताल में मरीजों की मौत हो रही हैं। O2 सेवा में बाधा पड़ने के चलते गुरुवार 13 मई की आधी रात से सुबह 8 बजे के बीच 15 मरीजों की मौत हो गई है।'
गौरतलब है कि 13 मई की आधी रात को एक बजकर 25 मिनट पर मरीज के परिजनों की ओर से इमर्जेंसी कॉल करके बताया गया था कि जीएमसी में ऑक्सीजन लेवल गिर रहा है। वॉर्ड 143, 144, 145, 146 और 149 में ऑक्सीजन की कमी हुई। डॉक्टरों ने भी फौरन ऑक्सीजन सप्लाइ के लिए जीएमसी के वरिष्ठ अधिकारियों और स्कूप इंडस्ट्री (ऑक्सीजन सप्लाइ के लिए इंडस्ट्री का जीएमसी के साथ कॉन्ट्रैक्ट हुआ है) को फोन किया, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। डॉक्टर अपनी आंखों के सामने ऑक्सीजन की कमी से मरीजों को तड़प—तड़पकर मरते हुए देखने को विवश थे।
वहीं ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों पर गोवा सरकार के स्वास्थ्य सचिव रवि धवन ने कोर्ट को बताया कि राज्य में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन है। उन्होंने सप्लाइ बाधित होने के पीछे ऑक्सीजन सिलिंडर के चेंजओवर को वजह बताते हुए राज्य में प्रशिक्षित ट्रैक्टर डाइवरों का हवाला देकर कहा, 'यहां ऑक्सीजन का अकाल नहीं है, जो मौतें हो रही हैं वे लॉजिस्टिकल कारणों से हैं।'
स्वास्थ्य सचिव ने ट्रैक्टर ड्राइवरों को अनुभवनहीन बताते हुए कहा, 'गुरुवार 13 मई की देर रात 1 बजकर 45 मिनट और 2 बजे के बीच ट्रैक्टर ड्राइवर बीच रास्ते में फंस गया, जहां से एक बार में केवल एक ट्रैक्टर की ही आवाजाही हो सकती है। ऑक्सीजन मेनिफोल्ड जीएमसी के बेसमेंट में मौजूद है और ड्राइवर 15 से 20 मिनट तक वहां फंसा रहा, जिसके चलते ऑक्सिजन सिलिंडर बदलने में अतिरिक्त समय लगा।'
कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से दिए गए तर्क अनुचित है। जस्टिस एमएस सोनक और नितिन सांबरे की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा, 'इस तरह के हलफनामे से मतलब है कि सरकार जिम्मेदारी से कतरा रही है और समस्या को कहीं और बता रही है। आपको सभी अधिकारियों को बताना होगा कि ये स्वीकार्य कारण नहीं है कि हमें ट्रैक्टर नहीं मिल सका, ड्राइवर नहीं मिल सका, टेक्नीशियन नहीं मिल सके और अगर इन कारणों से लोगों की मौत हो रही है तो यह स्वीकारा नहीं जा सकता है।'