कर्ज से परेशान किसान बाप-बेटे ने की आत्महत्या, सुसाइड नोट में राज्य की कांग्रेस और केंद्र की मोदी सरकार को ठहराया जिम्मेदार

आत्महत्या से पहले लिखे सुसाइड नोट में बाप-बेटे ने कहा है कि वे केंद्र की मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों और राज्य की कांग्रेस सरकार द्वारा उनके कृषि कर्ज माफ नहीं किए जाने से थे बहुत परेशान इसलिए आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ा...;

Update: 2021-02-20 13:45 GMT
कर्ज से परेशान किसान बाप-बेटे ने की आत्महत्या, सुसाइड नोट में राज्य की कांग्रेस और केंद्र की मोदी सरकार को ठहराया जिम्मेदार

प्रतीकात्मक तस्वीर

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जनज्वार। पिछले 3 महीनों ​से देशभर के किसान नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत हैं, और इसी बीच दर्जनों किसान आत्महत्या भी कर चुके हैं। आत्महत्या की एक खबर अब पंजाब से आ रही है।

पंजाब के होशियारपुर के एक गांव में कर्ज में डूबे एक किसान और उसके बेटे ने कथित तौर पर जहर खाकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या से पहले लिखे सुसाइड नोट में बाप-बेटे ने कहा है कि वे केंद्र की मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों और राज्य सरकार द्वारा उनके कृषि कर्ज माफ नहीं किए जाने परेशान थे।

मामला सामने आने के बाद पंजाब के पुलिस उपाधीक्षक मुनीश कुमार ने कहा कि 70 वर्षीय बुजुर्ग किसान जगतार सिंह और उनके 42 वर्षीय बेटे कृपाल सिंह आज शनिवार 20 फरवरी की सुबह मुहादीपुर गांव में अपने घर पर मृत पाए गए। पुलिस को शुरुआती जांच में पता चला कि दोनों बाप-बेटे ने कथित तौर पर कोई जहरीला पदार्थ खा लिया था। उनके घर से बरामद एक सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा है कि वे कर्ज के कारण यह कदम उठा रहे हैं।

आत्महत्या करने वाले बाप-बेटे ने जो सुसाइड नोट छोड़ा है, उसमें पंजाब में कांग्रेस सरकार पर उनके कृषि ऋण माफ करने का अपना वादा पूरा नहीं करने का भी आरोप लगाया है और साथ ही यह भी लिखा है कि वे केंद्र की मोदी सरकार द्वारा नए कृषि कानूनों को रद्द नहीं किए जाने को लेकर भी परेशान हैं। दोनों बाप-बेटे के पास एक एकड़ जमीन है।

पुलिस के मुताबिक सुसाइड करने वाले किसान बाप-बेटे की लाशों को पोस्टमॉर्टम के लिए दासुया सिविल अस्पताल भेज दिया गया है और इस मामले में जांच की जा रही है।

गौरतलब है कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाये गये तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले 3 महीने से दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं और लगातार मांग कर रहे हैं कि जब तक ये कानून वापस नहीं होते वो यहां से नहीं हटेंगे। कानूनों को रद्द कराने के लिए आंदोलनरत किसान इस मुद्दे पर मोदी सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान बार-बार कर रहे हैं। इस बीच किसानों को मनाने के लिए अब तक मोदी सरकार की ओर से की गईं सभी कोशिशें बेनतीजा रही हैं।

आंदोलनरत किसान मोदी सरकार द्वारा बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों - द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं।

हालांकि मोदी सरकार का दावा है कि इन कानूनों के लागू होने से कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार होंगे, मगर आंदोलनकारी किसान कह रहे हैं कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे। किसी भी हालत में मोदी सरकार इन कानूनों को वापस ले, जिससे कि किसान अपनी खेती का मालिक बना रहे। अगर नये कानून लागू हो जायेंगे तो किसान अपने खेत में ही गुलाम हो जायेगा। 

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