उन्नाव पुलिस की पिटाई में मरे सब्जीवाले युवक के पिता बोले 'मुस्लिम था बेटा इसलिए हुई हत्या'
लड़खड़ाती आवाज में मरने वाले युवक के पिता कहते हैं, हमारा बेटा मुस्लिम था इसलिए उसके साथ ऐसा अन्याय हुआ। सब्जी बेचना कोई जुर्म नहीं है, पचासों दुकानें खुली थी, सिर्फ मेरा ही बेटा क्यों...
जनज्वार। 21 मई 2021 को उन्नाव जिले की बांगरमऊ तहसील के मोहल्ला भटपुरी निवासी फैसल हुसैन पुत्र इस्लाम हुसैन, उम्र 18 वर्ष की पुलिस द्वारा बर्बरता से पिटाई किए जाने के कारण मौत हो गई थी। फैसल हुसैन अपने परिवार का इकलौता कमाने वाला शख्स था, जो सब्जी बेचकर अपने परिवार की मदद करता था। फैसल के पिता शारीरिक रूप से काफी कमजोर और बुजुर्ग हैं, जिसकी वजह से वो कोई विशेष काम नहीं कर पाते हैं।
फैसल का एक बड़ा भाई 22 वर्षीय मोहम्मद सूफियान भी शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर है और एक छोटा भाई अभी पढ़ाई कर रहा है, फैसल की 2 बहनें हैं जिनमें एक बहन की जून माह में शादी थी, पर अब फैसल के न रहने से पूरा परिवार टूट गया है। यह पूरी घटना मन को झकझोर और विचलित कर देने वाली है, जिसे सुनकर ऐसा लगता है कि पुलिस प्रशासन ने संवेदनशीलता की सारी हदें पार दी हों।
जब जांच दल फैसल के घर पहुंचे तो फैसल के पिता और परिवार के अन्य सदस्य घर के बाहर ही बैठे हुए थे। पहली बातचीत फैसल के पिता से ही हुई। उन्होंने लड़खड़ाती हुई आवाज में बताया, "हमारा बेटा मुस्लिम था इसलिए उसके साथ ऐसा अन्याय हुआ। सब्जी बेचना कोई जुर्म नहीं है, पचासों दुकानें खुली थी, सिर्फ मेरा ही बेटा क्यों?"
इसके बाद वो रोने लगे और खामोश हो गए, जिस पर फ़ैसल के चचेरे भाई (सलमान हुसैन) ने पूरा मामला बताया। उसके अनुसार घटना वाले दिन दोपहर यानी 21 मई को 2 बजे के आसपास फ़ैसल बाजार में सब्जी की दुकान लगाए हुए था, फैसल के अलावा वहाँ और कई सारे लोग भी सब्जी बेच रहे थे। तभी सिपाही विजय चौधरी अपनी बुलेट से आया और उसके साथ सिपाही सीमावत भी था। उसने अपनी गाड़ी सीधे फैसल की दुकान के पास रोकी और गाली के साथ उससे कहा, "मेरे आने पर तूने दुकान क्यों नहीं बंद की, तुझे अभी बताता हूँ" और उसे मारने लगे, फिर उसे जबदरस्ती गाड़ी पर बैठा लिया और कहने लगे "चल तुझे थाने में बताते हैं।"
सलमान के अनुसार बाजार से कोतवाली की दूरी मात्र 700-800 मीटर है, जहां तक पहुँचने में मुश्किल से दो या ढाई मिनट लगते हैं, पर कोतवाली की सीसीटीवी फुटेज के अनुसार उन लोगों को साढ़े छह मिनट लगे कोतवाली पहुँचने में, जिसका मतलब कहीं रास्ते में फैसल को बुरी तरह पीटा गया और उसके बाद उसे कोतवाली ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गयी।
फैसल के घर पर बैठे अन्य लोगों ने भी इस बात का समर्थन किया। फैसल के बड़े भाई मोहम्मद सूफियान ने बताया, सबसे पहले वो कोतवाली गया था, जहां उसने देखा उसका भाई जमीन पर पड़ा हुआ था, पुलिस वालों ने उसे अपने भाई से मिलने नहीं दिया और वहाँ से भगा दिया।
सलमान ने आगे बताया कि फैसल की मौत थाने में ही हो गई थी, पर पुलिस वाले झूठ ही उसे सामुदायिक चिकित्सालय ले गए, जहां पर डाक्टर ने उसे देखते ही मरा घोषित कर दिया। पुलिस वालों ने डाक्टरों पर दबाव डाला और दिखाने के लिए इलाज कराने लगे और उसे रेफ़र कराकर उन्नाव जिला अस्पताल ले जाने की फिराक में थे, लेकिन जनता की भीड़ देखकर वे घबरा गए और वहाँ से भाग गए। उस समय थाना प्रभारी भी अस्पताल के बाहर मौजूद थे, उन्होंने ने भी दोषी सिपाहियों को बचाने की पूरी कोशिश की।
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टीम ने उस स्थल का भी दौरा किया, जहां पर फैसल सब्जी की दुकान लगाए था। फैसल की दुकान के आसपास कई सारी दुकाने हैं और वो सभी उस समय खुली थीं, पर पुलिस वालों ने सिर्फ उसे ही निशाना बनाया। एक सब्जी विक्रेता ने बताया, 'सिपाही विजय चौधरी अपने आप को इलाके का सिंघम (फिल्मी दुनिया का हीरो) कहता था और हर किसी पर अपनी धौंस दिखाता था। सब्जी वालों की सब्जी फैला देना, सब्जी के पैसे मांगने वालों को मारना, गाली गलौज करना आदि के द्वारा वो लोगों में अपना डर पैदा करता था। उसकी बुलेट (मोटरसाईकिल) की आवाज सुनते ही लोग अपनी दुकान छोड़ भाग जाते थे। उसने लोगों के मन में डर का माहौल बना रखा था। और उस दिन भी उसने यही किया। पहले फैसल को गाली दी फिर उसे मारा और फिर गाड़ी में बैठा कर ले गया। फैसल बहुत ही सीधा और शरीफ लड़का था। कुछ दिन पहले ही उसने दुकान लगाना शुरू किया था, पर पुलिस वालों ने उसकी जीवनलीला समाप्त कर दी।'
जांच दल ने बांगरमऊ कोतवाली पहुंचकर उस स्थल का भी निरीक्षण किया, जहां पर फ़ैसल बेहोश होकर गिर गया था। लेकिन कोतवाली में किसी ने भी हमसे बात करने से मना कर दिया। प्रथम सूचना रपट और पोस्टमार्टम की नकल हमें पीड़ित परिवार से प्राप्त हुई।
अंत में जांच दल फिर पीड़ित परिवार से मिला उन्हें पूर्ण न्याय एवं दोषियों को सख्त सजा दिलाने का वादा किया तथा उन्हें सेवानिवृत भारतीय राजस्व सेवा की अधिकारी एवं पूर्व सदस्य संघ लोक सेवा आयोग परवीन तल्हा जी द्वारा प्रेषित 3000 रुपये की आर्थिक सहयोग राशि भेंट की गयी। प्राथमिकी संख्या 0160, 21 मई, 2021 को रात साढ़े आठ बजे थाना बांगरमऊ में दर्ज हुई जिसमें तीन आरोपी हैं, किंतु अभी गिरफ्तारी सिर्फ दो की ही हुई है।
इस घटना की निष्पक्ष जांच, पीड़ित परिवार को सही न्याय एवं दोषियों को कठोर दंड दिलाने के उद्देश्य से "सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया)" द्वारा नियुक्त एक पाँच सदस्यीय जांच दल ने 27 मई 2021 और 30 मई 2021 को पीड़ित परिवार के घर गया। जांच दल में सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के मानवाधिकार प्रकोष्ठ के संयोजक के.एम. यादव, अधिवक्ता राजेन्द्र मिश्र, सोशलिस्ट किसान सभा के अध्यक्ष व सोषलिस्ट पार्टी (इंडिया) के उन्नाव जिलाध्यक्ष अनिल मिश्रा, सामाजिक कार्यकर्ता संजीव शुक्ला एवं सामाजिक कार्यकर्ता भारत कुमार शामिल थे। फैसल के परिवार व अन्य स्थानीय लोगों से बातचीत एवं घटना स्थल के निरीक्षण के आधार पर जांच दल ने रिपोर्ट तैयार की।
जांच दल की रिपोर्ट के बाद सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) ने इस मामले की राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग से जांच कराए जाने की मांग की है। साथ ही मांग की है कि दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी जाए तथा प्राथमिकी मे दर्ज तीसरे सिपाही की जांच करके, यदि वो भी दोषी पाया जाए, तो उसे भी गिरफ्तार किया जाए।
बांगरमऊ थानाध्यक्ष, जिनके सामने यह घटना हुई उन्हें तुरंत निलंबित करने और सिर्फ स्थानांतरण कर देने से, जैसा कि अभी किया गया है, काम नहीं चलेगा। सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) यह मांग करती है कि सरकार द्वारा पीड़ित परिवार के लिए मुआवजा, घर के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी एवं आवास के लिए की गयी घोषणा को तुरंत लागू कराया जाया।