साईकिल गर्ल ज्योति के पिता की मौत के बाद प्रियंका गांधी ने बढ़ाया मदद का हाथ, पढ़ाई का सारा खर्च उठायेगी कांग्रेस
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने 2 जून की रात साइकिल गर्ल ज्योति कुमारी से फोन पर बात की और उनके पिता मोहन पासवान के असामयिक निधन पर गहरी संवेदना प्रकट की....
जनज्वार ब्यूरो। पिछले साल लॉकडाउन में बीमार पिता को 1400 किलोमीटर दूर गुड़गांव से बिहार साइकिल पर बैठाकर ले जाने वाली नाबालिग लड़की ज्योति कुमारी एक बार फिर चर्चा में है। ज्योति के पिता की आज 31 मई को हार्ट अटैक के कारण मौत हो गयी है। लोग कह रहे हैं कि जो बच्ची हजार किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी से बीमार पिता को पिछली बार लॉकडाउन में घर लेकर आ गयी थी, इस बार उसके पिता की मौत हार्ट अटैक से हो गयी, मगर वह कुछ न कर पायी। अब ज्योति की मदद को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी आगे आयी हैं।
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने 2 जून की रात साइकिल गर्ल ज्योति कुमारी से फोन पर बात की और उनके पिता मोहन पासवान के असामयिक निधन पर गहरी संवेदना प्रकट की।
मीडिया से बातचीत करते हुए ज्योति कुमारी ने कहा कि प्रियंका गांधी ने उसे पढ़ाई जारी रखने की बात कही। साथ ही उन्होंने कहा कि उसकी पढ़ाई का सारा खर्च कांग्रेस वहन करेगी।
गौरतलब है कि 3 जून को स्थानीय कांग्रेस नेता मशकूर अहमद उस्मानी ज्योति के गांव सिंहवाड़ा प्रखंड के सिरहुल्ली पहुंचे थे और ज्योति कुमारी को प्रियंका गांधी द्वारा हस्ताक्षरित शोक संवेदना पत्र सौंपा। उन्होंने ज्योति कुमारी से खूब पढ़ाई करने को कहा और यह भी कहा कि उनकी पढ़ाई का सारा खर्च कांग्रेस उठायेगी।
सिंहवाड़ा प्रखंड के सिरहुल्ली गांव की ज्योति पिछले साल लॉकडाउन में हरियाणा के गुड़गांव से 1200 किमी साइकिल चलाकर अपने बीमार पिता को घर लाने के बाद चर्चा में आयी थी। 16 साल की बच्ची का 1200 किलोमीटर दूर तक पिता को साईकिल से लेकर आने के बाद उसे देश में 'साइकिल गर्ल' और 'कलयुग की श्रवण ' कहा जाने लगा था। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पुत्री इवांका ट्रंप ने भी ट्वीट कर ज्योति कुमारी की पितृभक्ति की तारीफ की थी।
गौरतलब है कि बाल पुरस्कार के लिए इस वर्ष 32 बच्चों को चुना गया है, जिनमें ज्योति भी शामिल थी। इन बच्चों को कला, संस्कृति, तीरंदाजी और तैराकी सहित विभिन्न क्षेत्रों में वीरता, असाधारण क्षमताओं और उत्कृष्ट उपलब्धियों के प्रदर्शन को लेकर चुना गया।
पिछले साल कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए अचानक घोषित लॉकडाउन के बीच 16 वर्षीय ज्योति कुमारी अपने पिता को साइकिल पर बैठाकर हरियाणा के गुरुग्राम से बिहार के अपने पैतृक जिले दरभंगा ले गई थी, जिस साहस के लिए उनको बाल पुरस्कार के लिए चयनित किया गया था।
16 साल ज्योति कुमारी अपने चोटिल पिता मोहन पासवान को साइकिल के पीछे कैरियर पर बिठाकर 8 मई 2020 को गुड़गांव से रवाना हुई थीं और पूरा सफर उन्होंने साइकिल से तय किया था। वह 10 दिन तक साइकिल चलाकर 17 मई की रात करीब 9 बजे दरभंगा में अपने गांव सिरहुल्ली पहुंची थी।
गौरतलब है कि ज्योति के पिता मोहन पासवान 26 जनवरी को गुड़गांव में एक हादसे में जख्मी हुए थे। वह उनकी देखभाल के लिए 31 जनवरी को मां फूलो देवी के साथ गुड़गांव गई थी। फूलो देवी आंगनबाड़ी में काम करती हैं, जिस कारण वह 10 दिन बाद लौट गईं और ज्योति को पिता के पास छोड़ दिया था और इसके बाद लगे लॉकडाउन के कारण मजदूर अपने घरों की तरफ पैदल ही लौटने लगे थे।
साईकिल गर्ल ज्योति को एक प्रोडक्शन कंपनी की ओर से उसके जीवन पर शॉर्ट फिल्म एवं वेब सीरीज बनाने का प्रस्ताव मिला था। कंपनी की डायरेक्टर फलक खान और मैनेजिंग डायरेक्टर फराह खान ने सिरहुल्ली पहुंचकर ज्योति को पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया था। कंपनी की डायरेक्टर एवं मैनेजिंग डायरेक्टर ने कहा था कि इस तरह की फिल्म करने से लोगों को प्रोत्साहन मिलेगा और छोटी सी बच्ची के जज्बे एवं आत्मविश्वास की सराहना भी होगी। हालांकि फिल्म के प्रस्ताव पर ज्योति के पिता मोहन पासवान ने बताया था कि उन्होंने पहले ही विनोद कापड़ी की शॉर्ट फिल्म को स्वीकार कर लिया। अत: वे उनके प्रस्ताव पर विचार करेंगे। इसके बाद टीम वहां से लौट गयी।