'रेप पीड़िता के बच्चे का जबरन DNA टेस्ट नहीं कर सकते, मां की सहमति जरूरी' इलाहाबाद हाईकोर्ट
Uttar Pradesh News: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा "सवाल यह नहीं था कि अभियुक्त पीड़िता के बच्चे का पिता है या नहीं, बल्कि यह तय करना था कि अभियुक्त ने पीड़िता से रेप किया है या नहीं।"
Allahabad News: रेप के बाद जन्मे बच्चे का DNA टेस्ट मां की मर्जी के बिना नहीं कराया जा सकता और न ही बच्चे के असली पिता की पहचान के लिए पीड़ित मां को मजबूर किया जा सकता है। दुष्कर्म पीड़ित नाबालिग लड़की की मां द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह बड़ी बात कही। साथ ही हाईकोर्ट ने पॉक्सो कोर्ट के उस आदेश को भी खारिज कर दिया, जिसमें रेप पीड़िता के बच्चे के पिता का पता करने का आदेश दिया गया था।
पोक्सो कोर्ट के आदेश को नकारा
इलाहाबाद हाईकोर्ट (High Court Allahabad) की लखनऊ खंडपीठ ने गुरुवार को एक अहम फैसले में यह बात कही। कोर्ट ने कहा कि "सवाल यह नहीं था कि अभियुक्त पीड़िता के बच्चे का पिता है या नहीं, बल्कि पॉक्सो कोर्ट को यह तय करना था कि अभियुक्त ने पीड़िता से रेप किया है या नहीं।" जस्टिस संगीता चंद्रा की एकल पीठ ने रेप पीड़िता की मां की ओर से दाखिल याचिका को मंजूर करते हुए कहा कि पीड़िता की मर्जी के बिना उसके बच्चे की DNA जांच नहीं करा सकते।
क्या है मामला
सुल्तानपुर की कोतवाली देहात थाना क्षेत्र में रहने वाली रेप पीड़िता की मां द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में याचिका दायर की गई जिसके अनुसार, साल 2017 में अभियुक्त ने उनकी 14 साल की बेटी का रेप किया था। जिससे उसकी बेटी गर्भवती है। नाबालिग की मां ने 7 महीने बाद थाने में शिकायत दर्ज कराई। जांच के बाद पुलिस ने आरोप-पत्र दाखिल किया। अभियुक्त के किशोर होने से मामले की सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड में शुरू हुई। इस दौरान पीड़िता ने बच्चे को जन्म दिया। पीड़िता और उसकी मां की गवाही होने के बाद अभियुक्त की ओर से एक प्रार्थना पत्र दिया गया। इसमें अभियुक्त ने नाबालिग लड़की के बच्चे के DNA टेस्ट की मांग की गई। किशोर न्याय बोर्ड ने 25 मार्च, 2021 को इसे खारिज कर दिया।
इसके बाद अभियुक्त ने पॉक्सो कोर्ट (Pocso Court) में अपील दाखिल की। पॉक्सो कोर्ट ने 25 जून को रेप पीड़िता के बच्चे का DNA टेस्ट करवाने का आदेश दे दिया। पोक्सो कोर्ट के खिलाफ पीड़िता की मां ने हाईकोर्ट का रुख किया। पीड़ित नाबालिग की मां की तरफ से हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया कि पॉक्सो कोर्ट ने यह नहीं देखा कि मां के DNA टेस्ट का आदेश देने से कहीं बच्चे के नाजायज होने की घोषणा न हो जाए। साथ ही मां भी चरित्रहीन तो घोषित नहीं हो जाएगी।
बिना मर्जी के DNA टेस्ट गलत
इलाहाबाद उच्च न्यायालाय ने पीड़ित महिला की मां की याचिका को लेकर अहम फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने पोक्सो कोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए कहा कि पीड़िता की सहमति के बिना उसके बच्चे के DNA टेस्ट का आदेश नहीं दिया जा सकता था। कोर्ट ने कहा कि हो सकता है कि DNA टेस्ट से इंकार करना पीड़िता के खिलाफ जाए। इसलिए बिना सहमति के DNA टेस्ट का आदेश देना कानूनी तौर पर ठीक नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि पोक्सो कोर्ट को यह तय करना था कि आरोपी ने पीड़ित नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया या नहीं। सवाल यह नहीं था कि रेप के बाद जन्में बच्चे का पिता कौन है। कोर्ट ने कहा कि दुष्कर्म पीड़ित मां की मर्जी के बिना जबरन बच्चे का DNA टेस्ट नहीं कराया जा सकता।