Bengaluru Fruit Vendors Oppose : पिछले 48 घंटे से चार सामाजिक कार्यकर्ता बेंगलुरु में नहीं दर्ज करा पा रहे एक अदना सा मुकदमा
पूरा मामला बीते दिनों तब शुरू हुआ कर्नाटक के हिन्दू जन जागृति समिति नाम के संस्था के संयोजक चंद्रू मोगर ने सोशल मीडिया मेंपर स्पिटिंग जेहाद के नाम पर मुस्लिम फल विक्रेताओं का बहिष्कार करने की लोगों से अपील की थी...
Bengaluru Fruit Vendors News : कर्नाटक (Karnataka) के बेंगलुरु (Bengaluru) में पिछले 48 घंटे से चार सामाजिक कार्यकर्ता (Social Activist) जिनमें एक अधिवक्ता हैं, दो बुद्धिजीवी और एक इंजीनियर हैं एक केस दर्ज करवाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्हें उस व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज करवानी है जिसने सोशल मीडिया (Social Media) पर लोगों से मुस्लिम फल विक्रेताओं से फल नहीं खरीदने की अपील की है। दिक्कत यह है कि तमाम दौड़भाग के बावजूद भी प्रशासन एफआईआर दर्ज करने में अनाकानी कर रहा है। एआईएमआईएम (AIMIM) के बंगलुरु के प्रवक्ता शेख जिया नोमानी (Sheikh Zika Nomani) ने इस बारे में एक पोस्ट अपनी फेसबुक (Facebook Wall) वॉल पर शेयर किया है।
उनकी ओर से बताया गया है कि वे बीते छह अप्रैल की शाम को संजयनगर पुलिस स्टेशन (Sanjay Nagar Police Station) में इंस्पेक्टर से एक आधिकारिक शिकायत के साथ मिले। पर उन्होंने हमें यह समझाने की कोशिश कि सबको बोलने का अधिकार है। हमने इस बात पर असहमति जतायी कि बोलने की आजादी का किसी खास समुदाय को निशाने पर लेने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
उसके बाद वे हमें समझाने लगे कि हम कोई विवाद नहीं चाहते हैं आरोपित पक्ष की तरफ से प्रतिक्रिया आएगी इससे माहौल बिगड़ सकता है। हमने उन्हें समझाने की कोशिश कि की अगर कानूनी तरीके से कोई कार्रवाई की जा रही है और अगर उस पर भी सामने वाली पार्टी की ओर से कोई प्रतिक्रिया आती है तो फिर पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए। हम को दूसरे दर्जे के नागरिक नहीं हैं जिन्हें इस तरह से अपमानित किया जाए या सांप्रदायिक हथकंडों से निशाने पर लिया जाए। उसके बाद इंस्पेक्टर ने हमें कहा कि हम कानूनी राय लेकर इस मामले में जरूरी कार्रवाई करेंगे।
07 अप्रैल की शाम हमारे पास संजय नगर पुलिस स्टेशन से एक फोन आया और हमें पुलिस स्टेशन बुलाया गया। वहां हमें एक पुलिसकर्मी ने बताया कि हम लीगल ओपिनियन ले रहे हैं और उसमें दो से तीन दिन लगेंगे। तब तक आप वरीय अधिकारियों के पास जा सकते हैं या अगर चाहें तो हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
उसके बाद हमले पुलिस कमिश्नर (Commissioner of Police) से मिलने का फैसला लिया। हमने उनसे अनुरोध किया कि वे पुलिसकर्मियों को निर्देश दें कि हमारे आवेदन पर केस दर्ज कर लें। कमिश्नर कमल पंत जी से हमारी मुलाकात 7 अप्रैल को शाम 4 बजकर 15 मिनट पर हुई। हमें सुनने के बाद उन्होंने हमें एक बंद लिफाफा दिया और इस लिफाफे के साथ डीसीपी नार्थ से मिलने का सुझाव दिया। उसके बाद उन्होंने हमें एडिशनल कमिश्नर संदीप पाटिल से भी मिलने का सुझाव दियास। हम उसी शाम 7.20 बजे डीसीपी नार्थ से उनके यशवंतपुर स्थित दफ्तर में मिले। डीसीपी ने लिफाफा खोला और हमें कहा कि हम मामले की जांच करेंगे। हम उनसे सवाल किया कि यह मामला संज्ञेय अपराध का है फिर इसमें एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की जा रही है। उन्होंने जवाब दिया मैं इस मामले की जांच करता हूं और फिर आपको बताता हूं।
हमने उसके बाद एडिशनल कमिश्नर (Additional Commissioner) संदीप पाटिल से मिलना तय किया। अगर वहां से भी हमें कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला और एफआईआर नहीं दर्ज करवायी गयी तो हम हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
हम ये सारी बातें इस लिए बताने को मजबूर हुए कि आज विश्व की सबसे बड़े लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों को सुरक्षा का माहौल भी नहीं मिल पा रहा है। संविधान के अनुसार उन्हें बराबर का अधिकार होने के बावजूद उनकी शिकायत तक नहीं सुनी जा रही है। किसी समुदाय के व्यापार को स्पिटिंग जेहाद का नाम देकर बायकॉट करने जैसे कदम एक संगीन मामला है, इससे कानून व्यवस्था की स्थिति गंभीर रूप से बिगड़ सकती है। हम लोगों से अपील करना चाहते हैं वे अपनी दिनचर्या के संघर्षों के बीच न्याय के लिए गुहार लगाने की हमारी मुहिम में हमारा साथ दें।
आपको बता दें कि यह पूरा मामला बीते दिनों तब शुरू हुआ जब कर्नाटक में हिजाब विवाद, हलाल मीट पर बैन और मस्जिदों में लाउडस्पीकर बजाने के विवाद के बीच कर्नाटक के हिन्दू जन जागृति समिति नाम के संस्था के संयोजक चंद्रू मोगर ने सोशल मीडिया मेंपर स्पिटिंग जेहाद के नाम पर मुस्लिम फल विक्रेताओं का बहिष्कार करने की लोगों से अपील की थी।
इस बारे में पूछे जाने पर राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री अश्वत नारायण ने बताया था कि ये छोटे-मोटे संगठन हैं जो मुद्दों को भड़काने की कोशिश करते रहते हैं। हम इस मामले में पार्टी नहीं हैं। वहीं इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारास्वामी ने कहा था कि मुस्लिमों से फल नहीं खरीदना एंटीनेशनल और एंटी फार्मर है।