"पग पग पोखर माछ मखान": मिथिलांचल के नाम पर हो मखाना की वैश्विक पहचान, कांग्रेस ने GI Tag नाम बदलने की मांग रखी

Makhana GI Tag: विश्व भर में मखाना के उत्पादन का 90 फीसदी बिहार के मिथिला में होता है। ऐसे हालात में इस उत्पादन का जी आई टैग सिर्फ 'मिथिला का मखाना' होना चाहिए- बिहार कांग्रेस

Update: 2021-11-15 10:30 GMT

मखाना को मिथिलांचल के नाम पर GI टैग देने की मांग

समस्तीपुर से अदिति चौधरी की रिपोर्ट 

Makhana GI Tag: बिहार के प्रसिद्ध मखाना को वैश्विक स्तर पर पहचान देने के लिए जीआई टैग (GI Tag) देने का रास्ता साफ हो गया है। मगर इसके नाम को लेकर बिहार के मिथिलांचल (Mithilanchal) से विरोध के स्वर उठने लगे लगे हैं। बिहार कांग्रेस लगातार राज्य के मुखिया नीतीश कुमार (Nitish Kumar) से मांग कर रही है कि मखाना को मिथिला नाम से जीआई टैग (Geographical Indication) दिया जाए। कांग्रेस पार्टी के विधान परिषद सदस्य प्रेमचंद मिश्रा ने मखाना उत्पाद को मात्र मिथिलांचल से जुड़ा बताते हुए इसे 'मिथिला का मखाना' नाम से जीआई टैग देने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि सरकार मिथिला के मखान का नाम बदल कर मिथिलांचल की भावना और उसके भौगोलिक पहचान का विपरीत आचरण करना चाहते हैं। वहीं, कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने कहा कि बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश में सर्वश्रेष्ठ मखाना का उत्पादन मिथिलांचल क्षेत्र में होता है। प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस (Congress) चाहती है कि मिथिलाचंल बिहार (Bihar) का हिस्सा है और मखान को इसका नाम देने से मिथिला के साथ साथ बिहार की भी पहचान बढ़ेगी।

बिहार कांग्रेस प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने कहा कि बिहार के सभी हिस्सों में मखाना की पैदावार नहीं होती। राज्य में सिर्फ मिथिला के क्षेत्र में ही इतने बड़े पैमाने पर मखान की खेती होती है तो इसे मिथिला के नाम पर जीआई टैग देने से सरकार को क्या आपत्ति है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि मखाना मिथिलांचल का गौरव है। उन्होंने कहा कि विश्व भर में मखाना के उत्पादन का 90 फीसदी बिहार के मिथिला में होता है। ऐसे हालात में इसका जीआई टैग सिर्फ 'मिथिला का मखाना' होना चाहिए। अगर जेडीयू सरकार को मिथिला के नाम से इतनी ही पीड़ा के है तो वह इसके साथ बिहार का नाम जोड़ दे, पर GI  टैग में 'मिथिला का मखाना' करें।

क्या है GI Tag का मतलब

बिहार के दरभंगा (Darbhanga) जिला स्थित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (LNMU) के भूगोल डिपार्टमेंट के HOD एवं प्रोफेसर डॉ संतोष कुमार ने बताया कि जीआई टैग का अर्थ है Geographical Indication Tag और इसे अंग्रेजी में Fox Nuts भी कहते हैं। प्रोफेसर ने बताया कि GI टैग किसी भी वस्‍तु के लिए बहुत जरूरी होता है। एक तरह से जीआई टैग किसी प्रॉडक्‍ट की पहचान होते है। ये दर्शाते हैं कि कोई वस्तु किसी खास भौगोलिक क्षेत्र का है। वर्ल्‍ड इंटलैक्‍चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गनाइजेशन (WIPO) के मुताबिक जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग (GI Tag) एक प्रकार का लेबल होता है जिसमें किसी प्रोडक्‍ट को विशेष भौगोलि‍क (Geugraphical Identity) पहचान दी जाती है। ऐसा प्रोडक्‍ट जिसकी विशेषता या फिर प्रतिष्‍ठा मुख्‍य रूप से प्राकृति और मानवीय कारकों पर निर्भर करती है।

प्रोफेसर डॉ संतोष कुमार ने बताया कि किसी में क्षेत्र में एक खास वस्तु की पैदावार कुछ प्रमुख कारकों पर निर्भर करता है। इसमें तापमान (Temprature), नमी (Humidity) और बरसात (Rainfall) तीन प्रमुख फेक्टर हैं। भारत एक विशाल देश है और यहां हर क्षेत्र की वातावरण की परिस्थितियां भिन्न होती है। उदाहरण के तौर पर, भारत में कॉफी उत्पादन के लिए केरल और कर्नाटक का वातावरण उपयुक्त है। ठीक उसी तरह बिहार मे अनेक क्षेत्रों में मखान के लिए सबसे उपयुक्त जगह मिथिलांचल के इलाकें हैं। मिथिलांचल के दरभंगा, मधुबनी और भागलपुर के आसपास के इलाकों में वर्षों से मखान की खेती होती है। समय के साथ मिथिलांचल का दायरा सीमित हुआ है पर इसके उत्पादन में कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। डॉ संतोष ने बताया कि मिथिलांचल में एक कहावत मशहूर है जिसकी पंक्तियां है, "पग पग पोखर माछ मखान, मधुर बोल मुस्की मुख पान।" एलएनएमयू (LNMU) प्रोफेसर ने बताया कि मिथिलांचल और मखान का न सिर्फ भौगोलिक स्तर पर बल्कि सांस्कृतिक स्तर पर भी एक एतिहासिक रिश्ता है और यही कारण है कि मिथिला के नाम पर यहां की मखाना को जीआई टैग (GI Tag) देने की मांग हो रही है।

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