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बिहार चुनाव 2020

बिहार चुनाव : भाजपा के 19 लाख रोजगार देने के वादे का यह है ब्लू प्रिंट, जिसे लोग मान रहे हैं एक और जुमला

Janjwar Desk
22 Oct 2020 8:59 AM GMT
बिहार चुनाव : भाजपा के 19 लाख रोजगार देने के वादे का यह है ब्लू प्रिंट, जिसे लोग मान रहे हैं एक और जुमला
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भाजपा ने राजद से दो गुणा रोजगार सृजन का वादा कर दिया है। तेजस्वी ने जहां 10 लाख नौकरियों का वादा किया है, वहीं भाजपा ने 19 लाख रोजगार का वादा किया है। जनता भाजपा को वादे को दो करोड़ रोजगार जैसा ही जुमला बता रही है और वास्तव में यह एक नंबर गेम ही है...

जनज्वार। बिहार विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने संकल्प पत्र के नाम से अपना घोषणा पत्र गुरुवार को जारी कर दिया। घोषणा पत्र में भाजपा ने तीन बड़े वादे किए हैं, जिसे पूरा करना चुनौती होगी। ये वादे हैं: 19 लाख युवाओं को रोजगार देना, 13 करोड़ की आबादी वाले राज्य के हर व्यक्ति का कोरोना का मुफ्त टीकाकरण कराना और 30 लाख मकान गरीबों-जरूरमंदों को देना।

इन तीन वादों में से दो रोजागार व कोरोना टीका पर सोशल मीडिया पर व्यापक बहस छिड़ गई है। लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि कल तक एनडीए गठबंधन के नेता विपक्षी महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव के जिस 10 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाने का मजाक उड़ा रहे थे, वही पार्टी उन्हीं नीतीश कुमारं के नेतृत्व में सरकार गठन होने पर इस वादे को कैसा पूरा करेगी।

दरअसल, भाजपा नंबर गेम में मास्टर है और उसे पता है कि इस संख्या को कैसे पूरा करके दिखा देना है। भाजपा ने तेजस्वी यादव की तरह सरकारी नौकरी का वादा नहीं किया है और न ही चिराग पासवान के तरह पक्की नौकरी और संविदा नौकरी करने वालों के स्थायीकरण की बात कही है। इन दोनों युवा नेताओं का स्पष्ट संकेत सरकारी रोजगार सृजन पर जोर देने का है, जबकि भाजपा व उसका शीर्ष नेतृत्व रोजगार को लेकर जुमले गढने में माहिर है, तभी तो पकौड़ा तलने को भी रोजगार व एंटरप्रेन्योरशिप का जामा पहना दिया गया। भाजपा के शीर्ष नेता नरेंद्र मोदी खुद बार-बार यह कहते रहे हैं कि जाॅब मांगने वाला नहीं बल्कि देने वाला बनना है यानी स्वरोजगार का रास्ता अपनाना है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में सरकार गठन पर हर साल दो करोड़ रोजगार का वादा किया था, जो सिफर रहा। ऐसे में लोग बिहार में भाजपा के वादे को भी एक जुमला बता रहे हैं।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारण ने भाजपा का घोषणा पत्र जारी करते हुए कहा कि तीन लाख शिक्षकों की अगले एक साल मेें बहाली होगी, पांच लाख युवाओं को आइटी हब बनाकर इस क्षेत्र में नौकरी दी जाएगी। इस तरह यह संख्या आठ लाख हो जाती है।


इसके बाद बिहार बीजेपी ने एक ट्वीट कर कहा है कि हमने संकल्प लिया है कि बिहार में 1000 नए एफपीओ को आपस में जोड़कर राज्य भर में विशेष फसल उत्पाद जैसे मक्का, फल, सब्जी, चूड़ा, मखाना, पान, मसाला, शहद मेंथा और औषधीया पौधों की सप्लाई का चैन विकसित किया जाएगा जिससे प्रदेश में 10 लाख रोजगार का सृजन होगा।

दरअसल, कृषि से जुड़े इन क्षेत्रों में बिहार में लाखों लोग पहले से सक्रिय हैं। बिहार में चूड़ा उत्पादन, मखाना व पान की खेती जैसे कार्य बड़े स्तर पर पहले से किए जाते हैं। ऐसे में इसमें नया क्या होगा वह देखना होगा। या फिर, यह सिर्फ नंबर का खेल बनकर रह जाएगा?


भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक लाख रोजगार सृजन का वादा किया है।

बहरहाल, अब पहले की आठ लाख संख्या में इस 10 लाख की संख्या व स्वास्थ्य क्षेत्र की एक लाख संख्या को जोड़ दिया जाए, तो भाजपा के फार्मूले से से बिहार में 19 लाख रोजगार हो जाता है। अब बिहार जैसे बड़े प्रदेश में कितनी सुस्त ढंग से कुछ भी नई सरकारी नियुक्तियां होंगी अति आवश्यक पदों जो सेवानिवृत्ति या अन्य वजहों से रिक्त होंगे उन्हें भरा जाएगा तो और रोजगार का सृजन होगा ही। पर, यह संख्या गणित बेरोजगार की बड़ी फौज के लिए कितनी कारगर होगी यह विचारनीय है।

भाजपा ने जिस आइटी हब का जिक्र रोजगार सृजन के लिए किया है, उससे मिलते जुलते उपक्रम का हश्र पड़ोसी झारखंड में जनता देख चुकी है। झारखंड में रघुवर दास के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने विभिन्न आयोजनों के जरिए रोजगार सृजन के बड़े दावे किए थे और युवाओं को बाहर भी भेजा गया था। लेकिन, उनमें अधिकतर खराब शर्ताें पर कम वेतन पर काम करते हैं और इस वजह से वे बडी संख्या में प्रदेश भी वापस लौटे हैं।


एक करोड़ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना

भाजपा ने एक करोड़ महिलाओं को स्वयं सहायता समूह व माइक्रो फाइनेंस के माध्यम से स्वावलंबी बनाने का वादा 19 लाख रोजगार के दावे से अलग हट कर किया है। नीतीश सरकार ने अपने डेढ दशक के कामकाज में जीविका समूहों के माध्यम से संतोषजनक काम किया है। भाजपा उसी को आधार बनाकर यह कह रही है कि वह एक करोड़ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाएगी। भाजपा ने अपने ट्वीट में कहा है कि एनडीए सरकार ने बिहार में 10 लाख समूहों के माध्यम से 1.20 करोड़ महिलाओं के जीवन में रौशनी पहुंचायी है।


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