दिल्ली के थाने में दरोगा-सिपाही ने की महिला से बड़ी ज्यादती, पीड़िता ने आधी रात में खटखटाया अदालत का दरवाजा

बेशक हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं लेकिन देश और देश की राजधानी तक में महिलाएं कितनी सुरक्षित हैं, ये किसी से छिपा नहीं है। कभी दुष्कर्म, छेड़छाड़ तो कभी पुलिस बर्बरता की कहानियां सुर्खियों में छाई रहती हैं

Update: 2021-08-26 08:54 GMT

file photo

नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में महिलाओं के सुरक्षित होने का दावा किया जाए लेकिन हकीकत अक्सर सामने आ ही जाती है। पिछले दिनों दिल्ली कैंट इलाके में नौ साल की बच्ची से दुष्कर्म का मामला सामने आया था। हालांकि ये अलग बात है कि देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है।

अब बुराड़ी इलाके से पुलिसवालों द्वारा महिला से बुरी तरह मारपीट व दुर्व्यवहार की खबर सामने आ रही है। हालात ये हैं कि पुलिस की इस कथित ज्यादती के खिलाफ पीड़िता को आधी रात को अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा। अदालत ने इस मामले में पुलिस से मामले में जवाब मांगा है।

पेश मामला उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी थाना इलाके का है। इसमें एक पीड़ित महिला ने थाने के एसआई और एक सिपाही पर उससे मारपीट करने, कपड़े फाड़ने, सब लोगों के सामने अपमानित करने का आरोप लगाया है। मारपीट के बाद महिला की हालत इतनी खराब है कि वह अस्पताल में भर्ती है।

पीड़ित महिला का कहना है कि उसके पति के प्लॉट पर 25 अगस्त को एसआई पुष्पेंद्र और सिपाही अमित चिकारा अन्य पुलिस वालों के साथ दोपहर करीब एक बजे आए। उस समय वह भी वहां पर मौजूद थी। पीड़िता का आरोप है कि इन दो पुलिसवालों ने उससे दुर्व्यवहार किया, उसे बेइज्जत किया और आम लोगों के सामने अपमानित किया। इस मारपीट में पीड़िता के कपड़े भी फट गए।

पीड़िता का कहना है कि जब उसने पुष्पेंद्र और अमित को ऐसा न करने की चेतावनी दी इसके बाद भी वह नहीं माने। वह पीड़िता को जबरन थाने ले गए। उसका आरोप है कि थाने ले जाकर उसे दोबारा पीटा गया। इस पिटाई के बाद पीड़िता चलने लायक भी नहीं रही। इसके बाद इन पुलिसवालों ने पीड़िता और उसके पति को झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी। पुलिस ने अवैध तरीके से उसे करीब साढ़े दस बजे रात तक थाने में बैठा कर रखा।

इस बाबत पीड़िता ने रात में ही अपने वकील सौरभ त्यागी के जरिये अदालत का दरवाजा खटाया। उसने इन पुलिसवालों पर संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज करने का अनुरोध किया। इसके साथ उसने बुराड़ी थाने की 12, 17 और 25 अगस्त की सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित करवाने का भी आग्रह किया। साथ ही उसने इन पुलिसवालों के खिलाफ विभागीय जांच का निर्देश देने का भी आग्रह किया है।

पेश शिकायत पर तीस हजारी अदालत की ड्यूटी मजिस्ट्रेट महिमा राय सिंह ने संज्ञान लेते हुए रात करीब 12 बजे बुराड़ी थाने के एसएचओ को संबंधित कोर्ट के समक्ष 26 अगस्त को जवाब पेश करने का आदेश दिया है।

दरअसल मामला एक प्लॉट पर कब्जे को लेकर विववाद से जुड़ा है। पुलिस ने भजनपुरा निवासी ब्रह्मपाल की शिकायत पर महिला के पति को नामजद आरोपी बनाया है। इस मामले में पुलिस ने महिला के पति को बुधवार दोपहर करीब 12 बजे गिरफ्तार किया था। इसके बाद भारी पुलिस बल उस प्लॉट पर पहुंचा था।

मामले में पीड़ित पक्ष के वकील सौरभ त्यागी व अंकित त्यागी का कहना है कि मामला चाहे जो भी हो जिस तरह से पुलिस ने काम किया वह अवैध है। अगर प्लॉट पर अवैध कब्जा भी है तो इसे खाली करवाना पुलिस का काम नहीं है। उसके लिए अदालत का आदेश जरूरी है।

जिस तरह महिला को उठाकर जबरन थाने ले जाया गया। उसे वहां अवैध हिरासत में रखा गया। वहां भी उससे मारपीट की गई। यह सारा प्रकरण वीडियो व सीसीटीवी में कैद है। उसे पूछताछ में शामिल होने के लिए कोई नोटिस नहीं दिया गया। इन सारे पहलुओं की जांच होनी चाहिए।

महिलाओं के क्या हैं अधिकार

. महिला को हिरासत में लेते समय वहां महिला पुलिसकर्मी का होना अनिवार्य है।

. महिला को दिन छिपने के बाद महिलाओं को थाने में नहीं बुलाया जा सकता।

. अगर सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच गिरफ्तारी केवल असाधारण परिस्थितियों में ही हो सकती है।

. ऐसे हालात में गिरफ्तारी से पहले न्यायिक मजिस्ट्रेट से इसकी अनुमति लेनी होगी।

. महिला की गिरफ्तारी केवल महिला पुलिस अधिकारी द्वारा ही की जाएगी।

. गिरफ्तारी होने की सूरत में हवालात पर महिला पुलिसकर्मी को तैनात किया जाएगा।  

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