दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की कमिटी ने रिपोर्ट में कहा, सुनियोजित थी हिंसा
आयोग ने बीते 9 मार्च को एक कमिटी गठित की थी। उस कमिटी ने रिपोर्ट सौंपी है। कमिटी ने हिंसा को सुनियोजित बताया है।
जनज्वार। दिल्ली हिंसा को लेकर राज्य अल्पसंख्यक आयोग की कमिटी की 134 पन्नों की रिपोर्ट आयोग द्वारा सार्वजनिक की गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग द्वारा गठित कमिटी ने कहा है कि हिंसा सुनियोजित थी। आयोग ने सिफारिश की है कि हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमिटी बनाई जाय। कमिटी बनाने के लिए सरकार और अदालत से अनुरोध किया जाय। मुआवजे की भी सिफारिश की गई है।
बीते 9 मार्च को दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एमआर शमशाद की अध्यक्षता में एक 9 सदस्यीय कमिटी का गठन किया था। उस कमिटी ने अपनी रिपोर्ट बीते 27 जून दी थी, जो आयोग द्वारा अब सार्वजनिक की गई है। अपनी रिपोर्ट में कमिटी ने दावा किया है कि उसने हिंसा वाले स्थानों पर जाकर पीड़ित परिवारों से बात की है और जिन स्थलों को नुकसान पहुंचा है, उनका भी निरीक्षण किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की कमिटी ने दंगों के दौरान दिल्ली पुलिस की भूमिका खराब बताई है। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि कई जगह वे चश्मदीद बने रहे। पीड़ितों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि कई मामलों में FIR लिखने से मना कर दिया गया।
हालांकि दिल्ली पुलिस पहले ही अपने ऊपर लगाए आरोपों को गलत बता चुकी है। गृहमंत्री अमित शाह संसद में भी कह चुके हैं कि दिल्ली में हुए दंगों के दौरान पुलिस ने अच्छा काम किया।
दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त जनसंपर्क पदाधिकारी एसीपी अनिल मित्तल ने मीडिया से कहा, 'दिल्ली पुलिस ने दंगों की निष्पक्ष और पेशेवर तरीके से जांच की है। विज्ञापन देकर सभी से अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया और हेल्पलाइन नँबर जारी की गई थी। हिंसा के मामले में 752 केस दर्ज किए गए हैं, जो अबतक रिकार्ड है। इनमें 372 केस सुलझा लिए गए। 1470 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 200 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर हो चुकी है। 400 से ज्यादा केस तो अल्पसंख्यकों की शिकायत पर दर्ज किए गए। तीन एसआईटी जांच कर रही है। मुआवजे के लिए क्लेम कमिश्नर की नियुक्ति हुई है। अगर कोई अब भी किसी तरह की शिकायत दर्ज कराना चाहता है, तो वह भी दर्ज की जाएगी।'
कमिटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि भीड़ ने उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई स्थानों पर लोगों के घरों पर हमले किए और उनके घरों को नुकसान पहुंचाया गया। दुकानों को निशाना बनाया गया। भीड़ में स्थानीय और बाहरी दोनों लोग शामिल थे। पीड़ितोंं के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सुुनियोजित थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कमिटी ने मुआवजे के लिए लिखे 700 आवेदनों का अध्ययन किया, जिसमें पाया गया कि कई मामलों में क्षतिग्रस्त स्थान का दौरा नहीं किया गया है। जिन मामलों को सही पाया गया है, उनमें भी अंतरिम सहायता बहुत कम दी गई है। कई लोग हिंसा के बाद घर छोड़कर चले गए हैं, ऐसे लोग मुआवजे के लिए अपील नहीं कर सके हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कमिटी ने आरोप लगाया है कि दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन कानून(सीएए) बनने के बाद इसके खिलाफ देशभर में प्रदर्शन होने लगे। दिल्ली में भी कई जगहों पर CAA के खिलाफ प्रदर्शन होने लगे। कमिटी ने आरोप लगाया है कि CAA विरोधियों के खिलाफ भाषण दिए गए।
उत्तर-पूर्व दिल्ली के एमपी मनोज तिवारी ने मीडिया से कहा कि इस रिपोर्ट को तैयार करने के पीछे कोई छुपा एजेंडा लग रहा है। सभी जानते हैं, सच क्या है। उन्होंने कहा 'पहले CAA प्रदर्शनों के दौरान भड़काऊ भाषण दिए गए। हमारे बड़े नेताओं के खिलाफ अपशब्द कहे गए। फिर बस में आग लगाई गई। राष्ट्रपति ट्रंप के दौरे को बाधित करने की कोशिश की गई। उतर-पूर्व दिल्ली को शेष दिल्ली से अलग-थलग करने की कोशिश की गई।'