हाईकोर्ट ने कई न्यूज चैनलों को भेजा समन, कहा बहुत बेहतर था ब्लैक एंड व्हाइट दूरदर्शन युग, रिपोर्टिंग का तरीका सुधारें

फिल्म निर्माताओं की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कई मीडिया चैनलों को समन जारी किया है, हाईकोर्ट ने कहा कि अगर आप आत्म-संयम नहीं बरत रहे हैं, तो हम क्या करेंगे? अदालतों के सामने आपका अंडरटेकिंग भी नहीं काम कर रहा है.....

Update: 2020-11-09 13:59 GMT

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को टाइम्स नाउ और रिपब्लिक टीवी सहित विभिन्न मीडिया चैनलों को समन जारी किया। कोर्ट ने चार बॉलीवुड संगठनों और 34 निर्माताओं द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की और इन आउटलेट्स से समाचार रिपोर्टिग के मानकों में सुधार के लिए उचित समाधान के साथ आने के लिए कहा। याचिकाकर्ताओं ने समाचार चैनलों पर हिंदी फिल्म उद्योग और उसके सदस्यों के खिलाफ 'गैर-जिम्मेदाराना, अपमानजनक टिप्पणी' को लेकर लगाम लगाने की मांग की थी।

न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने मीडिया चैनलों से जवाब मांगा और मामले की आगे की सुनवाई 14 दिसंबर तक के लिए टाल दी। जब अदालत इस मामले की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कर रही थी, तब याचिकाकर्ताओं के वकील राजीव नायर ने कहा कि यह सब अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या से शुरू हुआ, जो बाद में हत्या बन गई, फिर बॉलीवुड आपराधिक बन गया, फिर ड्रग पेडलर्स और अब आईएसआई से जोड़ दिया गया। उन्होंने कहा कि यह बात इस मानहानि शिकायत का आधार है।

उन्होंने अनुरोध किया कि यूट्यूब और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से आपत्तिजनक सामग्री को हटा दिया जाए। नायर ने अदालत के समक्ष गुहार लगाते हुए कहा, 'मैं तुरंत चाहता हूं कि यूट्यूब और ट्विटर पर जो अपमानजनक चीजें सामने आई हैं, उन्हें तुरंत हटा दिया जाए।'

बॉलीवुड संस्थाओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अखिल सिब्बल भी पेश हुए। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के आदर्श विचार और टीवी मीडिया के एक निश्चित वर्ग द्वारा किए गए काम के बीच एक अंतर है। सिब्बल ने तर्क दिया कि प्रेस किसी को दोषी नहीं ठहरा सकता है। उन्होंने कहा, 'सबूतों की जांच कोर्ट द्वारा की जाती है, मीडिया चैनलों द्वारा नहीं।'

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अदालत ने सवाल किया, 'वे (बॉलीवुड सेलेब्स) खुद इस मुकदमे के पक्षकार क्यों नहीं बन गए? चूंकि वे पीड़ित हैं, उन्हें व्यक्तिगत रूप से संपर्क करना चाहिए।' इसने कहा कि इससे पता चलता है कि ये लोग नुकसान का दावा करने में हिचकिचाते हैं।

हाईकोर्ट ने समाचार चैनलों से यह भी सवाल किया कि रिपोर्टिग मानकों में सुधार के लिए क्या किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा, 'अगर आप आत्म-संयम नहीं बरत रहे हैं, तो हम क्या करेंगे? अदालतों के सामने आपका अंडरटेकिंग भी नहीं काम कर रहा है।'

अदात ने कहा, 'मुझे लगता है कि ब्लैक एंड व्हाइट दूरदर्शन युग बहुत बेहतर था।'  न्ययमूर्ति राजीव शकधर ने कहा, 'लोगों में प्रेस के बारे में डर फैल गया है। यहां तक कि अगर बड़ी हस्तियों की निजता का मुद्दा कमजोर भी करें तो भी आप (समाचार चैनल) उनके निजी जीवन को पब्लिक डोमेन में नहीं खींच सकते।'

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