दिशा की गिरफ्तारी पर हमलावर हुए थरूर, बोले एक्टिविस्ट जेल में और दविंदर सिंह जैसे टेररिस्ट बेल पर
थरूर ने केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर होकर कहा, एक्टिविस्ट जेल में बंद है, जबकि टेररिस्ट (आतंकवादी) जमानत पर है। आश्चर्य है कि हमारे अधिकारी पुलवामा हमले की सालगिरह को कैसे मनाएंगे? आपके पास इस हेडलाइन के पेयर का जवाब है...
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने किसानों के विरोध प्रदर्शनों से संबंधित 'टूलकिट' को साझा करने में कथित भागीदारी के आरोप में बेंगलुरु की 21 वर्षीय कार्यकर्ता दिशा रवि की गिरफ्तारी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। थरूर ने अपमानजनक जम्मू-कश्मीर डीएसपी दविंदर सिंह की एक तस्वीर साझा की, जो जमानत पर बाहर हैं।
उन्होंने कहा, "एक्टिविस्ट जेल में बंद है, जबकि टेररिस्ट (आतंकवादी) जमानत पर है। आश्चर्य है कि हमारे अधिकारी पुलवामा हमले की सालगिरह को कैसे मनाएंगे? आपके पास इस हेडलाइन के पेयर का जवाब है?"
साथ ही थरूर ने जलवायु कार्यकर्ता की गिरफ्तारी की खबर साझा की।
दिशा रवि 'फ्राइडे फॉर फ्यूचर' अभियान के संस्थापकों में से एक हैं और उन्होंने कथित रूप से 'टूलकिट' को संपादित किया और इसे सोशल मीडिया पर आगे बढ़ाया। दिशा को शनिवार को बेंगलुरु के सोलादेवनहल्ली इलाके में उसके घर से गिरफ्तार किया गया।
गौरतलब है कि दिल्ली की एक अदालत ने रविवार 14 फरवरी को किसानों के विरोध से संबंधित 'टूलकिट' साझा करने के आरोप में गिरफ्तार 21 वर्षीया जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि को पांच दिनों के लिए पुलिस की स्पेशल सेल की हिरासत में भेज दिया।
दिशा को दिल्ली पुलिस ने शनिवार को बेंगलुरु के सोलादेवनाहल्ली इलाके से गिरफ्तार किया था। वह 'फ्राइडे फॉर फ्यूचर' कैम्पेन के संस्थापकों में से एक हैं और कथित रूप से 'टूलकिट' को संपादित किया और इसे सोशल मीडिया पर फॉरवर्ड किया।
दिल्ली पुलिस ने टूलकिट बनाने वालों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए, 120-ए और 153-ए के तहत राजद्रोह, आपराधिक षड्यंत्र और समूहों के बीच घृणा को बढ़ावा देने के आरोप में 4 फरवरी को एफआईआर दर्ज की थी। टूलकिट को अंतर्राष्ट्रीय जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने भी साझा किया था।
पुलिस के अनुसार, 26 जनवरी के आसपास किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई घटनाओं, जिसमें लालकिले के पास हिंसा भी शामिल है, इन सबका टूलकिट में विस्तृत रूप से 'एक्शन प्लान' के तौर पर जिक्र है।
पुलिस ने कहा कि इसे बनाने वालों की मंशा विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक समूहों के बीच असहमति पैदा करने और केंद्र सरकार के खिलाफ असहमति को प्रोत्साहित करना था और इसका उद्देश्य भारत के खिलाफ सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक युद्ध छेड़ना था।