जीबी रोड की यौनकर्मियों के लिए कोरोना बना कोठे से मुक्ति का रास्ता, शुरू किया नया काम
कटकथा एनजीओ में कार्यरत प्रज्ञा बसेरिया बताती हैं कि हमारी एनजीओ में जीबी रोड से 10 महिलाएं मास्क बनाने आ रही हैं लेकिन 8 महिलाएं ऐसी हैं जिन्होंने जीबी रोड छोड़ दिया है....
दिल्ली से मोहम्मद शोएब की रिपोर्ट
नई दिल्ली। कोरोना और लॉकडाउन के चलते देश के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया में से एक दिल्ली के जीबी रोड पर रह रहीं 8 सेक्सवर्कर्स ने एक नई जिंदगी की ओर कदम बढ़ाया है। लॉकडाउन में काम न होने की वजह से इन 8 महिलाओं ने जीबी रोड छोड़ दिया और अब ये सभी महिलाएं एक एनजीओ के साथ मिलकर मास्क बनाने का काम कर रहीं हैं।
एनजीओ की तरफ से इन महिलाओं को प्रतिदिन 30 से 40 मास्क बनाने को दिए जाते हैं। एनजीओ में हर मास्क पर एक महिला को 5 रुपये से 7 रुपये तक मिलता है। अभी ये सब महिलाएं रोजाना 40 से 50 मास्क तक बना लेती हैं।
कटकथा एनजीओ में कार्यरत प्रज्ञा बसेरिया, जो की हार्ट शाला प्रोजेक्ट पर काम कर रहीं हैं, ने बताया, "हमारी एनजीओ में जीबी रोड से 10 महिलाएं मास्क बनाने आ रही हैं लेकिन 8 महिलाएं ऐसी है, जिन्होंने जीबी रोड छोड़ दिया है और अपनी एक नई जिंदगी की शुरूआत की है।"
उन्होंने कहा, "हम अगले हफ्ते तक 5 और महिलाओं को अपने साथ शामिल करेंगे और वो सभी जीबी रोड छोड़ कर हमारे साथ आएंगी और मास्क बना कर अपनी जिंदगी यापन करेंगी। हमने हाल ही में वहां सर्वेय कराया थाए करीब 800 महिलाएं अभी भी जीबी रोड पर रह रहीं हैं।"
जीबी रोड पर 22 बिल्डिंग है। इन सभी बिल्डिंग में कुल 84 कोठे है और हर कोठे का एक नम्बर होता है। ये सभी कोठे पहले, दूसरे और तीसरी मंजिल पर बसे हुए हैं। वहीं ग्राउंड फ्लोर पर टेलर,ए इलेक्ट्रिक शॉप, जनरल स्टोर आदि खुले हुए हैं। हर कोठे में 10 से 15 सेक्सवर्कर्स हैं और करीब 800 सेक्सवर्कर्स हैं।
चांदनी (बदला हुआ नाम) ने बताया, "मुझे इस लॉकडाउन में काफी परेशानी हो गई थी। उसके बाद मुझे एनजीओ की तरफ से मदद मिली, अब मैं रोजाना 30 मास्क बना लेती हूं। मुझे अभी अच्छा लग रहा हैए मुझे एनजीओ की तरफ से घर भी दिया गया है।" कोरोना और लॉकडाउन के चलते देश के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया में से एक दिल्ली के जीबी रोड पर रह रहीं 8 सेक्सवर्कर्स ने एक नई जिंदगी की ओर कदम बढ़ाया है। लॉकडाउन में काम न होने की वजह से इन 8 महिलाओं ने जीबी रोड छोड़ दिया और अब ये सभी महिलाएं एक एनजीओ के साथ मिलकर मास्क बनाने का काम कर रहीं हैं।
एनजीओ की तरफ से इन महिलाओं को प्रतिदिन 30 से 40 मास्क बनाने को दिए जाते हैं। एनजीओ में हर मास्क पर एक महिला को 5 रुपये से 7 रुपये तक मिलता है। अभी ये सब महिलाएं रोजाना 40 से 50 मास्क तक बना लेती हैं।
कटकथा एनजीओ में कार्यरत प्रज्ञा बसेरिया, जो की हार्ट शाला प्रोजेक्ट पर काम कर रहीं हैं, ने बताया, "हमारी एनजीओ में जीबी रोड से 10 महिलाएं मास्क बनाने आ रही हैं लेकिन 8 महिलाएं ऐसी है,ं जिन्होंने जीबी रोड छोड़ दिया है और अपनी एक नई जिंदगी की शुरूआत की है।"
उन्होंने कहा, "हम अगले हफ्ते तक 5 और महिलाओं को अपने साथ शामिल करेंगे और वो सभी जीबी रोड छोड़ कर हमारे साथ आएंगी और मास्क बना कर अपनी जिंदगी यापन करेंगी। हमने हाल ही में वहां सर्वे कराया था, करीब 800 महिलाएं अभी भी जीबी रोड पर रह रहीं हैं।"
जीबी रोड पर 22 बिल्डिंग है। इन सभी बिल्डिंग में कुल 84 कोठे है और हर कोठे का एक नम्बर होता है। ये सभी कोठे पहले, दूसरे और तीसरी मंजिल पर बसे हुए हैं। वहीं ग्राउंड फ्लोर पर टेलर,ए इलेक्ट्रिक शॉप, जनरल स्टोर आदि खुले हुए हैं। हर कोठे में 10 से 15 सेक्सवर्कर्स हैं और करीब 800 सेक्सवर्कर्स हैं।
चांदनी (बदला हुआ नाम) ने बताया, "मुझे इस लॉकडाउन में काफी परेशानी हो गई थी। उसके बाद मुझे एनजीओ की तरफ से मदद मिली, अब मैं रोजाना 30 मास्क बना लेती हूं। मुझे अभी अच्छा लग रहा हैए मुझे एनजीओ की तरफ से घर भी दिया गया है।"