किसान आंदोलन में एक और बुजुर्ग किसान की मौत, 65 दिनों से टिकरी बॉर्डर पर डटे थे

जानकारी के मुताबिक मृतक की पहचान विजेंद्र सिंह के रूप में हुई है। वह झज्जर जिले के छारा गांव के रहने वाले थे। टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन के दौरान उनकी तबियत खराब हो गई थी।

Update: 2021-02-09 10:51 GMT

नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा पारित तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ 26 नवंबर 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। इन प्रदर्शनों के दौरान अबतक डेढ़ सौ से ज्यादा किसानों की माौत हो चुकी है। ताजा खबर यह है कि टिकरी बॉर्डर पर एक और किसान की मौत हो गई है। बताया जा रहा है कि मृतक किसान बीते 65 दिनों से किसान आंदोलन में डटे हुए थे। 

जानकारी के मुताबिक मृतक की पहचान विजेंद्र सिंह के रूप में हुई है। वह झज्जर जिले के छारा गांव के रहने वाले थे। टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन के दौरान उनकी तबियत खराब हो गई थी। 

बता दें कि इससे दो दिन पहले दिल्ली-हरियाणा के टिकरी बॉर्डर पर एक किसान ने फांसी लगाकर जान दे दी थी। मरने से पहले मृतक किसान कर्मबीर ने सुसाइड लिखा जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार के खराब रवैये के परेशान होने की बात लिखी थी।

कर्मबीर ने सुसाइड नोट में लिखा था- भारतीय किसान युनियन जिन्दाबाद। प्यारे किसान भाइयों ये मोदी सरकार तारीख पर तारीख देता जा रहा है इसका कोई अंदाजा नहीं कि ये काले कानून कब रद्द होंगे। जब तक ये काले कानून रद्द नहीं होंगे तब तक हम यहां से नहीं जाएंगे। 

52 वर्षीय कर्मबीर हरियाणा के जींद जिला के सिंघवाल गांव के रहने वाले थे। कर्मबीर की तीन बेटियां हैं और एक बेटी की शादी हो चुकी है। 

इससे पहले कृषि कानूनों के खिलाफ 73 दिन से आंदोलन कर रहे किसानों ने शनिवार को 3 राज्यों दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को छोड़ देशभर में चक्काजाम किया था। दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक किए गए जाम का सबसे ज्यादा असर राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में दिखा था।

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