Jahangirpuri Demolition के खिलाफ खुलकर सामने आईं वृंदा करात और प्रशांत भूषण, आदेश के बाद की कार्रवाई को बताया 'गैर कानूनी'

Jahangirpuri Demolition : जहांगीरपुरी में बुलडोजर की कार्रवाई को वृंदा करात और प्रशांत भूषण गैर कानूनी करार दिया है।

Update: 2022-04-20 07:29 GMT

Jahangirpuri Demolition : दिल्ली के जहांगीरपुरी में बुलडोजर की कार्रवाई के खिलाफ बुधवार को वामपंथी पार्टी की नेता वृंदा करात ( Brinda Karat ) और वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ( Prashant Bhushan ) खुलकर सामने आये। दोनों ने सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) के आदेशों के बाद एमसीडी ( MCD ) की कार्रवाई को गैर कानूनी ( Illegal ) करार दिया है। 

लोगों से की शांति की अपील

बुधवार को जहांगीरपुरी में जारी बुलडोजर की कार्रवाई को रोकने का आदेश सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी होने के बाद वामपंथी नेता वृंदा करात ( Brinda karat ) वहां पहुंची। उन्होंने कहा कि मुझे जानकारी मिली थी कि शीर्ष अदालत ( Supreme Court ) के आदेश के बाद भी यहां पर कार्रवाई है। मैं, यहां अदालत की कॉपी लेकर आया हूं ताकि उन्हें इस बात की जानकारी दे सकूंं। उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद यहां पर कार्रवाई जारी है तो यह अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई पूरी तरह से कानून और संविधान विरोधी है। अदालत के आदेशों के बाद कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।

इसके बाद वृंदा करात विशेष आयुक्त कानून और व्यवस्था दीपेंद्र पाठक से मिलीं और आदेश की कॉपी दिखाया। उन्होंने कहा कि मैं जहांगीरपुर ( Jahangirpuri Demolition ) के लोगों से शांति और सद्भाव बनाए रखने और सुप्रीम कोर्ट के अगले आदेश की प्रतीक्षा करने की अपील करती हूं। त़़ोड़फोड़ की कार्रवाई संविधान के खिलाफ था। स्पेशल सीपी ने मुझे आश्वासन दिया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक कोई विध्वंस नहीं होगा। 

इसके बाद विशेष आयुक्त कानून व्यवस्था दीपेंद्र ठाकुर ने कहा कि एमसीडी की कार्रवाई को रोक दी गई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पूरी तरह से पालन होगा। 

बगैर नोटिस कार्रवाई सही नहीं

वहीं सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ( Prashant Bhushan ) ने कहा कि बिना नोटिस सर्व किए जहांगीरपुरी में अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई गैर कानूनी कृत्य है। एमसीडी ने लोगों को कार्रवाई के बारे में कोई पूर्व जानकारी नहीं दी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी बुलडोजर की कार्रवाई जारी रहना गलत है। एमसीडी को चाहिए कि वो शीर्ष अदालत के अदेशों का पलान करे।

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