कश्मीर में मानवाधिकार और सेना के खिलाफ टिप्पणी करने पर JNU के एक और छात्र पर मुकदमा दर्ज

जेएनयू के आरोपी छात्र ने अपने ट्वीट में लिखा कि यह असहमति की आवाज दबाने का प्रयास है और वो पहले व्यक्ति नहीं हैं जिसे सरकार की आलोचना करने पर निशाना बनाया गया है.....

Update: 2020-07-26 12:00 GMT

नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के एक और छात्र साजिद बिन सयेद के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक भारतीय सेना के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी के बाद छात्र के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है। फिलहाल इसकी जांच की जा रही है। छात्र साजिद बिन सयेद कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया छात्र संगठन से भी जुड़ा है औऱ इसका अध्यक्ष बताया जा रहा है।

जेएनयू के छात्र के खिलाफ यह एफआईआर तजिंदर यादव नाम के व्यक्ति ने 8 जुलाई को कापसहेड़ा थाने में दर्ज कराई। इस एफआईआर में तजिंदर ने दावा किया है कि जेएनयू के छात्र ने ट्विटर पर पोस्ट किया कि कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ सेना का अभियान 'गलत और देश के खिलाफ' है।

वहीं छात्र ने अपने ट्वीटर हैंडल से इस बारे में लिखा कि उनसे मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए एफआईआर की जानकारी मिली है। उन्होंने लिखा, 'यह असहमति की आवाज दबाने का प्रयास है और वो पहले व्यक्ति नहीं हैं जिसे सरकार की आलोचना करने पर निशाना बनाया गया है।'

शिकायत दर्ज करवाने वाले तजिंदर यादव ने दावा किया कि वह भाजपा युवा मोर्चा की महरौली इकाई से जुड़े हुए हैं। साजिद के खिलाफ आईपीसी की धारा 504 और धारा 153 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हमें लिखित शिकायत मिली है और आईपीसी की धारा 153 और 504 के तहत मामला दर्ज किया गया है।'

वहीं इस मामले के सामने आने के बाद कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया ने फेसबुक पर एक पोस्ट कर कहा, 'कश्मीर में मानव अधिकारों के उल्लंघन की आलोचना करने वाले एक ट्वीट पर कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष एमएस साजिद के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का कदम, बीजेपी सरकार के खिलाफ विरोध की आवाज़ उठाने वाले लोगों की धर-पकड़ के जारी सिलसिले का हिस्सा है। यह 'कश्मीरी अवाम के संवैधानिक अधिकारों की बात करने' को देश विरोधी करार देने की हिंदुत्व सरकार की कोशिश है।'

इस बयान में आगे कहा गया है, 'कश्मीर पर मोदी सरकार की नीतियां दुनिया भर में स्वीकृति से ज़्यादा विरोध का कारण बनी हैं, जो कि कश्मीरियों की इच्छा के खिलाफ और देश के क्रोध के बावजूद धारा 370 को हटाने के लिए सरकार द्वारा अपनाए गए भयंकर और अप्राकृतिक तरीकों से साफ ज़ाहिर होता है। कश्मीर में संचार पर रोक के कारण पिछले साल अगस्त से वहां बुनियादी अधिकारों का हनन काफी बढ़ गया है।

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'इस पर कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और बड़े संगठनों ने बात की है, जिनमें संयुक्त राष्ट्र के मानव अधिकार उच्चायुक्त की रिपोर्ट मुख्य है। लेकिन बीजेपी सरकार उनमें से किसी पर कोई ध्यान न देने और अति-राष्ट्रवाद का खेल खेलते हुए विरोधियों को निशाना बनाने पर अड़ी हुई है। ऐसे में कट्टरपंथी भगवा ब्रिगेड और देश के वर्दीधारी पुलिस बल असहमतियों को मिटाने के लिए हाथ से हाथ मिलाकर काम कर रहे हैं।'

इसमें आगे कहा गया है, 'आरएसएस द्वारा यह माहौल बनाया जा रहा है कि सरकार के खिलाफ की गई हर आलोचना देश विरोधी गतिविधी है, जो कि लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ है। विरोध लोकतंत्र को ज़िंदा रखता है, यह सोच हमारे संविधान ने दी है और सुप्रीम कोर्ट ने इसे कई मौकों पर बरकरार रखा है। विरोध से खाली राष्ट्र बनाने के आरएसएस के सपने का पुरज़ोर विरोध होना चाहिए। विरोध की आवाज़ों को दबाने, संगठन को बदनाम करने और उसके लीडर को निशाना बनाने का मौजूदा कदम बदइरादे वाला कदम है।'

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