मनीष सिसोदिया, शबाना आजमी और अजीम प्रेमजी 'महात्मा पुरस्कार' से हुए सम्मानित

उपमुख्यमंत्री मनीष ने कहा कि, "महात्मा गांधी ने सक्षम लोगों को अक्षम लोगों की सेवा में लगाकर देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज सीएसआर के तहत भी महात्मा गांधी के विचारों पर चलते हुए समाज में सक्षम व अक्षम लोगों के बीच की दूरी कम करने का काम होता है।"

Update: 2021-01-30 15:52 GMT

नई दिल्ली। शिक्षा में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को 'महात्मा पुरस्कार' से सम्मानित किया गया है। सामाजिक कार्य और मानवीय प्रयासों के लिए 'महात्मा पुरस्कार' प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार की शुरूआत आदित्य बिड़ला समूह ने की है। इसका उद्देश्य अच्छे कार्य करके समाज में परिवर्तन लाने वाले व्यक्तियों व संस्थाओं को सम्मानित करना है। महात्मा गांधी की 73 वीं पुण्यतिथि पर यह कार्यक्रम आयोजित हुआ। विप्रो के संस्थापक अजीम प्रेम जी, अभिनेत्री शबाना आजमी सहित अन्य प्रमुख लोगों को भी 'महात्मा पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।

इस मौके पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि, "महात्मा गांधी ने सक्षम लोगों को अक्षम लोगों की सेवा में लगाकर देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज सीएसआर के तहत भी महात्मा गांधी के विचारों पर चलते हुए समाज में सक्षम व अक्षम लोगों के बीच की दूरी कम करने का काम होता है।"

सिसोदिया ने कहा कि, "देश में आजादी के बाद शिक्षा पर कार्य हुए, लेकिन उसका लाभ सिर्फ 5 प्रतिशत विद्यार्थियों को मिला। शेष 95 प्रतिशत बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाई। सरकारों की नीतियां और प्राथमिकता चाहे जो भी रही हों, लेकिन आउटकम पर नजर डालें तो यही दिखेगा कि 95 प्रतिशत बच्चे अच्छी शिक्षा से वंचित रह गए।"

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गांधी जी ने देश के लिए जो सपने देखे थे, उन सपनों का एक अंश शिक्षा भी था। दिल्ली सरकार के मुताबिक वह इस पर काम कर रही है और पिछले 4-5 पांच वर्षों में शिक्षा का आधार मजबूत करने का काम किया है। लेकिन शिक्षा को आधार बनाकर राष्ट्र के ढांचे को मजबूत करने का काम अभी बाकी है।

उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने कहा, "आज भारतीय जनमानस का औसत सपना उच्च शिक्षा के लिए अपने बच्चों को हार्वर्ड, ऑक्सफोर्ड जैसे विश्वविद्यालयों में भेजने का है। परंतु आज हमें यह प्रण लेना चाहिए कि हम अपनी शिक्षा पद्धति पर इतनी मजबूती से काम करें कि भविष्य में अमेरिका, जापान, ब्रिटेन जैसे देश के अभिभावक अपने बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए भारत के किसी शहर में भेजने का सपना देखें। जिस दिन हम दुनिया के लोगों को यह सोचने के लिए मजबूर कर देंगे, उस दिन वास्तव में महात्मा गांधी का सपना पूरा होगा और भारत पूरे विश्व का नेतृत्व करेगा।"

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