दिल्ली में एमसीडी अधिकारी ने पलटी गरीब की रेहड़ी, जनता बोली 'पकौड़े बेंचना रोजगार कचौड़ी नहीं'

गरीब की साईकिल में बंधे कचोड़ी सब्जी को पलट दिए जाने के बाद मौके पर मौजूद लोगों की एमसीडी वाले से नोंकझोंक भी हुई। उसका सामान बिखेरने के बाद उसकी साईकिल व डब्बे को भी ट्रक में डालकर ले गए।

Update: 2020-10-14 08:43 GMT

जनज्वार, नई दिल्ली। 'क्या पकोड़े बेचना ही रोजगार है कचोड़ी नहीं?' यह सवाल है दिल्ली की उस जनता का जिसने एमसीडी के एक सिरफिरे अधिकारी द्वारा गरीब की रोजी रोटी सड़क पर पलटा दी। गरीब की साईकिल में बंधे कचोड़ी सब्जी को पलट दिए जाने के बाद मौके पर मौजूद लोगों की एमसीडी वाले से नोंकझोंक भी हुई। उसका सामान बिखेरने के बाद उसकी साईकिल व डब्बे को भी ट्रक में डालकर ले गए।

दिल्ली के मुख्यमंत्री दिल्ली में रह रहे हजारों गरीबो के मसीहा बताए जाते हैं। लेकिन उन्हीं की दिल्ली के आनन्द विहार बस अड्डे में शौचालय की तरफ कई लोगों की आँखों के सामने एमसीडी के अधिकारियों ने साईकिल पर बेंचे जा रहे कचोड़ी सब्जी को धक्का मारकर सड़क पर बिखेर दिया। गरीब ने अन्न गिराए जाने का विरोध किया तो लाल शर्ट में खड़ा अधिकारी उसे पुलिस की धमकी देता है साथ ही उसपर सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप लगा रहा है। उक्त अधिकारी जिस सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप लगा रहा है, वह कुर्सी के घमण्ड में खुद अपना काम भूला दिख रहा है।

वहां मौजूद कई लोगों की अधिकारी से बहस भी हुई। अधिकारी हर एक को इसे अपना काम ही बताता रहा। इस वायरल वीडियो में लोग कह रहे हैं कि 'तुम कैसे अधिकारी हो, किसी गरीब को नहीं देख सकते।' तो कोई कह रहा है 'लानत है तुमपर, अन्न को जमीन पर बिखेर दिया।' मौजूद लोगों ने गरीब का सामान गिराए जानो के बाद उसकी साईकिल और डब्बा उसे वापस देने को कहा जिसपर एमसीडी के लोगों ने मना करते हुए उसे भी लादकर ले गए।

जनता ने अपनी भड़ास निकालते हुए कहा है 'क्या सरकार ने ये आदेश दिए हैं कि गरीब को घेर के पहले उसका सभी सामान गिरा दो? फिर उसकी साईकल को भी ले जाओ? क्या कसूर है इस गरीब भाई का जो उसके साथ ऐसा बर्ताव, अगर सामान जब्त करना है तो कम से कम उस गरीब का खाना सड़क पर तो मत गेरो, वहां मौजूद जनता के बोलने पर अधिकारी ने पुलिस भी बुलाई। पुलिस ने भी आम लोगों को ही भला बुरा कहा। पुलिस ने इस अनैतिक काम में एमसीडी अधिकारी का साथ दिया जनता बोली 'बहुत दिल दुखा ये सब देख के, ड्यूटी ड्यूटी की तरह होनी चाहिये, गुंडागर्दी की तरह नहीं।'

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