Panchjanya Expose : पत्रकारिता की आड़ में कैसे बोई जा रही नफरत की फसल, इस पांचजन्य वाले संपादक को पढ़कर समझिए!
Panchjanya Expose : दिल्ली पुलिस बता चुकी है कि खबर फर्जी है। संपत्ति हिन्दू परिवार की है और उसी ने गिराया है। लेकिन यह नफ़रती ट्वीट नहीं मिटाएंगे क्योंकि ये पांचजन्य के 'पत्रकार' हैं...
Panchjanya Expose (जनज्वार) : पत्रकारिता में की आड़ में बैठी नफरती गैंग नफरत कैसे फैलाती है, इसका जीता जागता उदाहरण आपको उपर की फोटो को देखकर समझना पड़ेगा। यह फोटो दरअसल दिल्ली के मुस्लिम बहुल इलाके नूर नगर की बताई जा रही है। जिसे कथित आरएसएस समर्थित पत्रिका पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर ने पोस्ट किया है।
भगवा पत्रिका पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर ने इस फोटो को ट्वीट कर लिखा है, 'दिल्ली के मुस्लिम बहुल नूर नगर में एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद निशान तक मिटाए जा रहे हैं। मंदिर गिराने वालों को मंदिर वहीं बनाना होगा।' केंद्र सरकार के अंडर आने वाली दिल्ली पुलिस ने संपादक द्वारा गलत बताए गये निर्माण को सही ठहराया है।
दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने संपादक की इस बात का खंडन भी किया है। जिसमें कहा गया है कि, 'स्थानीय पुलिस ने ट्वीट की सामग्री को सत्यापित करने के लिए मौके का दौरा किया। संपत्ति हिंदू समुदाय के एक सदस्य की है जो स्वयं अपनी संपत्ति में मंदिर से सटे बने क्षेत्र को नष्ट / साफ कर रहा था। मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ है और यह बरकरार है।'
दिल्ली पुलिस के डीसीपी साउथ द्वारा खंडन के बाद नफरती संपादक ने कुछ तथ्य पेश किए गये, जिसमें कहा गया : 1) मंदिर का अर्थ केवल गर्भगृह नहीं, ऐसा पूरा परिसर देवता का स्थान होता है।
2) साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वालों से इतर ध्यान दें स्थानीय मुस्लिम ही मंदिर तोड़ने का विरोध कर रहे हैं।
3) पिता ने मंदिर बनवाया तो क्या पुत्र भूमि को व्यावसायिक उपयोग में बदल सकता है?
संपादक के तथ्यों के मुताबिक अगर घर के अंदर या बाहर मंदिर बना दिया अथवा बना है तो वह पूरा परिसर देवता का है। इंसान भले ही फुटपाथ पर रहे। मंदिर होने या उसके आस-पास कोई व्यक्ति ना ही निर्माण करा सकता है और ना ही रि-डवलपमेंट ही करा सकता है। आप खुद इस संपादक के बेतुके तथ्यों को पढ़ें।
अब पांचजन्य के संपादक के इस ट्वीट पर अशोक कुमार पांडेय ने जो जवाब दिया है वह भी पढ़िए, 'ये पांचजन्य के 'पत्रकार' हैं। दिल्ली पुलिस बता चुकी है कि खबर फर्जी है। संपत्ति हिन्दू परिवार की है और उसी ने गिराया है। लेकिन यह नफ़रती ट्वीट नहीं मिटाएंगे क्योंकि ये पांचजन्य के 'पत्रकार' हैं और हाल में ही बताया गया कि पांचजन्य आरएसएस का मुखपत्र नहीं है।'
कुल मिलाकर कुछ भी, कहीं भी, ये नफरती चिंटू किसी भी रूप में अपना उल्लू सीधा करने की फिराक में लगे रहते हैं। इनके दिमाग में हर वक्त सिवाय नफरत के और कुछ चलता भी नहीं लगता। 24 घंटे हिंदू मुस्लिम का राग अलापे बगैर इनकी रोटी भी हजम होती नहीं दिखती। लेकिन इन जैसे पत्रकारिता की आड़ में छुपे नफरती गैंग व उनके चेले चपाटों से सावधान रहने की जरूरत है।