'प्रसार भारती ने 'राष्ट्र विरोधी' कवरेज को लेकर PTI की सदस्यता रद्द करने की दी धमकी'

भारत और चीन के बीच सीमा गतिरोध के बीच समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा सन वेदोंग का एक इंटरव्यू लिया गया जिसके बाद यह चेतावनी दी गई है...

Update: 2020-06-27 16:00 GMT

जनज्वार ब्यूरो। सार्वजनिक प्रसारणकर्ता प्रसार भारती ने कथित तौर पर 'राष्ट्रविरोधी कवरेज' के लिए समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) की सदस्यता को रद्द करने की धमकी दी है। 'द हिंदू' की रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से यह दावा किया गया है।

प्रसार भारती सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय है जो  दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो चलाता है। पीटीआई एक समाचार एजेंसी है जो ग्राहक के रूप में मुख्यधारा के मीडिया, कंपनियों और कई सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों जैसे समाचार प्रदान करती है। प्रसार भारती पीटीआई के सबसे बड़े ग्राहकों में से एक है।

रिपोर्ट के मुताबिक भारत और चीन के बीच सीमा गतिरोध के बीच समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा सन वेदोंग का एक इंटरव्यू लिया गया जिसके बाद यह चेतावनी दी गई है। 15 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प का आरोप  शुक्रवार को साक्षात्कार में चीनी राजनयिक ने नई दिल्ली पर लगाया था। इस हिंसक झड़प में बीस भारतीय जवान शहीद हो गए थे। भारत और चीन के बीच 40 साल से अधिक समय में यह पहली बड़ी घातक लड़ाई थी।  

सन वेदोंग ने पीटीआई से कहा था, 'भारतीय पक्ष ने उकसावे के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार किया और चीनी सैनिकों पर हमला किया। भारतीय बलों ने दोनों देशों के बीच के सीमा मुद्दों पर हुए समझौतों का गंभीरता से उल्लंघन किया।'

'द हिंदू' ने अज्ञात अधिकारियों के हवाले से लिखा, प्रसार भारती ने अपनी 'गहरी नाराजगी' से अवगत कराते हुए पीटीआई के चेयरपर्सन विजय कुमार चोपड़ा को यह कहते हुए पत्र लिखा कि समाचार एजेंसी की 'राष्ट्र विरोधी' रिपोर्टिंग रिश्ते को अधिक समय तक जारी नहीं रख सकती है। इस विषय पर प्रसार भारती के द्वारा जल्द ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। 

राज्य प्रसारक ने दावा किया उसने वर्षों से करोड़ों रूपये का 'विशाल' वार्षिक शुल्क का भुगतान करके समाचार एजेंसी का समर्थन किया है। इसने एजेंसी पर सदस्यता शुल्क के युक्तिकरण के मुद्दे पर कठोर होने का भी आरोप लगाया।

'द वायर' के अनुसार, पीटीआई के खिलाफ प्रसार भारती की प्रतिक्रिया भी एक अलग साक्षात्कार से जुड़ी हो सकती है, जिसे समाचार एजेंसी ने बीजिंग मे भारतीय राजदूत विक्रम मिश्री के साथ किया था। पीटीआई ने मिश्री को कोट करते हुए लिखा था- चीनी सैनिकों को लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा से अपनी तरफ वापस जाने की आवश्यकता है। यह बयान प्रधानमंत्री के उस बयान के काउंटर चलता है जिसे प्रधानमंत्री ने पिछले सप्ताह सर्वदलीय बैठक में कहा था। 

प्रधानमंत्री के द्वारा पिछले सप्ताह सर्वदलीय बैठक में कहा गया था कि लद्दाख में न कोई बाहरी व्यक्ति घुसा है और न ही किसी ने कब्जा किया है। हालांकि समाचार एजेंसी द्वारा दिए गए बयान की सटीकता को अब तक न तो मिश्री और न ही विदेश मंत्रालय द्वारा इनकार किया गया है।

हालांकि 'द प्रिंट' की रिपोर्ट के मुताबिक प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने आरोपों को 'अनुचित' कहा। एजेंसी ने दावा किया कि चीनी दूतावास द्वारा अपनी वेबसाइट पर डाले गए एक इंटरव्यू के 'काटे गए संस्करण' के कारण 'एकतरफा' आलोचना हो रही है। एजेंसी ने कहा कि 'न्यूज़मेकर्स के साथ इंटरव्यू मीडिया संगठनों के लिए नियमित व्यवसाय है, जिस दौरान कई तरह के प्रश्न पूछे जाते हैं, कुछ टिप्पणियां समाचार बन जाती हैं।'

पीटीआई ने कहा कि राजदूत सन वेदोंग (नई दिल्ली में चीनी राजदूत) से कई सवाल किए गए, जिसमें 'कई बार उनके कथन को चुनौती दी गई'। हालांकि दूतावास ने आसानी से उन्हें नजरअंदाज कर दिया है और केवल तीन उत्तरों को 'मुख्य बिंदुओं' के रूप में प्रकाशित किया है। पीटीआई ने राजदूत सन वेदोंग को लिखा है कि वे साक्षात्कार की अपनी प्रस्तुति की सबसे मजबूत शब्दों में विरोध करें।'

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