जस्टिस अरुण मिश्रा के विदाई समारोह में बोलने नहीं दिया तो बिफरे SCBA चीफ दुष्यंत दवे, कहा जज अब बार से डरते हैं
दुष्यंत दवे ने कहा है कि अब जबतक वे बार के अध्यक्ष रहेंगे तबतक सुप्रीम कोर्ट के किसी कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे। उन्होंने आरोप लगाया है कि वर्चुअली आयोजित कार्यक्रम में जानबूझ कर उन्हें बार-बार डिस्कनेक्ट कर दिया जाता था...
जनज्वार। वरिष्ठ वकील व सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष दुष्यंत दवे को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के जज अरुण मिश्रा के विदाई कार्यक्रम में बोलने का मौका नहीं मिला। इससे बिफरे दुष्यंत दवे ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एसएस बोबडे को एक पत्र लिख कर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज करायी है और कहा है कि भविष्य में वे तबतक सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित किसी कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे, जबतक बार एसोसिएशन के अध्यक्ष का उनका कार्यकाल समाप्त नहीं होता है।
मुख्य न्यायाधीश को लिखे अपने पत्र में दुष्यंत दवे ने कहा है कि मुझे यह स्वीकार करना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट अब ऐसे स्तर पर आ गया है, जहां न्यायाधीश बार से डरते हैं। याद रखें जज आते हैं और चले जाते हैं, लेकिन हम स्थिर रहते हैं, हम इस महान संस्थान की वास्तविक ताकत हैं, क्योंकि हम स्थायी हैं।
दुष्यंत दवे ने इस मामले को लेकर दुःख प्रकट किया है और कहा है कि वे अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित किसी कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे।
क्या है पूरा मामला?
सुप्रीम कोर्ट के जज अरुण मिश्रा का दो सितंबर को रिटायरमेंट था। इसको लेकर बुधवार को एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। कोरोना संक्रमण के कारण वर्चुअली यानी वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यक्रम आयोजित किया गया था। दुष्यंत दवे के अनुसार, सुबह 10.16 बजे बजे के आसपास सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार द्वारा भेजे गए वाट्सएप मैसेज का उन्होंने 10.18 बजे जवाब देते हुए उसे स्वीकार कर लिया था। उनके अनुसार, 12.20 बजे वे उस लिंक से जुड़े और सुप्रीम कोर्ट की वीडियो कान्फ्रेंसिंग टीम द्वारा पुष्टि की गई की वीडियो व आडियो ठीक है।
दुष्यंत दवे ने कहा कि उन्होंने अटाॅर्नी जनरल केके वेणुगोपाल, साॅलिसिटर जनरल तुषार मेहता, एससीओआरए अध्यक्ष शिवाजी जाधव के साथ उन्होंने बातचीत की। दवे ने कहा कि उन्होंने पूरी कार्यवाही देखी और अंत में मुकुल रहतोगी ने विदाई दी। उन्होंने कहा कि जब कार्यक्रम खत्म हुआ तो उन्हें लगा कि उन्हें बोलने के लिए कहा जाएगा, इसके बजाय जाधव से आग्रह किया गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि कुछ अज्ञात कारणों से बार-बार उन्हें डिस्कनेक्ट किया गया और वे फिर से जुड़ गए।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी अरुण मिश्रा के रिटायरमेंट को लेकर विदाई समारोह आयोजित करने का मन बनाया था, लेकिन कोरोना के कारण अरुण मिश्रा ने इस कार्यक्रम को अस्वीकार कर दिया था।
जस्टिस अरुण मिश्रा क्यों चर्चा में रहे हैं?
65 वर्षीय अरुण मिश्रा सुप्रीम कोर्ट का जज बनने से पहले राजस्थान हाइकोर्ट व कलकत्ता हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। इसी साल के शुरुआत में अरुण मिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी। 22 फरवरी को अरुण मिश्रा ने इंटनेशनल ज्यूडिशियल कान्फ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बहुमुखी प्रतिभा का धनी व्यक्ति बताया था, जिनके पास वैश्विक नजरिया है और वे काम स्थानीय स्तर पर करते हैं। अरुण मिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दूरदर्शी नेता बताया था। प्रधानमंत्री इस कार्यक्रम में स्वयं शामिल थे।
अरुण मिश्रा के इस बयान का सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने निंदा की थी। तब बार के अध्यक्ष व वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा था कि वे भविष्य में वे ऐसे बयान जारी न करें और कार्यपालिका के प्रति ऐसी निकटता न दिखाएं। ऐसे निकटता न्यायाधीशों के न्याय प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं और इससे मुकदमा लड़ने वालों में परिणाम के बारे में तर्कसंगत संदेह पैदा हो सकता है। बार एसोसिएशन आफ इंडिया ने भी इस बयान की निंदा की थी।