सुप्रीम कोर्ट ने दिया दिल्ली में गरीबों की 48 हजार झुग्गियां हटाने का आदेश

जस्टिस अरुण मिश्रा की खंडपीठ ने इस संबंध में आदेश देते हुए तीन महीने का एक टाइम फ्रेम तय किया है।

Update: 2020-09-03 13:57 GMT

जनज्वार। सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने के अंदर दिल्ली में रेल पटरियों के आसपास की लगभग 48,000 झुग्गी बस्तियों स्लम को हटाने का आदेश दिया है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा है कि इस मामले में कोई राजनैतिक हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा। दिल्ली में रेलवे पटरियों के किनारे पड़े कचरे, प्लास्टिक की थैलियों और कचरे के ढेर के मामले से निबटने के दौरान शीर्ष अदालत ने यह फैसला सुनाया।

शीर्ष अदालत ने कहा, 'सुरक्षा क्षेत्रों में जो अतिक्रमण हैं, उन्हें तीन महीने की अवधि के भीतर हटा दिया जाना चाहिए और इस मामले में कोई हस्तक्षेप, राजनैतिक या अन्यथा नहीं होना चाहिए। कोई भी अदालत विचाराधीन क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के संबंध में कोई स्टे नहीं देगी'।

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि रेलवे लाइन के आसपास अतिक्रमण के संबंध में यदि कोई अदालत अंतरिम आदेश जारी करती है तो यह प्रभावी नहीं होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'ईपीसीए की रिपोर्ट में सामने आई तस्वीर के साथ ही रेलवे द्वारा दायर जवाब दिखाता है कि अब तक कुछ नहीं किया गया है और कूड़े का ढेर लग गया है और उसी वक्त, उस इलाके में मानव आबादी अनधिकृत ढंग से बस गई, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है'।

पीठ ने तीन माह के भीतर प्लास्टिक के थैले, कूड़े आदि को हटाने के संबंध में योजना के क्रियान्वयन का और सभी हितधारकों यानी रेलवे, दिल्ली सरकार और संबंधित नगर पालिकाओं के साथ ही दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड डीयूआईएसबी की अगली हफ्ते बैठक बुलाने और उसके बाद काम शुरू किए जाने का निर्देश दिया है।

शीर्ष अदालत ने कहा, 'अपेक्षित राशि का 70 प्रतिशत रेलवे और 30 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा'।

शीर्ष अदालत ने 31 अगस्त को जारी आदेश में कहा था कि हितधारकों को इन झुग्गियों को हटाने के लिए एक व्यापक योजना विकसित करनी चाहिए और इसे चरणबद्ध तरीके से निष्पादित किया जाना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने फरवरी में पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम एवं नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) दिल्ली सरकार और विभिन्न नगर निगमों से रेलवे लाइनों के पास अपशिष्ट पदार्थों के निपाटन के लिए एक मजबूत संयंत्र विकसित करने के लिए कहा था, जिसमें प्लास्टिक की थैलियों को हटाना शामिल है।

पीठ ने उत्तर रेलवे के डीआरएम कार्यालय में अतिरिक्त संभागीय रेलवे प्रबंधक अश्विनी कुमार यादव द्वारा दायर हलफनामे का संज्ञान लिया, जिसमें बताया गया है कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के इलाके में 140 किलोमीटर तक रेल पटरियों के किनारे झुग्गियां बहुत अधिक संख्या में मौजूद हैं।

हलफनामे में कहा गया है कि कुल 140 किलोमीटर में से 70 किलोमीटर लाइन के साथ बहुत ज्यादा झुग्गियां है और रेलवे लाइनों से सटी इन झुग्गियों की संख्या करीब 48,000 है।

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