पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज में दो सफाईकर्मियों की मौत, परिजनों का आरोप जबरन उतारा गया सीवर में
मृतक लोकेश की पत्नी हेमा रोते बिलखते हुए कहती हैं कि मेरे बच्चों का अब क्या होगा, मेरे दो बच्चे हैं और एक बेटे के दिल में छेद है। मुझे मेरे बच्चों के भविष्य की चिता सता रही है....
तोषी मैंदोला की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो। पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज इंडस्ट्रियल थाना इलाके के पर्ल ग्रैंड बैंकट हॉल में सीवर में सफाई के दौरान दो लोगों की की मौत हो गई। मरने वाले सफाई कर्मियों की पहचान लोकेश और प्रेमचन्द्र के रुप में हुई है। मरने वाले लोकेश वाल्मिकी समाज और प्रेमचन्द्र बैरवा समाज से आते हैं। घरवालों का आरोप है कि बैंकट हॉल के मालिक जिम्मी आरोड़ा समेत मैनेजर ने मृतकों से जबरन सीवर साफ कराया।
मृतकों के परिवार वालों ने बताया कि लोकेश और प्रेमचन्द्र प्राइवेट काम करते थे और 25 मार्च को उन्हैं बैंकट हॉल में साफ सफाई और देखरेख के काम के लिए बुलाया था लेकिन उसके बाद मलिक ने उनसे जबरन सीवर को साफ कराया जबकि उन्होंने उस दिन से पहले कभी यह काम नहीं किया था।
मृतक लोकेश की पत्नी हेमा रोते बिलखते हुए कहती हैं कि मेरे बच्चों का अब क्या होगा। मेरे दो बच्चे हैं और एक बेटे के दिल में छेद है। मुझे मेरे बच्चों के भविष्य की चिता सता रही है। मैं सरकार से मांग करती हूं कि आरोपियों को जेल में डाला जाए और मुझे सरकारी नौकरी दी जाए ताकि मैं अपने घर चला संकू। मुझे बस इंसाफ चाहिए।
वहीं दूसरी ओर लोकेश के बड़े भाई रामचन्द्र प्रसाद बताते हैं कि जब हमने लोकेश की डेड बॉडी देखी तो वो पूरी तरह से कीचड़ और मल में सनी हुई थी। उनकी मौत लगभग 8 से 9 बजे के बीच में हुई थी लेकिन फिर भी पुलिस ने उसकी लाश को सड़क में हो रही चहल-पहल की वजह से रात के ढाई बजे निकाली। हमें हमारे भाई की मौत का इंसाफ चाहिए।
लोकेश का परिवार त्रिलोक पूरी में किराए के मकान में रहता है और बेटे की मौत के बाद पूरा परिवार सदमे में है। घर में मां है और कुछ सालों पहले ही पिता का देहांत हो गया था। लोकेश की पत्नी और बच्चे भी रो-रोकर अपने पिता को याद कर रहे हैं।
लोकेश की मां बिमला देवी का आरोप है कि उसको जानबूझ कर एक साजिश के तहत मारा गया है। बिमला देवी कहती हैं कि उन्हें अब बदला चाहिए। 'जिन्होंने मेरे बेचे को मारा है उन्हें भी ठीक वैसे ही तड़पा- तड़पाकर मारा जाए।'
लोकेश के मौसा संजय ने 'जनज्वार' को बताया कि बिना मशीन और पर्याप्त संसाधन के आखिर सीवर में कैसे दोनों को उतारा गया जबकि सरकार की ओर से यह आदेश दिए गए हैं कि सीवर में उतरने के लिए मशीनरी और जरुरी संसाधनों की व्यवस्था की जानी चाहिए।