उन्नाव मामला : दिल्ली हाईकोर्ट ने सजा के खिलाफ सेंगर की अपील की स्वीकार

कोर्ट ने सेंगर द्वारा दायर अपील पर केंद्रीय जांच ब्यूरो से जवाब देने को कहा है और मामले को सेंगर द्वारा दुष्कर्म के मामले में दायर एक अन्य अपील पर सुनवाई कर रही दूसरी पीठ को भी स्थानांतरित कर दिया है.....

Update: 2020-11-07 03:30 GMT

नई दिल्ली। उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत से संबंधित एक मामले में अयोग्य उप्र विधायक कुलदीप सिंह सेंगर द्वारा अपनी सजा के खिलाफ दायर की गई अपील को दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को स्वीकार कर लिया।

न्यायमूर्ति विभु बाखरू की अध्यक्षता वाली हाईकोर्ट की एकल न्यायाधीश पीठ ने सेंगर द्वारा अधिवक्ता कन्हैया सिंघल के माध्यम से दायर अपील को स्वीकार किया। याचिका में उन्होंने उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में उन्हें और अन्य को दोषी ठहराते हुए ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है।

कोर्ट ने सेंगर द्वारा दायर अपील पर केंद्रीय जांच ब्यूरो से जवाब देने को कहा है और मामले को सेंगर द्वारा दुष्कर्म के मामले में दायर एक अन्य अपील पर सुनवाई कर रही दूसरी पीठ को भी स्थानांतरित कर दिया है। मामले पर सुनवाई के लिए इसे 10 नवंबर को सूचीबद्ध किया गया है।

अधिवक्ता कन्हैया सिंघल ने कहा कि वर्तमान मामले में न तो न्याय किया गया था और न ही ऐसा काम देखा गया था, जिसने निश्चित रूप से पूरे न्याय वितरण प्रणाली में जनता के विश्वास को हिला दिया है।

सिंघल ने कहा, "यह कानून का तय सिद्धांत है कि 'दुश्मनी एक दोधारी तलवार है जो दोनों ओर से काट सकती है', हालांकि, सेंगर को कम ही पता था कि एक दिन वह भी एक दिन ऐसे ही दोधारी तलवार के शिकार हो जाएंगे, जिसे एक हिस्ट्रीशीटर और गैंगस्टर महेश सिंह ने अपनी राजनीतिक प्रतिद्वंदियों का बदला लेने के लिए अपनी प्यास बुझाने के लिए निकाला।"

इस साल 4 मार्च को दिल्ली की एक अदालत ने उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर सहित सात लोगों को दोषी ठहराया था।

जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने उन्हें भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया, जिसमें षड्यंत्र, दोषपूर्ण हत्या, सबूतों को गायब करना, गलत रिकॉर्ड दर्ज करना और किसी व्यक्ति को गलत तरीके से रोकना और सशस्त्र अधिनियम जैसे मामले शामिल थे।

बाद में 13 मार्च को कोर्ट ने सेंगर और छह अन्य को 10 साल कैद की सजा सुनाई। उन्हें सजा सुनाते हुए, जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने कहा, "इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कानून के नियम तोड़े गए। सेंगर एक सार्वजनिक सेवक थे और उन्हें कानून को बनाए रखना था। जिस तरह से अपराध किया गया है, वह उदारता दिखाने के लायक नहीं है।"

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