FACEBOOK ने इस शख्स को 1 महीने के लिए घोषित कर दिया 'मृत', युवक ने भेजा कानूनी नोटिस- मांगा 5 लाख का मुआवजा

''मेरे परिवार और मुझे कई शोक संदेश मिले हैं कि यह वास्तव में हम सभी के लिए वास्तव में दर्दनाक है"....

Update: 2020-10-25 12:41 GMT

नई दिल्ली। फेसबुक पर मेमोराइज्ड (Memorialised) फीचर का उपयोग तब किया जाता है जब किसी के परिवार का सदस्य या दोस्त मर जाता है ताकि मृतक के परिजन उसकी यादों को संजोकर रख सके या साझा कर सकें। लेकिन मोहम्मद अबुजर नाम के एक कार्यकर्ता को फेसबुक ने गड़बड़ी कर 'मृत' घोषित कर दिया जबकि वह व्यक्ति अभी जीवित है। साल 2016 में मार्क जुकरबर्ग समेत लाखों यूजर्स को इसी तरह 'मृत' घोषित कर दिया गया था।

पिछले महीने अबुजर के फेसबुक अकाउंट को Memorialised के रूप में मार्क किया गया, अब उन्होंने फेसबुक को कानूनी नोटिस भेजा है। उन्होंने इससे हुए नुकसान के लिए फेसबुक से सार्वजनिक माफी और परिवार को असुविधा के लिए आर्थिक मुआवजा मांगा है।

अबुजर ने 'वाइस इंडिया' को बताया, '13 सितंबर, 2020 को जब मैं उठा, तो मैंने अपने चचेरे भाई को अपनी जगह पर पाया। वह मेरे करीब रहता है और फेसबुक पर लॉग इन करने के बाद दहशत में आ गया था। उसने वहां देखा कि मुझे 'मृत' घोषित कर दिया गया था, मेरे अकाउंट को 'Memorialised' बना दिया गया था और फेसबुक मेरे दोस्तों को सोशल मीडिया पर मुझे श्रद्धांजलि देने के लिए कह रहा था।'

'जैसे ही उसने (चचेरा भाई) यह देखा तो भागकर आया, उसने मुझे देखा और राहत की सांस ली। फिर उसने समझाया कि क्या हुआ था। मैंने अपने फ़ोन पर अपने अकाउंट की जाँच की और यह अजीब लगा, मैने लॉग आउट किया गया था क्योंकि मैं आमतौर पर हमेशा लॉग इन रहता हूँ।'

'मैंने तब ये नोटिफिकेशन देखीं, जहां लोग मेरे बारे में बात कर रहे थे, और जब मैंने अपनी टाइमलाइन देखी, तो मैंने देखा कि फेसबुक ने मुझे "Memorialised" अकाउंट में डाल दिया था। मेरे पास इससे वापस आने का कोई रास्ता नहीं था और इसलिए मैने इसे देखा और पाया कि यह फेसबुक के फीचर्स में से एक है। उसके एख दिन बाद मुझे अपने घबराए हुए रिश्तेदारों और दोस्तों के कॉल मिले। मुझे और मेरे परिवार को बहुत सारे शोक संदेश मिले कि यह वास्तव में हम सभी के लिए बहुत दुखद है।'

'मैने खुद 19 सितंबर को अपनी शिकायत लिखी और फेसबुक सपोर्ट/हेल्प सेंटर को भेजा। उन्होंने मुझसे सरकार द्वारा अप्रूव्ड किसी पहचान प्रमाण वाली तस्वीर के लिए कहा और मैने उन्हें भेज दिया। मुझे 16 दिसंबर तक उनसे कोई जवाब नहीं मिला और तब तक लोगों के मुझको फोन आते रहे। यह सिलसिला नहीं रूका। लोग वास्तव में चिंतित थे क्योंकि मेरा एक्टिविज्म का बैकग्राउंड है। मैं हमेशा उन चीजों के बारे में मुखर रहा हूं जिन्हें एड्रेस करने की आवश्यकता है, इसलिए लोगों ने यह सोचना शुरू कर दिया था कि यह वास्तव में हुआ है।'


'मैंने अपने करीबी दोस्तों और सहयोगियों को इस बारे में बताया। वे लगातार इसके बारे में ट्वीट करते रहे लेकिन फेसबुक ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मुझे एक महीने तक फेसबुक से कोई जवाब नहीं मिला और तब तक वे सभी मुझे कॉल और टेक्स्ट करते गए। कई बार ऐसा हुआ जब लोगों ने चिंता के साथ मुझे कॉल किया लेकिन मैं इसे अच्छी तरह से हैंडिल नहीं कर पाया और इसके बार उन पर चिल्लाया।'

'मैंने एक महीने से अधिक समय तक इंतजार किया लेकिन उसके बाद, मेरे पास फेसबुक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था जो कुछ भी हुआ। मैंने अपने वकील से संपर्क किया और उन्हें 19 अक्टूबर को एक कानूनी नोटिस भेजा। मुझे अगले दिन उनसे एक माफी का ईमेल मिला और उसके बाद अगले दिन से मैं अपने अकाउंट का इस्तेमाल कर सकता था। मैने उनसे इस आघात के लिए सार्वजनिक माफी और पांच लाख रुपये का मुआवजा मांगा लेकिन एक महीने से अधिक समय तक उन्होंने मुझे जवाब देने की जहमत नहीं उठाई।'

'मैं सोशल मीडिया एक्सपर्ट नहीं हूं और मैं यह भी नहीं कह सकता हूं कि इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं, लेकिन यह पहली बार नहीं है जब विचारों और राय को लेकर मुखर लोगों के साथ ऐसा हुआ हो। मुझे लगता है कि सोशल मीडिया नियंत्रित है और असंतोष के लिए कोई जगह नहीं है। कई बार ऐसा हुआ है कि जब मेरे पोस्ट बिना किसी कारण के डिलीट हुए हैं।'

'मैं वास्तव में जानना चाहता हूं कि किस आधार पर फेसबुक ने सिर्फ एक दिन के लिए मुझे मृत घोषित करने का फैसला किया-इसके पीछे एक एल्गोरिथम होना चाहिए। फेसबुक के पास लीजेसी कॉन्टैक्ट का यह विकल्प है और मैने इसमें किसी को जोड़ा नहीं है।'


'यह हम सभी के लिए बहुत दुखद रहा है। यह सब एक मजाक की तरह लग रहा है, एक दुखद मजाक जहां लोगों ने मेरे परिवार को यह पूछने के लिए कॉल किया कि क्या मैं मर गया या जीवित हूं। जब आप मरते हैं तो कुछ लोग आपके बारे में जो अच्छी बाते कहते हैं, उन्हें पढ़कर अच्छा लग सकता है लेकिन यह ईमानदारी पर सिर्फ एक आघात था जो हमारे ऊपर भारी पड़ा।'

'आज के समय में हम केवल सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों तक पहुंच सकते हैं और लोग उस स्थान पर जाते हैं जहां लोग अक्सर मुखर होते हैं, लेकिन वह मुझसे छीन लिया गया था। उन्होंने मुझे तब मृत घोषित करने का फैसला किया जब हम सभी अपने घरों में बैठे हैं और लोगों से नहीं मिल सकते, यह किसी व्यक्ति की डिजिटल पहचान हटाने जैसा है।'

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