Haryana News: हरियाणा में धारा '134 A' को लेकर गुस्सा, निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ लामबंद हुआ 'अभिभावक संघ'
Haryana News: निजी स्कूलों की दीवारों, गेटों और बोर्डों पर छात्र अभिभावक संघ के सदस्यों ने, 'शिक्षा के लुटेरे शिक्षा का व्यापार बंद करो' 'चोर' और '134 ए लागू करो' आदि नारे लिखे गये...
Haryana News: हरियाणा में स्कूलों की मनमानी को लेकर इन दिनों अभिभावक आंदोलनरत हैं। बताया जा रहा कि हरियाणा की खट्टर सरकार (Khattar Government) ने सभी अभिभावकों को आश्वासन देते हुए निजी स्कूल संचालकों को निवेदन किया था कि बच्चों के दाखिले कर लें। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के इस आश्वासन और निवेदन के बाद सूचना ये मिल रही कि अब स्कूल संचालक अपनी मनमानी पर उतर आए हैं।
अभिभावकों के गुस्से का जो कारण है उस मुताबिक, नौवीं तथा 11वीं कक्षा के रजिस्ट्रेशन की आखिरी तारीख भी निकल चुकी है। जिसके बाद अब यह बच्चे ना तो पिछले स्कूल में दाखिला ले पा रहे हैं और ना ही अगले स्कूलों में दाखिला ले पा रहे हैं। ऐसे विद्यार्थियों के लिए भी सरकार कोई विकल्प तैयार करें और ऐसे बच्चों को दाखिले का तथा रजिस्ट्रेशन का मौका दे। इसी कड़ी में गुरूवार 27 जनवरी की देर रात निजी स्कूलों की दीवारों, गेटों और बोर्डों पर छात्र अभिभावक संघ के सदस्यों ने, 'शिक्षा के लुटेरे शिक्षा का व्यापार बंद करो' 'चोर' और '134 ए लागू करो' आदि नारे लिखे।
इस पूरे मसले पर छात्र अभिभावक संघ के संयोजक विमल किशोर (Vimal Kishore) ने जनज्वार को बताया कि, 'मुख्यमंत्री होने के बावजूद खट्टर ने निजी स्कूल संचालकों से निवेदन किया था। जबकि उन्होने इस संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किया। सरकार की तरफ से सिवाय आश्वासन के कोई कार्रवाई नहीं हुई।'
उन्होने बताया कि, 'आज 29 जनवरी सोनीपत लगातार तीन बार '134 ए' के दाखिले की तारीख बढ़ाने के बावजूद 15 जनवरी को दाखिले की आखरी तारीख होने के बावजूद सरकार पात्र छात्रों का दाखिला करवाने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई और हरियाणा (Haryana) की नकारा और निकम्मी सरकार ने निजी स्कूल संचालकों के आगे समर्पण करते हुए हजारों बच्चों का भविष्य बर्बाद कर दिया है।'
विमल किशोर बताते हैं कि, 'पढ़ाई (Education) का मात्र 1 महीने से भी कम समय रह गया है। ऐसे में अब तारीख बढ़ाने का भी कोई औचित्य नहीं रह गया, अब कब दाखिले होंगे और कब नए स्कूल की किताबें लेंगे, ड्रेस लेंगे और कब बच्चे पढ़ेंगे और कब पास होंगे। जो कि इस सैशन में संभव नहीं है। इसलिए अगर अभी भी सरकार में मानवता नाम की कोई चीज बची हो तो सभी बच्चों के पिछले स्कूलों में दाखिले करवा कर पेपर दिलवाए जाएं और इस सेशन में '134 ए' के उत्तीर्ण हुए बच्चों को अगले सेशन में दाखिला दिलवाया जाए।'
छात्र अभिभावक संघ की तरफ से कहा गया कि यदि सरकार ने उपरोक्त सभी मांगे ना मानी तो छात्र अभिभावक संघ तीखा आंदोलन करने को मजबूर होगा। '134 ए' के पहले ड्रा में उत्तीर्ण बच्चों का दाखिला सरकार करवा नहीं पा रही और अब दूसरे ड्रा की तैयारी हो रही है। आखिर क्यों सरकार और प्रशासन बच्चों का भविष्य बर्बाद करने पर तुले हैं? या तो सरकार और प्रशासन सभी बच्चों का दाखिला कराएं या स्पष्ट मना कर दें, हम दाखिला नहीं करवा सकते। अन्यथा छात्र अभिभावक संघ का यह आंदोलन जारी रहेगा, साथ ही कहा कि आंदोलन और भी तीखा हो सकता है।'
ताजा मिले इनपुट के मुताबिक मामले में आज 29 जनवरी को छात्र अभिभावक संघ की टीमें निजी स्कूल संचालकों की बसों को पंचर करने के लिए पूरे शहर में सक्रिय बताई जा रहीं। इनका कहना है जब तक दाखिले नहीं होंगे अभियान जारी रहेगा, आंदोलन जारी रहेगा। इसके अलावा मॉडल टाउन सोनीपत में आक्रोशित अभिभावको ने स्कूल वैन रोक कर हंगामा किया है। वाहनों के टायरों की हवा निकाल दी गई। अभिभावकों तथा स्कूल स्टाफ में काफी देर तक तीखा ड्रामा चलता रहा।
इस मामले को लेकर, जिला अध्यक्ष आम आदमी पार्टी सोनीपत देवेंद्र गौतम Devendra Gautam ने कहा कि, 'जैसा कि आप सभी को पता है कि '134 A' के मुद्दे पर छात्र अभिभावक संघ लगातार संघर्षरत है। इस मुहिम में आम आदमी पार्टी सोनीपत पहले दिन से छात्र व अभिभावकों के साथ है। लेकिन हरियाणा सरकार के द्वारा लगातार इस मुद्दे पर अनदेखी की जा रही है। निजी स्कूलों पर किसी प्रकार की कोई ठोस कार्यवाही नहीं की जा रही है। सरकार को चाहिए वह इस दिशा में कोई कड़ा कदम उठाए ताकि सरकार व निजी स्कूलों की मनमानी के चलते छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ ना हो सके।'
क्या है धारा- '134 ए'
धारा '134 ए' 2003 के तहत जिन परिवारों की वार्षिक आय 200000 रूपये अथवा 200000 रूपये से कम है वह अपने बच्चों को निजी स्कूलों में निशुल्क पढ़ाई करवा सकते हैं। धारा '134 ए' के तहत 2003 में यह कानून बनाया गया था जिसमें प्रत्येक निजी स्कूल को 25% बच्चों को निशुल्क पढ़ाना होता था, किंतु निजी स्कूल संचालकों के दबाव में तत्कालीन हुड्डा सरकार ने अध्यादेश जारी कर 25% को घटाकर 10% कर दिया था। जिसे बाद में बीजेपी सरकार ने विधानसभा में पास करवा दिया। जिसके बाद अब '134 ए' के तहत गरीब बच्चों का कोटा 10% ही रह गया है।