Hena shahab Latest News: जिस सिवान में कभी शहाबुद्दीन का था गुंडाराज, उस शहर में रहने से डरने लगी है उनकी बेवा बीबी

Hena shahab Latest News: बिहार में राजनीति के अपराधिकरण का कभी पर्याय बने हुए थे राजद के बाहुबली सांसद मो. शहाबुद्दीन। अब उनकी बेवा बेटे के साथ अन्याय होने की बात कह कर सरकार से न्याय न मिलने पर सीवान छोड़ देने की धमकी दे रही हैं।जिसने सीवान की राजनीति में एक बार फिर भूचाल ला दिया है।

Update: 2022-04-07 11:19 GMT

Hena shahab Latest News: जिस सिवान में कभी शहाबुद्दीन का था गुंडाराज, उस शहर में रहने से डरने लगी है उनकी बेवा बीबी

जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

Hena shahab Latest News: बिहार में राजनीति के अपराधिकरण का कभी पर्याय बने हुए थे राजद के बाहुबली सांसद मो. शहाबुद्दीन। अब उनकी बेवा बेटे के साथ अन्याय होने की बात कह कर सरकार से न्याय न मिलने पर सीवान छोड़ देने की धमकी दे रही हैं।जिसने सीवान की राजनीति में एक बार फिर भूचाल ला दिया है।

ताजा प्रकरण है मो. शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब समेत आठ लोगों पर एके 47 समेत अन्य अत्याधुनिक हथियार से जान लेने की नीयत से एमएलसी उम्मीदवार रईस खान के काफिले पर हमले का मुकदमा दर्ज होना। जिसे शहाबुद्दीन की पत्नी गहरी साजिश मानती है और कहती हैं कि बेटे को फंसाया गया है। अगर सरकार न्याय नहीं करना चाहती है तो हम लोग सीवान छोड़कर चले जाएंगे। सांसद शहाबुद्दीन की पत्नी राजद नेत्री हिना शहाब ने कहा है कि मेरे बेटे को फंसाया जा रहा है। ऐसा क्यों हो रहा है अंदाजा नहीं है। कहा कि पहले शौहर को खो दिया। अब विरोधियों द्वारा उनके बेटे को फंसाने की साजिश की जा रही है। ओसामा पिछले कई दिनों से सीवान में नहीं है। वह दिल्ली में है। बावजूद उसे फंसाने की साजिश की जा रही है। मोहम्मद शहाबुद्दीन के पुत्र ओसामा शहाब अपने पत्नी के साथ शब-ए-बरात के दौरान अपने मरहूम पिता मोहम्मद शहाबुद्दीन के कब्र पर फातिहा पढ़ने के लिए गए थे। इसके बाद से ही वह दिल्ली में हैं।

सीवान में 4 अप्रैल को एमएलसी प्रत्याशी रईस खान के काफिले पर एके-47 से फायरिंग में एक युवक की मौत हो गई थी। दो लोग घायल हो गए थे। इसके बाद बवाल मचा हुआ है। सीवान की जनता खासकर शहाबुद्दीन परिवार के समर्थक रईस खान को जमकर ट्रोल कर रहे हैं। समर्थकों का कहना है कि रईस खान ओसामा शहाब को फंसाने की साजिश कर रहे हैं।

वहीं इन तमाम मुद्दों पर एमएलसी उम्मीदवार रईस खान ने भी अपने फेसबुक के माध्यम से लाइव आकर अपनी बात कही है। उसने कहा है कि जल्द ही सीवान के लोगों को पता चल जाएगा कि फंसा रहा हूं या सच में ओसामा ने मेरी हत्या की प्लानिंग की थी। उधर जदयू के पूर्व विधायक श्याम बहादुर सिंह ने कहा कि यह घटना रात 11 बजे की है, जब एमएलसी उम्मीदवार रईस खान शहर के पुरानी किला स्थित अपने कार्यालय से वापस अपने गांव ग्यासपुर जा रहे थे। इस घटना का हिसाब लिया जाएगा। हमारा भाई रईस खान किसी तरह बच गया। इसलिए अब हिसाब तो जरूर लिया जएगा।

इस बीच इस प्रकरण में मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस अधिकारियों ने इसकी जांच शुरू कर दी है। एसपी शैलेश कुमार सिन्हा का कहना है कि संदिग्धों की तलाश की जा रही है। एक भी अभियुक्त की गिरफतारी हो जाने पर घटना के साजिश का खुलाशा हो जाएगा।

मुस्लिम वोटों का समीकरण साधने की कोशिश

सीवान के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के निधन के बाद उनके राजनीतिक विरासत को एकलौते पुत्र ओसामा शहाब ने संभालने के लिए कदम आगे बढ़ाए हैं। हालांकि यहां अल्पसंख्यक समुदाय दो पक्षों में गोलबंद होते दिख रहा है। कुछ लोगों का यह मानना है कि शहाबुद्दीन की जो कमी उन्हें खल रही है उसकी भरपाई आगे चलकर उनका वारिस ओसामा शहाब पूरा करेंगे। जबकि बदली राजनीतिक परिस्थितियों में कभी मुस्लिम समुदाय के लोग जो मोहम्मद शहाबुद्दीन को अपना नेता मानते थे, वे आज दो भागों में बंटते हुए नजर आ रहे हैं। मोहम्मद शहाबुद्दीन का परिवार जिन्होंने मुस्लिमों को लेकर एक साथ कंधे-से कंधा मिलाकर चलने का काम किया। तो दूसरी तरफ खान ब्रदर्स के नाम से चर्चित रईस खान जो मोहम्मद शहाबुद्दीन के निधन के बाद मुस्लिमों को लेकर अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत करना चाहते हैं।

शहाबुद्दीन के मर्जी पर तय होता था सीवान का राजनीतिक समीकरण

बिहार में बाहुबली सांसदों के रूप में मो. शहाबुद्दीन बड़ी नाम हुआ करता था। जिनका तिहाड़ जेल में बंदी के दौरान कोरोना से मौत हो गई थी। राजद के बाहुबली नेता के रूप में शहाबुद्दीन की धमक इस कदर थी कि पार्टी नेतृत्व भी विधानसभा चुनाव से लेकर अन्य किसी भी चुनाव में सीवान जिले में अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा उनके सहमती के विरूद्ध नहीं कर पाते थे। वर्चस्व की राजनीति में सीवान जिले की राजनीति मो. शहाबुद्दीन व भाकपा माले के दो ध्रुवों के बीच बंट गई थी। दोनों में टकराव का नतीजा रहा कि सैकड़ोें लोगों की राजनीतिक अदावत में जान तक चली गई। इसमें दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष चंद्रशेखर की हत्या भी शामिल रही है। जिसको लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुए थे। वर्चस्व की लड़ाई का नतीजा यहां तक था कि सीवान शहर में राजद का झंडा के अलावा किसी अन्य दल की हिम्मत झंडा लगाने तक की नहीं होती थी। मो. शहाबुद्दीन का फरमान टालने की हिम्मत न तो शहर के व्यापारियों को थी और न ही विकित्सकों की। प्राइवेट डाक्टरों की बढ़ी फीस को भी कम कराने का मो. शहाबुद्दीन ने काम किया था। उनके द्वारा किए गए पंचायत के निर्णय को टालने की किसी की हिम्मत नहीं थी। अब बदली परिस्थितियों में शहाबुद्दीन की पत्नी न्याय की गुहार लगा रही हैं।

Tags:    

Similar News