Lakhimpur Kheri : हरियाणा से लेकर लखीमपुर तक चुनाव जीतने के लिए रणनीति बनाकर भाजपा करवा रही झगड़ा - राकेश टिकैत
Lakhimpur Kheri : सवाल यह है कि मंत्री का बेटा और उसके साथी किसानों के बीच गए क्यों थे? उन्होंने किसानों को मारा। इसके बाद किसानों से उनका झगड़ा भी हुआ। इस मामले में किसानों ने कई लोगों को पकड़कर पुलिस को सौंपा है...
Lakhimpur Kheri (जनज्वार) : लखीमपुर खीरी में रविवार 3 अक्टूबर को प्रदर्शनकारी किसानों को गाड़ी से रौंदने के मामले में किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि यह मामला अब निपट चुका है। प्रशासन से हुई बातचीत से वो और पीड़ित किसानों के परिवार संतुष्ट हैं। किसानों को प्रशासनिक अफसरों के वादे पर भरोसा है।
घटनास्थल पर सिर्फ टिकैत पहुंच सके, ऐसा क्यों? इस सवाल के जवाब में टिकैत ने बताया कि वो पुलिस नाका लगने से पहले ही लखीमपुर के लिए निकल चुके थे। लेकिन जनज्वार को मिले इनपुट के मुताबिक तमाम विपक्षी नेताओं को रोकने के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर से ही राकेश टिकैत को घटनास्थल पहुँचने से रोके ना जाने का आदेश जारी किया था।
कार्रवाई से संतुष्टि के सवाल पर टिकैत ने कहा कि, पीड़ित किसानों के परिवारवालों और प्रशासन से बातचीत कर रही किसानों की कमेटी के संतुष्ट होने पर ही मामला खत्म हुआ है। सरकार के बड़े अधिकारी भी मौजूद थे। जान गंवाने वाले किसानों के परिवार को 45-45 लाख रुपए, उनके परिवार के एक-एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी तथा घायलों को दस-दस लाख रुपए दिए जाएंगे।
मंत्री अजय मिश्रा और उसके बेटे के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया गया है। पूरे मामले की न्यायिक जांच होगी। ऐसे मामले में सभी मुद्दों पर बात होती है। यूपी प्रशासन ने सभी मांगों पर सहमति जताई है और इन्हें पूरा करने के लिए आठ दिन का समय मांगा है। उन्होने कहा हालांकि, यह फैसला लिखित में नहीं हुआ। मामले की FIR दर्ज हो चुकी है।
जिसमें, धारा 302 के साथ और भी कई धाराएं लगाई गई हैं। मृतकों के परिजनों को मुआवजा और घायलों को आर्थिक मदद दो से तीन दिन में उनके खातों में पहुंच जाएगी। प्रशासन का कहना है कि न्यायिक जांच भी जल्द शुरू हो जाएगी। बड़े अधिकारियों से हुई बातचीत में फेरबदल की आशंका कम होती है।
टिकैत ने बताई विवाद की मुख्य वजह
दैनिक भाष्कर से बात करते हुए टिकैत ने इस विवाद की मुख्य वजह भी बताई, कहा कि, दस दिन पहले एक सभा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ने किसानों के खिलाफ बयान दिया था। किसानों में इससे नाराजगी थी, जब उन्हें पता चला कि मंत्री की सभा होने वाली है तो वो लखीमपुर के हेलीपैड पर पहुंच गए। मंत्री को सड़क के रास्ते कार्यक्रम में पहुंचना पड़ा। विरोध करने के बाद किसान वापस धरनास्थल पर जा रहे थे तो पीछे से मंत्री के बेटे ने अपनी गाड़ी से किसानों को कुचल दिया। जिसमें चार किसानों की मौत हो गई और दस किसान घायल हो गए। जब मंत्री के बेटे की गाड़ी किसानों को कुचल रही थी तो लोग उनके पीछे भागे। स्पीड तेज होने की वजह से गाड़ी पलट गई और उसमें आग लग गई। गाड़ी में तीन लोग थे।
मंत्री का बेटा किसानों के बीच क्यों गया?
केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के लोग और उनका बेटा किसानों को मारने के लिए गाड़ी लेकर आए तो किसान केवल विरोध कर रहे थे। सवाल यह है कि मंत्री का बेटा और उसके साथी किसानों के बीच गए क्यों थे? उन्होंने किसानों को मारा। इसके बाद किसानों से उनका झगड़ा भी हुआ। इस मामले में किसानों ने कई लोगों को पकड़कर पुलिस को सौंपा है। क्या वो बड़े लोग हैं, मंत्री हैं, उनकी सरकार है तो कुछ भी करवा सकते हैं?
अपने पद का फायदा उठा रहा मंत्री
हम प्रशासन के अधिकारियों से संतुष्ट हैं, लेकिन मंत्री अपने बेटे को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। वो सरकार में हैं तो अपने पद का फायदा उठा रहे हैं। हमने यह भी मांग रखी थी कि मंत्री को बर्खास्त किया जाए, लेकिन प्रशासन ने कहा कि यह मामला उनके हाथ में नहीं है। मंत्री को पुलिस ने आपराधिक साजिश की धारा 120B में शामिल किया है। मंत्री के खिलाफ हम सारे सबूत जल्द ही पुलिस को सौंप देंगे।
भाजपा झगड़ा करवाने की रणनीति से काम कर रही
यह मामला तो एक प्रकार से खत्म ही हो गया है। प्रशासन और हमारे बीच बातचीत हो गई है। हमने प्रशासन को अपना वादा पूरा करने के लिए आठ दिन का समय दिया है। भाजपा नेता यह सब एक रणनीति के तहत कर रहे हैं। वो लोगों के बीच झगड़ा करवाना चाहते हैं। सरकार भी किसानों से झगड़ा चाहती है। चाहे वो जातीय झगड़े हों या दूसरे मुद्दे। जब देश के गृह राज्यमंत्री और उनके परिवार के लोग ही ऐसा काम करेंगे तो आम लोगों को भगवान ही बचाएगा।