लॉकडाउन : कैंसरग्रस्त पत्नी के इलाज के लिए 130 किमी पैदल चला पति, मगर मदद नहीं सिर्फ मीडिया माइलेज मिला

Update: 2020-04-14 12:45 GMT

लॉकडाउन के कारण, तमिलनाडु और पुडुचेरी के बीच बसें नहीं चल रही थीं। सिर्फ एक 'धोती' पहने हुए अरिवजगन ने अपनी पत्नी को खुद से एक तौलिया से बांधकर साइकिल पर बैठाया हुआ था, ताकि वह रास्ते में गिरे न...

जनज्वार। कैंसर से ग्रस्त अपनी पत्नी मंजुला का इलाज कराने के लिए अपनी साइकिल पर 130 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद अरिवजगन को व्यापक मीडिया कवरेज तो मिला, लेकिन उसे सहायता नहीं मिली। वह अभी भी तमिलनाडु सरकार की मदद का इंतजार कर रहा है।

यह भी पढ़ें : कोरोना संकट का सबसे बड़ा सबक, सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती ही एकमात्र विकल्प

कंस्ट्रकक्शन मजदूर अरिवजगन ने आईएएनएस को बताया, "मीडिया में खबर आने के बाद, स्थानीय पुलिस अधिकारी आकर हमसे मिले और आश्वासन दिया कि जब भी जरूरत होगी, वे एम्बुलेंस की व्यवस्था करेंगे। उन्होंने मुझसे अपनी पत्नी को दोबारा साइकिल पर पुडुचेरी न ले जाने का अनुरोध किया है।" उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी मंजुला को फिर से दर्द की शिकायत है।

रिवजगन ने कहा कि उन्होंने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना में दंपति के शामिल होने के बारे में नहीं सुना है। उन्होंने कहा कि पुडुचेरी में जेआईपीएमईआर के एक डॉक्टर ने उन्हें अपनी पत्नी के स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ करने के लिए फोन किया था। एक अच्छे दयालु व्यक्ति ने कुछ पैसे हमारे बैंक खाते में ट्रांसफर भी किए थे। उन्होंने कहा, "लॉकडाउन के साथ, निर्माण कार्य बंद हो गया है और इसलिए मेरी कमाई भी बंद हो गई है।"

यह भी पढ़ें : उत्तर प्रदेश के क्वारंटीन सेंटर में 10 महीने की बच्ची की मौत

रविजगन तब चर्चा में आए जब 30 मार्च को अपनी 60 वर्षीय पत्नी मंजुला के साथ वह अपने गांव कुंबकोणम से साइकिल से पुडुचेरी के जेआईपहएमईआर अस्पताल के लिए कीमोथेरेपी कराने जा रहे थे। लॉकडाउन के कारण, तमिलनाडु और पुडुचेरी के बीच बसें नहीं चल रही थीं। सिर्फ एक 'धोती' पहने हुए अरिवजगन ने अपनी पत्नी को खुद से एक तौलिया से बांधकर साइकिल पर बैठाया हुआ था, ताकि वह रास्ते में गिरे न।

यह भी पढ़ें : लखीसराय सदर अस्पताल में तड़पकर मर गया दलित युवा, डॉक्टर नदारद तो नर्स देखती रही टिकटॉक पर वीडियो

न्होंने पहले आईएएनएस को बताया था, "हम सुबह 4.45 बजे निकले और रात 10.15 बजे जेआईपीएमआईआर। रास्ते में, हमने चाय पी और एक तालाब के पास दो घंटे के लिए सो गए।" जेआईपीएमआईआर के डॉक्टर्स और अन्य लोग उसके साइकलिंग एडवेंचर पर चकित थे। उन्होंने उसकी तारीफ की।

रिवजगन ने आईएएनएस को बताया, "उन्होंने मेरी पत्नी का इलाज किया और मेरी मदद करने के लिए पैसों का इंतजाम किया। उन्होंने एक महीने के लिए दवाइयां भी दी और हमें वापस छोड़ने के लिए एम्बुलेंस के लिए लगभग 6,300 रुपये का भुगतान किया।"

Similar News