Begin typing your search above and press return to search.
बिहार

लखीसराय सदर अस्पताल में तड़पकर मर गया दलित युवा, डॉक्टर नदारद तो नर्स देखती रही टिकटॉक पर वीडियो

Prema Negi
13 April 2020 4:47 AM GMT
लखीसराय सदर अस्पताल में तड़पकर मर गया दलित युवा, डॉक्टर नदारद तो नर्स देखती रही टिकटॉक पर वीडियो
x

घंटे भर तक इलाज के अभाव में तड़पते-तड़पते शिवबालक पासवान ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। घर का एकमात्र कमाने वाला सदस्य शिवबालक अपने पीछे घर में एक बूढ़ी मां-पत्नी और तीन छोटे छोटे मासूम छोड़ गये हैं....

जनज्वार। बिहार के लखीसराय स्थित सदर हॉस्पिटल में चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की मनमानी की खबरें मीडिया में कई बार आती हैं। मगर इस बीच कोरोना के कहर में भी वहां चिकित्सकों-नर्सों की लापरवाही जारी है। यहां तक कि किसी गरीब की जान चली जाना भी उनके लिये कोई मायने नहीं रखती।

सा ही एक मामला लखीसराय सदर हॉस्पिटल में सामने आया। यहां एक मरीज इलाज के अभाव में मर गया, मगर नर्स टिकटॉक का वीडियो देखने में व्यस्त थी। मरीज की उखड़ती सांसों को देखकर जब परिजन और जानने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को खोज रहे थे, तो डॉक्टर-नर्स सब नदारद थे। एक नर्स टिकटॉक पर वीडियो देखने में व्यस्त थीं तो दूसरे डॉक्टरों और नर्सों का कुछ पता नहीं था।

यह भी पढ़ें - योगीराज : परिजन फोन करते रह गए नहीं आई एंबुलेंस, ठेले पर भाभी को ले गया अस्पताल, रास्ते में दम तोड़ा

क प्राइवेट स्कूल में शिक्षक 37 वर्षीय शिवबालक पासवान की तबीयत खराब होने के बाद परिजन 9 अप्रैल को उन्हें लखीसराय के सदर अस्पताल लेकर पहुंचे, मगर वहां से डॉक्टर-नर्स सब नदारद थे। जबकि उस समय वह बहुत सीरियस हालत में था, उन्हें आक्सीजन की सख्त जरूरत थी। मरीज की इतनी सीरियस हालत देखकर भी कोई नर्स या डॉक्टर उसको देखने नहीं आया।

घंटे भर तक इलाज के अभाव में तड़पते-तड़पते शिवबालक पासवान ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। घर का एकमात्र कमाने वाला सदस्य शिवबालक अपने पीछे घर में एक बूढ़ी मां-पत्नी और तीन छोटे छोटे मासूम छोड़ गये हैं।

यह भी पढ़ें : लापरवाही की आग में जलकर खाक हुई गरीबों की झुग्गी-झोपड़ियां, रोजी-रोटी और जीवनभर की कमाई खत्म

स मामले में लखीसराय के इंडियन यूथ कांग्रेस के पूर्व जनरल सेक्रेटरी निशांत पासवान जनज्वार से हुई बातचीत में कहते हैं, 'हम शिवबालक को बहुत सीरियस हालत में सदर अस्पताल लखीसराय लेकर आये थे, मगर उन्हें बचा नहीं पाये। इस देश की व्यवस्था न जाने कितने गरीबों की जान लेगी। जब मैं अस्पताल पहुंचा तो देखा न तो नर्स थी और न हीं डॉक्टर। परिजन 1 घंटे से इन मनहूस प्रशासकों का इंतज़ार कर रहे थे। जब मैंने अस्पताल कैंपस में नर्स और डॉक्टर को खोजने का प्रयास किया तो देखा नर्स अपने android phone में कहीं एकांत में बैठकर tiktok देख रही थी।'

निशांत पासवान आगे कहते हैं, 'आदरणीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आखिर कब तक आप अपने आप को सुशासन बाबू के रूप में बिहार वासियों को मूर्ख बनाते रहिएगा। अपने घर का एकमात्र कमाने वाला सदस्य शिवबालक पासवान जो पेशे सें एक गैरसरकारी स्कूल का शिक्षक थे, ये अपने पीछे घर में एक बूढ़ी मां-पत्नी और तीन छोटे छोटे मासूम छोड़ गये हैं।'

यह भी पढ़ें : बच्चे के इलाज के लिए अस्पतालों के चक्कर काटते रहे मजदूर मां-बाप, मरने के बाद भी नहीं मिली एंबुलेंस

शिवबालक की मौत के बाद खानापूर्ति के लिए अस्पताल ने परिजनों को डेथ सर्टिफिकेट थमा दिया। इस मामले की जानकारी पुलिस को होने पर पोस्टमार्टम करवाया गया, जिसकी रिपोर्ट अभी तक नहीं आयी है। अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है और न ही मुकदमा ही दर्ज किया है।

दूसरी तरफ पहले से ही लॉकडाउन में बहुत आर्थिक तंगी से गुजर रहा शिवबालक का लखीसराय कस्बे में रहने वाला परिवार एकमात्र कमाने वाले सदस्य की मौत के बाद अपने गांव वापस लौट चुका है। 3 छोटे—छोटे बच्चों, बुजुर्ग मां के अलावा शिवबालक की पत्नी गर्भवती हैं।

गौरतलब है कि इससे पहले भी सदर अस्पताल लखीसराय के चिकित्सकों और नर्सों की मनमानी के बारे में तमाम खबरें आती रहती हैं। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक इस हॉस्पिटल में ड्यूटी से अनुपस्थित चिकित्सकों की भी उपस्थिति दर्ज कर दी जाती है।

अप्रैल को भी यहां एक ऐसा ही मामला सामने आया था। सदर अस्पताल लखीसराय के उपाधीक्षक डॉ. अशोक कुमार सिंह के मुतातिबक बुधवार 8 अप्रैल की रात 8:00 बजे से गुरुवार 9 अप्रैल को प्रात: 8:00 बजे तक इमरजेंसी में डॉ. अमरेश कुमार की ड्यूटी थी, परंतु वे बिना सूचना अनुपस्थित थे। कोरोना में ड्यूटी पर मौजूद डॉ. कुमार अमित ने ही इमरजेंसी ड्यूटी भी की, मगर आश्चर्य की बात है कि किसी अन्य कर्मचारी ने डॉ. अमरेश कुमार की उपस्थिति दर्ज कर दी।

Next Story

विविध