पंजाब में कांग्रेस सरकार ड्रग्स की तस्करी रोकने में फेल, हर माह औसतन 4 लोग जिंदगी से धो रहे हाथ

Update: 2020-03-09 12:13 GMT

पंजाब में नशा मुक्ति केंद्र से वापस आकर फिर नशे की ओर जाने वाले युवाओं का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है। केंद्रों में 2.75 लाख से अधिक लोगों का इलाज तो चल ही रहा है, नशा छोड़ चुके लगभग 1.62 लाख लोग दोबारा नशा छुड़ाओ केंद्रों में पहुंचे हैं...

जनज्वार ब्यूरो। पंजाब में हर माह औसतन चार लोग ड्रग्स की वजह से अपनी जान से हाथ धो रहे हैं। सरकार के तमाम प्रयास के बाद भी पंजाब में नशे पर रोक लगती नजर नहीं आ रही। यही वजह है कि ड्रग्स से होने वाली मौतों का आकड़ा कम नहीं हो रहा। ड्रग्स की चपेट में आने वालों में बड़ी संख्या युवाओं की है। सियासी दल एक दूसरे को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते रहे हैं। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने शिरोमणि अकाली दल को नशे के लिए जिम्मेदार ठहराया था। अब जबकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है, इसके बाद भी नशे पर रोक नहीं लग पाई है।

पंजाब के डीजीपी दिनकर गुप्ता ने दावा किया कि 2018 में यह आंकड़ा 114 था, जिसे हमने कंट्रोल कर 47 कर दिया है। उन्होंने दावा किया कि हम नशे पर कंट्रोल करने के लिए दिन रात एक कर रहे हैं। हम इस दिशा में काम कर रहे हैं कि कुछ भी हो पंजाब में नशा पूरी तरह से खत्म हो। इसी उद्देश्य को सामने रख कर सरकार काम कर रही है।

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मृतसर में आम आदमी पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ता दिनेश कुमार ने बताया कि पंजाब में नशा कम होने की बजाय बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस वक्त पंजाब में ड्रग्स और कैमिकल नशे का तेजी से पांव पसार रहा है। कांग्रेस सरकार सिर्फ दावे कर रही है। यह सिर्फ दिखावा भर है। सच तो यह है कि पंजाब का हर जिला नशा तस्करों की चपेट में है। यहां नशे का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क है। जिसे स्थानीय नेताओं का समर्थन प्राप्त है।

शे के कारण अपने जवान बेटे को खाे चुकी लक्ष्मी देवी ने बताया कि कांग्रेस सरकार में भी नशे पर कोई रोक नहीं लग रही है। उन्होंने बताया कि स्थानीय पुलिस कुछ नहीं करती। जब उसका बेटा नशा करता था, तो उसने कई बार पुलिस को शिकायत की। यहां तक कि कुछ नाम भी बताए। लेकिन कभी भी पुलिस ने उन पर हाथ नहीं डाला। उसका बेटा इतना ज्यादा नशा करने लगा था कि एक दिन वह मर ही गया।

पंजाब में नशा मुक्ति केंद्र से वापस आकर फिर नशे की ओर जाने वाले युवाओं का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है। केंद्रों में 2.75 लाख से अधिक लोगों का इलाज तो चल ही रहा है, नशा छोड़ चुके लगभग 1.62 लाख लोग दोबारा नशा छुड़ाओ केंद्रों में पहुंचे हैं।

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रकारी स्तर पर 35 नशा मुक्ति केंद्र चलाए जा रहे हैं, जबकि निजी केंद्रों की संख्या 96 है। बीते कुछ महीनों के दौरान ही इन केंद्रों में 1,72,530 लोगों ने इलाज के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। एक नशा मुक्ति केंद्र के संचालक ने बताया कि पंजाब में युवक ही नहीं युवतियां भी नशे की आदी है।

पंजाब में नशे मुक्ति अभियान के संचालक हरमोहन सिंह ने बताया कि राजनेता इस समस्या को लेकर गंभीर नहीं है। नशा तस्करों को सीधे नेताओं का समर्थन प्राप्त है। ऐसे में भला कैसे पंजाब नशा मुक्त हो सकता है। उन्होंने बताया कि चुनाव के दौरान राजनेता एक दूसरे को नशे के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं। चुनाव के बाद इस दिशा में कुछ नहीं होता। उन्होंने बताया कि नशा मुक्ति के लिए हर स्तर पर काम करना होगा। तभी यह समस्या कम हो सकती है।

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