Begin typing your search above and press return to search.
समाज

ड्रग इंस्पेक्टर नेहा शौरी की हत्या से किसको हुआ है फायदा

Prema Negi
31 March 2019 10:38 AM IST
ड्रग इंस्पेक्टर नेहा शौरी की हत्या से किसको हुआ है फायदा
x

आफिस में घुसकर मौत के घाट उतार दी गई ड्रग इंस्पेक्टर नेहा शौरी के भाई निशांत ने लगाया आरोप कि हत्या की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों ने कहा कि हत्यारोपी मानसिक तौर पर नहीं था ठीक तो आदर्श आचार चुनाव संहिता लागू होने के बावजूद मानसिक रोगी को प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा रिवॉल्वर का लाइसेंस कैसे कर दिया गया जारी...

सुशील मानव

शुक्रवार, 29 मार्च की सुबह तकरीबन 12 बजे पंजाब के खरड़ में जोनल लाइसेंसिंग आथॉरिटी के पद पर तैनात महिला अधिकारी नेहा शौरी की ड्यूटी के दौरान उनके ही ऑफिस में गोली मारकर हत्‍या कर दी गई। नेहा शौरी को गोली मारने के बाद आरोपी ने पकड़े जाने के डर से खुद अपने आप को उसी समय गोली मार ली, और इलाज के दौरान उसकी भी मौत हो गई। नेहा के हत्यारे का नाम बलविंदर सिंह है। वह पंजाब के बठिंडा का निवास है। वह रोपड़ में कैमिस्ट शॉप चलाता था।

डॉ नेहा शौरी पंजाब में ड्रग इंस्पेक्टर के पोस्ट पर तैनात थीं। कुछ साल पहले उन्होंने कुछ फार्मेसी आउटलेट्स पर छापा मारा था और प्रतिबंधित नशीली दवाओं की बिक्री के लिए बलविंदर सिंह का लाइसेंस रद्द कर दिए थे।

गौरतलब है कि पंजाब में ड्रग्स के नशे की चपेट में लगभग 90 प्रतिशत युवा आबादी बहुत बुरी तरह फंसी हुई है। दो साल पहले हुए पंजाब विधानसभा चुनाव के वक़्त भी ड्रग्स की नशाखोरी एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनी थी और सूबे में सत्ता परिवर्तन हुआ था।

पंजाब पिछले कुछ सालों में नशीले पदार्थों का हब बनकर रह गया है। 2011 में लगभग 135 किलो, 2012 में 288.125 किलो, 2013 में 322.11 किलो, 2014 में लगभग 350 किलो ड्रग्स पकड़े गए थे। पांच साल में यहां से पकड़ी गई ड्रग्स की कीमत 6000 करोड़ से ज्यादा है। अफीम, भुक्की से शुरू हुआ सिलसिला हेरोइन, स्मैक, कोकीन, सिंथेटिक ड्रग, आईस ड्रग जैसे महंगे नशे में तब्दील हो चुका है। हालात ये हैं कि नशे की वजह से कई घर उजड़ गए, कई बुजुर्गों ने अपने जवान बेटों की लाशों को कंधा दिया, नपुंसकता की वजह से कई घर टूट गए।

नेहा शौरी की हत्या पर प्रतिक्रिया देते हुए पंजाब पुलिस से निष्पक्ष जांच करने की मांग करते हुए पंजाब में कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने ट्वीट किया कि इस मामले की तुरंत जांच हो और इंसाफ मिलना चाहिए पंजाब पुलिस।'

नेहा शौरी हत्याकांड पर आला पुलिस अधिकारी हरचरण सिंह भुल्लर कहते हैं, 'जांच में सामने आया है कि घटना 10 साल पुरानी रंजिश के कारण हुई है। पुलिस इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है।'

नेहा शौरी की हत्या के बाद पंजाब में विपक्षी अकाली दल और आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस सरकार का विरोध किया और आरोप लगाया कि राज्य में कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। अधिकारी भी अपने ऑफिस के अंदर सुरक्षित नहीं हैं।

संबंधित खबर : नशीली दवा मिलने पर कैमिस्ट का लाइसेंस रद्द किया तो ऑफिस में घुसकर कर दी महिला ड्रग इंस्पेक्टर की हत्या

मारी गई ड्रग इंस्पेक्टर नेहा शौरी के भाई निशांत शौरी ने अपनी बहन की हत्या में कॉन्ट्रैक्ट किलिंग की आशंका जताई है। निशांत ने आरोप है कि जिस तरह से उनकी बहिन की हत्या की गई उससे ऐसा लगता है कि इस घटना में उनके डिपार्टमेंट के भी उच्चाधिकारी भी शामिल हो सकते हैं, क्योंकि 29 मार्च को नेहा ऑफिस में निर्धारित समय से काफी लेट गईं थीं। वह जैसे ही सीट पर बैठीं, उसके कुछ ही देर में हत्यारोपी उनके कैबिन में कैसे पहुंच गया और कुछ ही पलों में उसने उनपर ताबड़तोड़ फायर कैसे कर दिए।

नेहा के परिजन उनकी हत्या को इसलिए भी साजिश करार दे रहे हैं, क्योंकि हत्याकांड की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों ने उनसे कहा था कि हत्यारोपी मानसिक तौर पर ठीक नहीं था। नेहा के पिता रिटायर्ड कैप्टन कैलाश शौरी का कहना है जब बलविंदर की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी तो उसको प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा रिवॉल्वर का लाइसेंस कैसे जारी कर दिया।

नेहा के भाई निशांत का आरोप है कि नेहा के हत्यारे ब​लविंदर को तकरीबन 20 दिन पहले रिवॉल्वर लाइसेंस जारी किया गया, जबकि देश में आदर्श आचार चुनाव संहिता लागू हो चुकी है। ऐसे समय में तो पुलिस और प्रशासन जिनके पास हथियार हैं उन्हें भी जमा करवा लेती है, फिर हत्यारोपी को कैसे लाइसेंस दे दिया गया और उसके हथियार को क्यों नहीं जमा करवाया गया।

गौरतलब है कि पाकिस्तान से सटे इलाके तरनतारन, अमृतसर, फिरोजपुर, फाजिल्का से सबसे ज्यादा नशे के मामले आ रहे हैं। इसके अलावा बठिंडा, मानसा, संगरूर और मुक्तसर भी नशे से प्रभावित हैं। अफगानिस्तान से पाकिस्तान और फिर पंजाब से कनाडा, अमेरिका तक तस्करी में कई राजनीतिक दलों के नेताओं के नाम भी सामने आए हैं।

इनमें सबसे ज्यादा चर्चित नाम उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के साले व कैबिनेट मंत्री बिक्रम मजीठिया का रहा, जबकि 2013 में ड्रग रैकेट का पर्दाफाश होने के बाद गिरफ्तार किए गए पूर्व एशियाड खिलाड़ी और अर्जुन अवार्डी जगदीश भोला ने कैबिनेट मंत्री मजीठिया पर गंभीर आरोप लगाए। पूर्व अकाली जेल मंत्री सरवण सिंह फिल्लौर को तो इस्तीफा तक देना पड़ा था, क्योंकि उनके बेटे यूथ अकाली नेता दमनवीर सिंह पर तस्करों के साथ संबंधों का आरोप लगा था।

भाजपा नेता अविनाश चंद्र और कांग्रेस नेता राजा वड़िंग पर भी आरोप लगे। पंजाब पुलिस के आईजी परमराज सिंह उमरानंगल पर भी जांच चल रही है। कई मंत्री, विधायकों से ईडी भी पूछताछ कर चुकी है। दो साल से ईडी जांच चल रही है, लेकिन अभी तक रिजल्ट जीरो है। ईडी के एक असिस्टेंट डायरेक्टर निरंजन सिंह ने जब निष्पक्ष जांच शुरू की तो उनका ट्रांसफर कर दिया गया। बाद में हाईकोर्ट में मामला जाने के बाद सरकार ने रोक लगा दी। 2013 से अब तक डेढ़ लाख युवा नशे का इलाज कराने ड्रग एडिक्शन सेंटर आ चुके हैं। इसमें दो फीसदी लड़कियां शामिल हैं जो 15 से 26 साल के बीच की हैं।

एक अनुमान के मुताबिक पंजाब में करीब 8.6 लाख लोग ड्रग्स लेते हैं। जबकि 2.3 लाख लोगों को इसकी लत है। इनमें से 89% पढ़े-लिखी युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में हैं। भारी जनाक्रोश के चलते वर्ष 2013-14 में करीब 17 हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया था। जबकि 338 तस्करों की 80 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी वर्ष 2014 में जब्त की गई थी।

अकाली दल भाजपा सरकार के कृषि मंत्री तोतासिंह, जोकि धर्मकोट विधानसभा, गांव दोलेवाला चिट्‌टा (एक प्रकार का ड्रग्स) बेचने में बदनाम है। यहां 800 के करीब घर हैं और 890 के करीब नशा तस्करी की एफआईआर है। गांव के 31 लोग बड़े स्मगलर हैं, जिन पर 164 नशा तस्करी के केस हैं। 70 महिलाएं नशे के कारोबार में जेल जा चुकी हैं। शायद ही पंजाब की कोई जेल हो, जिसमें इस गांव के लोग नशे के केस में बंद न हों। यहां की महिला सरपंच गुरमीत कौर का पति निर्मल सिंह निम्मा खुद कुख्यात तस्कर है, और जेल में है। जबकि पूर्व सरपंच रणजीत सिंह भोला तक हेरोइन तस्करी में जेल काट रहा है।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक सरहद पार पाकिस्तान से हेरोइन की तस्करी में बीएसएफ के हवलदार और इंस्पेक्टर रैंक के कई अधिकारियों की मिलीभगत रहती है। पैसों के लालच में किसान भी तस्करी में शामिल होने लगे हैं। इन्हीं के माध्यम से हेरोइन भारत में पहुंचती है। फेंसिंग पार जमीन को कई किसान खेती कम और हेरोइन की तस्करी के लिए ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। बीएसएफ व पुलिस ने जितने भी हेरोइन तस्कर पकड़े हैं, ज्यादातर की आयु 20 से 23 साल के बीच है। नौजवान इस धंधे को इसलिए अपनाते हैं कि बॉर्डर क्षेत्र में सरकार ने औद्योगीकरण भी ध्यान नहीं दिया है। बेरोजगारी बहुत है। नौजवानों को आराम की जिंदगी जीने के लिए हेरोइन की तस्करी से आसान कोई धंधा नजर नहीं आता है।

कई किसानों ने फेंसिंग पार की जमीन खेती करने के नाम पर ली है, लेकिन इसकी आड़ में पाकिस्तान से हेरोइन, हथियार व जाली करेंसी की तस्करी करते हैं। इससे उन्हें ज्यादा मुनाफा होता है। हेरोइन को भारत में लाने के लिए किसान कई हथकंडे अपनाते हैं। सीमावर्ती गांव में अधिकतर किसान व ग्रामीण पाकिस्तानी तस्करों के संपर्क में हैं।

फिरोजपुर में छावनी की ग्वाल मंडी, लाल कुर्ती, बस्ती टैंकावाली, बस्ती शेखां वाली, बस्ती निजामद्दीन, भट्टियां वाली बस्ती में नशीले पदार्थ का धंधा चल रहा है। पुलिस यहां छापामारी नहीं करती है। ग्वाल मंडी में नशा, जुआ, सट्टा का धंधा चलता है। यहां पर एक नेता का समर्थन होने के कारण पुलिस छापामारी नहीं करती है। इसके अलावा गांव बजीदपुर में भी सरेआम नशा मिलता है। यहां के तस्करों को भी राजनीतिक समर्थन है। पुलिस यहां भी छापामारी नहीं करती है।

स्पष्ट जाहिर है ड्रग तस्करी के धंधे में नेता, पुलिस, सेना अर्द्धसैनिक बल सब इनवॉल्व हैं। ईमानदार अधिकारी के बतौर जानी जाने वाली ड्रग इंस्पेक्टर नेहा शौरी द्वारा सख्ती करने से सबकी दुकानें बंद हो गई थीं। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं चूंकि चुनाव नजदीक है तो ऐसे में युवा मतदाताओं को मुफ्त ड्रग्स देकर प्रभावित करने और ड्रग्स के पासे का इस्तेमाल चुनाव में करने के लिए संभव है कि नेहा शौरी को रास्ते से हटाने के लिए ये हत्या करवाई गई हो।

समाज और देश के भविष्य को बचाने के लिए अपनी जान गंवाने वाली नेहा शौरी की बहादुरी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी हमारे सशस्त्र बलों और पुलिस बलों की। ये लोग देश को अंदर से सुरक्षित करते हैं। वे हमारे समाज, हमारे युवाओं, हमारे लोगों की रक्षा करते हैं।

Next Story

विविध