लॉकडाउन में फंसे हंगरी के साइक्लिस्ट का लैपटॉप से लेकर पर्स तक सबकुछ हुआ चोरी

Update: 2020-05-31 04:30 GMT

लॉकडाउन में दो माह से छपरा सदर अस्पताल में फंसे विक्टर का पासपोर्ट, मोबाइल, लैपटॉप और पैसे तो चोरी हुए ही, उन्हें ढंग का खाना और सुविधा भी नहीं मिल रही है। वे लगातार निराशा और हताशा के दौर से गुजर रहे हैं...

जनज्वार, छपरा। हंगरी से दुनिया की यात्रा पर निकले एक युवा ने सोचा भी नहीं होगा कि वह लॉकडाउन में बिहार के छपरा में फंस जायेगा और उसके जिंदगी के अनुभव उसे रुलाकर रख देंगे। पिछले 2 महीने में पासपोर्ट, मोबाइल, लैपटॉप और पैसे चोरी होने के बाद विक्टर छपरा के एक अस्पताल में हैं।

स्पताल में अच्छा भोजन न मिलने और गंदगी से खिन्न हो सोशल मीडिया पर लगातार वह अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं, जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरत हो रहे हैं।

विक्टर जिको एक एक बार साइकिल से यहां से भाग भी गये थे, मगर पर पुलिस ने फिर लाकर उन्हें अस्पताल में रख दिया है।

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वैसे तो कहा जाता है कि भारत में 'अतिथि देवो भव' वाली परंपरा है, मगर हंगरी के विक्टर जिको के लिए यह बात बेमानी हो गई है। लॉकडाउन में दो माह से छपरा सदर अस्पताल में फंसे विक्टर का पासपोर्ट, मोबाइल, लैपटॉप और पैसे तो चोरी हुए ही, उन्हें ढंग का खाना और सुविधा भी नहीं मिल रही है। वे लगातार निराशा और हताशा के दौर से गुजर रहे हैं।

विक्टर का क्वेरेन्टीन पीरियड कब का पूरा हो चुका है, कोरोना जांच भी हो चुकी है। स्थानीय प्रशासन द्वारा उनकी समस्या को राज्य व केंद्र तक पहुंचाया जा चुका है, मगर दो माह में भी नतीजा सिफर है। पिछले सप्ताह वे बिना किसी को बताए अपनी साइकिल लेकर निकल भागे थे, पर किसी अन्य जिले में पुलिस ने उन्हें रोककर फिर छपरा सदर अस्पताल में रख दिया। सोशल मीडिया के माध्यम से पता चलने पर बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने दो दिन पूर्व वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग से बात कर उन्हें मदद का भरोसा दिया है।

पिछले 2 महीने से छपरा के सदर अस्पताल में रखा गया है जिको विक्टर को ​बिहार प्रशासन ने

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गौरतलब है कि साइकिल से विश्व यात्रा पर निकले हंगरी के विक्टर 11 देशों की यात्रा के बाद लॉकडाउन में छपरा में फंस गए। वे छपरा होकर दार्जिलिंग जा रहे थे, तभी लॉकडाउन हो गया और उन्हें यहीं रोककर छपरा सदर अस्पताल में रख दिया गया। विक्टर की इस हज़ारों किलोमीटर की यात्रा का लक्ष्य दार्जिलिंग ही है।

श्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में एलेक्जेंडर सीसोम डी की कब्र है। एलेक्जेंडर सीसोम डी करीब 200 साल पहले भारत आये थे। हंगरी में उनकी एक भाषाविद के रूप में बड़ी प्रतिष्ठा है। कहा जाता है कि उन्हें करीब 13 भाषाओं का ज्ञान था। पहला तिब्बती-अंग्रेज़ी शब्दकोश एलेक्जेंडर सीसोम डी ने ही तैयार किया था। दार्जिलिंग में ही उनकी मृत्यु हुई थी। हंगरी से प्रत्येक वर्ष कुछ लोग आधिकारिक रूप से एलेक्जेंडर सीसोम डी की कब्र पर श्रद्धांजलि अर्पित करने आते रहे हैं।

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विक्टर ने करीब 10 महीने पहले अपनी इस यात्रा की शुरुआत की थी। उस समय दुनिया में कहीं नोवेल कोरोना वायरस का कोई संकट भी नहीं था। विक्टर 8 फरवरी को भारत पहुंचे थे।

विक्टर के चोरी गए सामान में से कुछ सामान पुलिस ने बरामद भी किया, पर विक्टर अब यहां से जाने की जिद पर अड़े गए हैं। अब अतिरिक्त पुलिस के जवान वार्ड के बाहर तैनात कर दिए गए हैं। हालांकि अस्पताल प्रशासन द्वारा उन्हें सुविधा उपलब्ध कराने की कोशिश की गई है, पर वो नाकाफी है। वह एक साइकिलिस्ट है और विदेशी हैं, लिहाजा उनका भोजन भी विशेष है, जो पिछले दो माह से विक्टर को नहीं मिल पा रहा।

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परा सदर अस्पताल की गंदगी और अव्यवस्था पहले भी मीडिया के माध्यम से कई बार जगजाहिर हो चुकी है, जिससे विक्टर आजिज आ चुके हैं। विक्टर कहते हैं अब उन्हें यहां किसी भी हाल में नहीं रहना है, उन्हें यहां से जाने दिया जाये।

विक्टर कहते हैं पिछले 65 दिनों से मेरे साथ एक कैदी जैसा बर्ताव किया जा रहा है, जैसे कि मैं कोई खतरनाक मु​जरिम हूं। लगातार यहां से निकाले जाने के लिए गुहार लगा रहा हूं, मगर कोई भी मेरी बात नहीं सुन रहा।

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हालांकि छपरा के कई होटलों को प्रशासन ने क्वारंटीन सेंटर घोषित किया है, जहां विक्टर को रखा जा सकता था या फिर पटना के होटल वाले क्वारंटीन सेंटर में रखा जा सकता था। विदेशी लोगों के लिए होटल में क्वारंटीन की सुविधा का प्रावधान भी है। विक्टर को हंगरी के दूतावास से संपर्क कर उसके लिए व्यवस्था करनी चाहिए थी, पर दो माह में इसके लिए कोई विशेष पहल नहीं ली गयी है।

क विदेशी नागरिक बिना किसी कसूर के सजा भुगत रहा है। विक्टर एक लेखक हैं और वे साइकिल से विश्व यात्रा कर अपने अनुभवों पर पुस्तक लिखने वाले हैं। सोचने वाली बात यह है कि भारत देश, बिहार और छपरा शहर के बारे में उनकी क्या राय बनी होगी।

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