बिहार सरकार के गेहूं खरीद के वादे का बीत गया एक महीना लेकिन छपरा के 16 प्रखंडों में नहीं खरीदा गेहूं
सारण के 20 में से 16 प्रखंडों में एक छटाक भी नहीं हुई गेहूं की सरकारी खरीद, सरकारी खरीद शुरू होने का एक माह गुजर चुका, बाजार की अपेक्षा सरकारी दर कम, पैक्स भी रुचि नहीं ले रहे...
जनज्वार ब्यूरो। सरकार द्वारा गेंहूं खरीद की निर्धारित दर बाजार से कम होने और पैक्सों के रुचि नहीं लेने से किसानों की गेंहूं बिक्री नहीं हो पा रही है। सारण जिला में सरकारी स्तर पर गेहूं खरीद की स्थिति कितनी लचर है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सोलह प्रखंडों में अबतक एक छटांक गेंहूं की भी खरीद नहीं हुई है।
जिले में कुल 20 प्रखंड हैं। इनमें से 16 प्रखंडों ने अभी तक एक छटांक भी गेहूं नहीं खरीदा। शेष चार प्रखंडों में भी जो खरीदारी हुई है वह उत्साहजनक नहीं है। यहां केवल 19 किसानों से मात्र 139 मैट्रिक टन गेहूं क्रय की गई है। उल्लेखनीय है कि विभाग द्वारा सरकारी स्तर पर गेहूं खरीद के लिए 226 पैक्स और 10 व्यापार मंडलों को अधिकृत किया गया है।
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जिले के किसानों का कहना है कि सरकारी दर बहुत कम है, फलस्वरूप लोग पैक्सों को गेहूं बेचना नहीं चाहते। सरकार ने 19.25 रुपये प्रति किलो दर निर्धारित किया है, जबकि खुले बाजार में 20 रुपये से अधिक दर पर इसे खरीदा जा रहा है।जिले के वर्तमान खरीद के आंकड़े बताते हैं कि बनियापुर प्रखंड में सबसे अधिक 8 किसानों से 73 मैट्रिक टन गेहूं की खरीदारी हुई। वहीं सबसे कम 9 मैट्रिक टन गेहूं दरियापुर प्रखंड में एकमात्र किसान ने विभाग को बेचा।
अमनौर में 5 किसानों के 28, 500 तथा मांझी में 5 किसानों से 27 मैट्रिक टन की खरीदारी हुई है। अमनौर में केवल 15 पैक्स जबकि बनियापुर में 22, दरियापुर में 15 और मांझी में 15 पैक्सों के अलावा एक-एक व्यापार मंडल भी खरीद के लिए अधिकृत हैं।
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किसानों का कहना है कि पैक्सों की इसमें कोई अभिरुचि नहीं है। इससे किसान खुले बाजार में अपना गेहूं बेच रहे हैं। कई पैक्स कम दर का रोना रो रहे हैं। सारण के डीसीओ नेसार अहमद कहते हैं कि लॉकडाउन में इस बार कटनी और दौनी भी प्रभावित हुआ है। इस कारण गेहूं क्रय पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है। विभाग लगातार खरीदगी बढ़ाने को प्रयासरत है। उम्मीद है कि आगे इसमें तेजी आएगी।