औरत अगर आंदोलनकारी है तो उसे सत्ता के साथ मर्दों की कुंठा से भी पड़ता है लड़ना
जेल में बंद महिला आंदोलनकारी सफूरा जरगर सफूरा गर्भवती हैं और उनके गर्भावस्था की दूसरी तिमाही चल रही है। उनके खिलाफ सोशल मीडिया पर कुछ यूजर अभद्र टिप्पणियों का इस्तेमाल कर रहे हैं...
नई दिल्ली। दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की 27 वर्षीय पी.एचडी शोध की छात्रा और आंदोलनकारी सफूरा जरगर को पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के लिए उनकी कथित भूमिका के चलते यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के तहत जेल में करीब तीन सप्ताह हो चुके हैं। सफूरा गर्भवती हैं और उनके गर्भावस्था की दूसरी तिमाही चल रही है। इस बीच सफूरा जरगर के नाम से बीते 72 घंटों से भी ज्यादा समय से ट्विटर पर सत्ता समर्थकों और सफूरा जरगर के समर्थक ट्रेंड चला रहे हैं।
आमतौर पर इस तरह की अभद्र टिप्पणियों को खबरों में लिखने से बचा जाता है लेकिन इस समय यह बेहद जरुरी है कि जैसा को तैसा पेश किया जाए ताकि तथ्यों की सच्चाई को समझा जा सके। कई ट्वीटर यूजर सफूरा जरगर के बेहद आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनकी गर्भावस्था और वैवाहिक जीवन की प्रकृति को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं जो उनकी निजी जिंदगी का हिस्सा है। कुछ ट्रोल्स 'सफूरा जरगर हुई बिना पति गर्भवती' ट्रेंड चला रहे हैं।
*अभी शाहीन बाग वाली शेरनी— राजेश कुमार bjp 🔥 जय श्री राम👆👆 (@Rajeshkumarbjp6)
सुनील शर्मा नाम का एक अन्य ट्वीटर हैंडल सवाल करता है कि सफूरा_जरगर को अपनी बहन बताने वाले यह क्यों नहीं बताते हैं, कि उनका बहनोई कौन है? क्योंकि सवाल बहन के होने का नहीं बल्कि सफूरा जरगर को प्रेग्नेंट कर, अदृश्य बहनोई के ना मिल पाने का था? सफुरा_जरगर_का_पति_कौन_है।
#सफूरा_जरगर को अपनी बहन बताने वाले यह क्यों नहीं बताते हैं, कि उनका बहनोई कौन है?क्योंकि सवाल बहन के होने का नहीं बल्कि सफूरा जरगर को प्रेग्नेंट कर, अदृश्य बहनोई के ना मिल पाने का था?#सफुरा_जरगर_का_पति_कौन_है
— सुनील शर्मा 🇮🇳 (#कोरोना_योद्धा) (@sunilsharma_ji) May 6, 2020
यही नहीं सफूरा जरगर के सहारे अन्य लोगों के लिए भी आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है। एक ट्रोल्स तो वरिष्ठ पत्रकार और सीपीआई नेता कन्हैया कुमार को सफूरा जरगर के साथ जोड़ते हुए आपत्तिजनक शब्दों का इस्ततेमाल करता है।
#कनैया_कुमार मामा बनने बाला है, जरूर ये #रविश_कुमार #कनैया_कुमार का जीजा होगा ,जिसने अविवाहित जामिया की लॉ की छात्रा #सफूरा_जरगर के पांव भारी कर दिये ..
लेकिन एक और दंगाई पैदा होगा , #बिना_पति_गर्भवती #सफूरा_जरगर #रवीश_कुमार_सफूरा_जरगर_के_बच्चे_का_बाप pic.twitter.com/JDNjMtrgtz
— पागल छोरी मस्त है 🙆 (@Paaaagal_chori)
?ref_src=twsrc^tfw">May 4, 2020
dgets.js" data-charset="utf-8">
वहीं कुछ अन्य यूजर्स ने भी सफूरा जरगर के खिलाफ दुष्प्रचार का अभियान छेड़ रखा है। फर्जी तस्वीरों को जारी कर उन्हें सफूरा जरगर की तस्वीर बताया जा रहा है। इस तरह के हजारों ट्वीट माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर पोस्ट किए गए हैं।
सफूरा जरगर का बर्गर 🍔 खा गया था फकबरशाहीन बाग की कुदरती औलाद से पता चल रहा है।
लेकिन अब समझ आया की रात को आकर सफूरा जरगर जैसों के साथ काम करके बिरयानी बाटने वाला कौन था?
— MUKESH CHAND YADAV (@mukeshyadav7894)
आखिर मिल ही गया शाहीन बाग की शेरनी#सफूरा_जरगर_हुई_बिना_पति_गर्भवती जरगर का एल्बमवो भी HD मे 😍 जिसे चाहिए कमेंट करे
<
हालांकि दूसरी ओर कुछ यूजर्स सफूरा जरगर के समर्थन में भी आए हैं और वे 'सफूरा जरगर मेरी बहन' ट्रेंड चला रहे हैं। ये यूजर्स सफूरा जरगर की शादी की तस्वीरें पोस्ट कर दुष्प्रचार करने वालों को जवाब दे रहे हैं।
It doesn't matter if a woman is married or not. How she chooses to conceive is her choice. A mother is a mother. It is a shame that right-wing trolls cannot even show respect for an expectant mother. Such attacks prove that the Gov, does not have a case against her#SafooraZargar— शिल्पा राजपूत ~ भारतीय 🇮🇳 (@Shilpa_Bhartiy)May 5, 2020
शबीना अदीब नाम के एक ट्वीटर हैंडल ने लिखा, 'सफ़ूरा ज़रगर तो बस एक बहाना है, इनका निशाना उन सभी औरतों पर है जो इस मुल्क में अपने दम पर आगे बढ़ना चाहती हैं, जो अच्छा पढ़ना चाहती हैं, कुछ अच्छा बनना चाहती हैं, आगे बढ़ना हर इंसान का हक़ है इसमें कोई रुकावट नहीं आनी चाहिए इसलिए मैं कहती हूँ, महिलाओं पर गंदे कमेंट करना बंद करो।
सफ़ूरा ज़रगर तो बस एक बहाना है, इनका निशाना उन सभी औरतों पर है जो इस मुल्क में अपने दम पर आगे बढ़ना चाहती हैं, जो अच्छा पढ़ना चाहती हैं, कुछ अच्छा बनना चाहती हैं, आगे बढ़ना हर इंसान का हक़ है इसमें कोई रुकावट नहीं आनी चाहिए इसलिए मैं कहती हूँ#StopDirtyCommentsOnWomen— Shabeena Adeeb (@ShabeenaAdeeb)
?ref_src=twsrc^tfw">May 5, 2020
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव गुलजेब अहम ने अपने ट्वीट में लिखा, 'मैं ये गर्व से कह सकता हूँ कि 'सफूरा_जरगर_मेरी_बहन_है' और इस वक़्त जब वो संविधान बचाने के लिए लड़ रही है तो उसके लिए ये पंक्तियाँ समर्पित हैं- "औरत हैं मगर सूरत-ए-कोहसार खड़ी हैं, एक सच के तहफ़्फ़ुज़ के लिए सबसे लड़ी हैं!'
मैं ये गर्व से कह सकता हूँ कि #सफूरा_जरगर_मेरी_बहन_है और इस वक़्त जब वो संविधान बचाने के लिए लड़ रही है तो उसके लिए ये पंक्तियाँ समर्पित हैं.,"औरत हैं मगर सूरत-ए-कोहसार खड़ी हैं.,
एक सच के तहफ़्फ़ुज़ के लिए सबसे लड़ी हैं.!"
(सूरत-ए-कोहसार - पहाड़ की तरह, तहफ़्फ़ुज़ - सुरक्षा)
— Gulzeb Ahmed : गुलज़ेब अहमद (@GulzebAhmed) May 6, 2020
यह पहली बार नहीं है जब किसी आंदोलन को दबाने के लिए महिला आंदोलनकारी को इस तरह की अभद्र टिप्पणियों का सामना करना पड़ा हो। हर दौर में ऐसा होता आया है कि आंदोलनकारी अगर औरत है तो उसे सत्ता के साथ मर्दों की कुंठा से भी पड़ता है। देश की आजादी का आंदोलन या सीएए विरोधी आंदोलन, महिलाएं हमेशा आगे रही हैं।
बीते कुछ साल पहले जब सीपीआईएमएल की नेता कविता कृष्णन ने 'फ्री सेक्स' को लेकर टिप्पणी की थी। कविता ने यह टिप्पणी महिला के अधिकारों और सहमति से सेक्स को लेकर की थी लेकिन इसका अर्थ बदलकर मर्दों ने उन पर अभद्र टिप्पणियां करनी शुरु कर दीं थीं।
दरअसल फेसबुक के एक पेज'द स्पॉइल्ट मॉडर्न इंडियन वुमन'पर 28 अप्रैल को कविता कृष्णन ने पोस्ट की थी। जिसमें लिखा था कि किस तरह एक टीवी डिबेट में सुब्रमण्यम स्वामी ने कविता कृष्णन को एक नक्सलवादी कहते हुए एक 'फ्री सेक्स' करने वाली औरत कहा था। 'नारीवादी इस पहल का मकसद लिंग आधारित छवि को तोड़ना है।' कविता कृष्णन ने अपने फेसबुक पेज पर यह कोट किया और इसके साथ ही 'फ्री सेक्स' को लेकर बहस शुरू हो गई थी। इस तरह के कई उदाहरण सामने हैं।
सफूरा जरगर के खिलाफ चल रहे दुष्प्रचार के अभियान के खिलाफ कुछ यूजर कार्रवाई की मांग भी कर रहे हैं लेकिन दिल्ली पुलिस की ओर से अभी तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई की खबर सामने नहीं आयी है।
I am short of words to express my disgust. @TwitterSafety@DelhiPolice@DCP_CCC_Delhi if u can't take action against these shameful trends and people then you are complicit. Commenting on a women's modesty in a country where women are worshipped as Devis. SHAME.— Nabiya Khan | نبیہ خان (@NabiyaKhan11) May 4, 2020
जरगर को 13 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने दावा कि वो 22-23 फरवरी को दिल्ली के जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे एक सीए-सीए विरोध और सड़क नाकाबंदी का आयोजन करने वालों लोगों में से एक थीं। गिरफ्तारी के समय वह 13 सप्ताह की गर्भवती थीं।
जरगर के वकील रितेश धर दुबे ने हाल में उन्हें जमानत दिए जाने की मागं की थी। उन्होंने दिल्ली की एक अदालत से कहा कि उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया गया है और एफआईआर में उनका नाम भी नहीं था। हालांकि कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी है। उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि वह तीन माह की गर्भवती हैं और सीआरपीसी की धारा 437 के प्रावधान को देखते हुए उन्हें जमानत पर रिहा किया जा सकता है।
वहीं इस पूरे मामले पर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। स्वाति मालीवाल ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लिखा, 'सफूरा जरगर गर्भवती है और जेल में है। वह दोषी है या नहीं, इसका फैसला अदालत करेगी। लेकिन जिस तरह से ट्रोलरों ने एक गर्भवती महिला का चरित्र हनन किया वह शर्मनाक है। ट्रोल्स के खिलाफ कार्रवाई करने हेतु दिल्ली पुलिस साइबर सेल को सूचना जारी है।'
#SafooraZargar is pregnant & in jail. Whether she is guilty or not, will be decided by court.But the way trolls have outraged her modesty and vilified a pregnant woman" s="" character="" is="" shameful!<="" p="">
#SafooraZargar is pregnant & in jail. Whether she is guilty or not, will be decided by court.
But the way trolls have outraged her modesty and vilified a pregnant woman" s="" character="" is="" shameful!<="" p="">Issued Notice to Delhi Police Cyber Cell to imm take action against the trolls.
— Swati Maliwal (@SwatiJaiHind) May 6, 2020
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने भी सफूरा जरगर की रिहाई की मांग की है। अपने ट्वीट में एमनेस्टी इंडिया ने लिखा, 'जामिया की शोध छात्रा सफूरा जरगर की उस समय गिरफ्तारी गई जब वह तीन महीने की गर्भवती थी। भारतत सरकार ने कोविड 19 के दौरान एक गर्भवती महिला को बेरहमी से गिरफ्तार किया और उसे एक भीड़भाड़ वाली जेल में भेज दिया।'
At the time of her arrest, Safoora Zargar, a research scholar at@jmiu_official, was 3 months pregnant.
The Government of India has ruthlessly arrested a pregnant woman and sent her to an overcrowded prison during #COVID19!
DEMAND HER RELEASE NOW: https://t.co/iJuOcDztsY pic.twitter.com/2sU7GmSslP
— Amnesty India (@AIIndia) May 1, 2020