दिल्ली में भाजपा की जितनी सदस्य संख्या, पार्टी को उतने भी नहीं मिले वोट
भाजपा के तमाम दावों के बावजूद वह मात्र 8 सीटों पर सिमट गयी, हालांकि भाजपा के वोट प्रतिशत में जरूर बढ़ोत्तरी हुई है, मगर असल सवाल यह है कि क्या भाजपाइयों ने भी आम आदमी पार्टी को वोट दिये...
जनज्वार। दिल्ली में हुए विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी 62 सीटों के साथ एक बार फिर सत्ता में आ गयी है। भाजपा के तमाम दावों के बावजूद वह मात्र 8 सीटों पर सिमट गयी, हालांकि भाजपा के वोट प्रतिशत में जरूर बढ़ोत्तरी हुई है। मगर असल सवाल यह है कि क्या भाजपाइयों ने भी आम आदमी पार्टी को वोट दिये।
गौरतलब है कि इस बार दिल्ली में भाजपा को 35.6 लाख वोट मिले हैं, जबकि पार्टी का दावा है कि उसके दिल्ली में 62.28 लाख सदस्य हैं। इसका मतलब कि भाजपा के सदस्यों ने भी उसे वोट नहीं किये, अगर उसे पूरे भाजपा सदस्यों के वोट मिल चुके होते तो शायद दिल्ली की सत्ता भाजपा की झोली में होती।
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भाजपा दिल्ली की सत्ता में वापसी के लिए 1998 से इंतजार कर रही है, लेकिन 21 सालों के लंबे अंतराल भी अभी दिल्ली भाजपा से बहुत दूर है, यह इस बार मतदाताओं ने साबित कर दिया है।
दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा के तमाम नेता-कार्यकर्ता अपनी चुनावी सभाओं के अलावा जगह-जगह यह प्रचारित कर रहे थे कि भाजपा के दिल्ली में 62.28 लाख सदस्य हैं, इसलिए उससे दिल्ली बहुत दूर नहीं है। शायद इसी अति उत्साह में भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी चुनाव परिणाम वाले दिन और उससे दो दिन पहले चुनावों वाले दिन दावा कर रहे थे कि हम दिल्ली अपने नाम करने जा रहे हैं। ट्वीटर पर तो मनोज तिवारी ने घोषणा कर डाली थी कि मेरा ट्वीट संभाल कर रखना कि हम दिल्ली फतह करने जा रहे हैं।
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भाजपा के दावों को सच मान लिया जाये तो इसका अर्थ है कि इस बार भाजपा के आधे से भी अधिक सदस्यों ने केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को वोट दिये हैं। न सिर्फ भाजपा बल्कि कांग्रेस द्वारा भी दावा किया जा रहा था कि उसके दिल्ली में 7 लाख से ज्यादा सदस्य हैं, मगर उसे भी मात्र 4 लाख वोट मिले, यानी उसके सदस्यों ने भी शायद उसे वोट न देकर अरविंद केजरीवाल को वोट किये हैं, नहीं तो ऐसा न होता कि कांग्रेस मात्र 4 लाख के आंकड़े तक सिमट जाती।
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पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा को मात्र 3 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जबकि इस बार 8 सीटों पर उसने जीत दर्ज की है। चुनावी प्रचार के दौरान 45 से अधिक सीटें जीतने का दावा करने वाली भाजपा का यह दावा सिर्फ कागजों में रहा, जबकि बिना दावों के केजरीवाल की पार्टी ने सुनामी की तरह एक बार फिर दिल्ली पर फतह हासिल कर ली।
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भाजपा के दावों के मुताबिक उसने 2015 में ही दिल्ली में 44,45,172 सदस्य बनाए थे, लेकिन तब भी उसे विधानसभा के चुनाव में महज 28,90,485 यानी 32.19 फीसदी वोट मिल पाए थे, जबकि आम आदमी पार्टी को 48,78,397 लगभग 54.34 फीसदी) वोट मिले थे।