जनज्वार एक्सक्लूसिव : झारखंड पुलिस ने 37 मोटरसाइकिलों पर दर्ज किया देशद्रोह का मुकदमा

Update: 2019-12-13 07:10 GMT

झारखंड के खूंटी जिले के थाने में 30,000 हजार आदिवासियों के अलावा 37 मोटरसाइकिलों पर दर्ज है राजद्रोह का मुकदमा...

अजय प्रकाश की ग्राउंड रिपोर्ट

जनज्वार। झारखंड के खूंटी जिले के इलाकों में बीते साल 2018 पत्थलगढ़ी आंदोलन चला था। इस आंदोलन के बाद से करीब 30 हजार आदिवासियों के खिलाफ राजद्रोह के मामले दर्ज हैं। इसके अलावा रांची के आसपास के इलाकों में 20 लोगों के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है। वहीं इस मामले में झारखंड पुलिस ने 37 मोटरसाइकिलों के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है।

खूंटी के थाने में भारतीय दंड सहिंता की धारा 147, 148, 149, 341, 342, 323, 324, 325, 109, 1114, 124 (A), 153 (A), 295 (A), 186, 353, 290, 307, 120 (B) और आर्म्स एक्ट के तहत 2500-300 'अज्ञात' लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।

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खूंटी के सह थाना प्रभारी रमेश प्रसाद रमक की ओर से दर्ज मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि 26 जून 2018 की शाम 3.55 बजे पुलिस के जवान सुबोध कुमार, सिझोन सुरोन और विनोद केरकेहा को अपहृत किया गया और उनके हथियार लूटे गए।

फआईआर में राजेंद्र प्रसाद ने आगे लिखा गया है कि तोरपा के थाना प्रभारी अमित तिवारी सशस्त्र बलों के साथ 7 बजे घाघरा गांव जाने वाले रास्ते में अनिडाढ़ा मोड़ के पास पहुंचे, वहां पहले से ही खूंटी थाने के उपायुक्त और खूंटी के पुलिस अधीक्षक रविंद्र कुमार गगराई, प्रतिनियुक्त दण्डाधिकारी महिला और पुरुष सशस्त्र बल के साथ मौजूद थे। इसके बाद उपायुक्त व पुलिस अधीक्षक और दण्डाधिकारी के नेतृत्व में गांव घाघरा के लिए प्रस्थान किया। जैसे ही बजे घाघरा गांव से 200 सौ मीटर पहले कच्ची सड़क पर पहुंचा तो घाघरा गांव की तरफ से लगभग 2800 की संख्या में महिला, पुरूष और बच्चे तीर धनुष, गुलेल, पत्थर, लाठी और देशी आग्नेयशस्त्र से लैश होकर पत्थलगढ़ी के स्वयंभू यूसुफ पूर्ति, जॉन जुनास लिहु और बलराम सामद के नेतृत्व में रास्ता रोक लिया।

फआईआर के मुताबिक इसके बाद आदिवासियों ने कहा हमारी ग्राम सभा सर्वोपरि है। हम भारत सरकार और भारत के संविधान को नहीं मानते हैं। जब तक भारत के राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट के जज, राज्य के राज्यपाल और मुख्य सचिव ग्रामसभा में नहीं आते हैं तब तक कोई वार्ता नहीं होगी और बंधकों को भी नहीं छोड़ा जाएगा। इस पर प्रतिनियुक्ति दण्डाधिकारी रविंद्र कुमार गगराई के आदेश पर मेगा फोन से बार-बार हिंदी और मुंडारी भाषा में अनुरोध किया गया कि आप लोग हमारे अपहृत जवानों और उनसे लूटे गए हथियारों को सुरक्षित वापस कर दें तो हम लोग भी वापस चले जाएंगे। इस पर यूसुफ पूर्ति ने कहा कि ग्रामसभा ने फैसला किया है कि अपहृत जवानों को वापस नहीं किया जाएगा।

फआईआर में आगे राजेंद्र प्रसाद ने आगे कहा, इसके बाद उपायुक्त खूंटी द्वारा ग्रामीणों को संविधान के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया और संविधान में निहित प्रावधानों को मेगा फोन से पढ़कर बताया गया तथा मुंडारी भाषा में भी समझाया गया, परंतु बार-बार समझाने के बाद बावजूद युसूफ पूर्ति और उनके सहयोगी नहीं माने। इसी क्रम में रात हो जाने के कारण उसी जगह उपरोक्त सभी वरिष्ठ पदाधिकारी और सशस्त्र बल कैम्प में गए। 27 जून 2018 की सुबह पांच बजे प्रशासन ने यूसुफ पूर्ति एवं उनके सहयोगियों से वार्ता का प्रयास किया और उनसे अनुरोध किया कि अपहृत जवानों और लूटे गए हथियारों को सुरक्षित वापस कर दें।

Full View की ओर से दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी द्वारा मेगाफोन से हिंदी और मुंडारी भाषा में कई बार चेतावनी दी गई कि आपके मजमे को नाजायज करार दिया जता है, इसलिए आप लोग यथाशीघ्र यहां से तितर-बितर हो जाएं अन्यथा आपके विरूद्ध नियमानुसार कानूनी कार्रवाई की जाएगी जिसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे। लेकिन पत्थलगढ़ी समर्थक और उग्र हो गए और देश -भारतीय संविधान के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। पत्थलगढ़ी समर्थक यूसुफ पूर्ति ने ग्रामीण महिलाओं, बच्चों, पुरुषों के साथ ललकारते हुए पुलिस बल पर हमला कर दिया।

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फआईआर में आगे कहा गया, वहां मौजूद दंडाधिकारियों और पुलिस पदाधिकारियों द्वारा दोबारा चेतावनी दी गई कि आप लोगों का मजमा नाजायज करार दिया जाता है, इसलिए यथाशीघ्र वापस जाएं और हमारे पुलिस जवानों को मुक्त करें। फिर भी लोग नहीं माने। फिर सुबह लगभग नौ बजे एक बार फिर एकजुट होकर तीर-धनुष, गुलेल, पत्थरों, तलवार और देशी आग्नेयशस्त्रों से सुरक्षा बलों पर हमला कर दिया जिसमें कई पुलिसकर्मी और अन्य लोग चोटिल हो गए। स्थिति की भयावहता को देखते हुए दंडाधिकारी रविंद्र कुमार द्वारा हल्का बल प्रयोग करने का आदेश दिया गया।

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