लॉकडाउन से उत्तराखंड में फूलों के उद्योगों को भारी नुकसान, फूलों को कचरे के रूप में डंप कर रहे उत्पादक

Update: 2020-04-30 15:16 GMT

उत्तराखंड फ्लोरीकल्चर एसोसिएशन के अध्यक्ष मनमोहन भारद्वाज बताते हैं कि लॉकडाउन और सार्वजनिक समारोहों पर पाबंदी के कारण शादियां रद्द हो रही हैं और साथ ही सरकारी कामकाज भी नहीं हो रहे हैं, तो एक भी फूल नहीं बेचा जा रहा है। फूलों को केवल कचरे के रूप में डंप किया जा रहा है...

जनज्वार ब्यूरो। हरिद्वार जिले के बुग्गावाला इलाके में एक पॉलीहाउस में एक दर्जन से अधिक कर्मचारी दो लाख से अधिक फूलों को तोड़ रहे हैं, फिर उन्हें लाद रहे हैं और फिर उनकी नजदीकी इलाकों के कचरे के रुप में डंपिंग कर रहे हैं। 24 मार्च को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के बाद से यह उनका रूटीन बन गया है।

हालांकि यह सब गुरुवार से बदलने जा रहा है। जब पॉलीहाउस पूरी तरह से बंद हो जाएगा तो इसे मालिक मनमोहन भारद्वाज वित्तीय नुकसान को कम करने और अपने कर्मचारियों के भुगतान को जारी रखने के लिए अपने कर्मचारियों को मशरुम की खेती में रुपांतरित करने का फैसला किया है। इसके अलावा देहरादून में पिछले सप्ताह के तूफान के दौरान पॉलीहाउस को नुकसान हुआ और मरम्मद की लागत दो लाख रुपये तक जा सकती है। लॉकडाउन के कारण मरम्मत के कर्मचारी भी उपलब्ध नहीं हैं।

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भारद्वाज उत्तराखंड के फ्लोरीकल्चर एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। वह 60,000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में जरबेरा के फूल उगाते हैं और दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बाजारों में आपूर्ति करते हैं। हर साल, अप्रैल और मई के महीनों में उसका उत्पादन और कमाई बढ़ती है क्योंकि फूल की वृद्धि के लिए मौसमअनुकूल होता है और यह शादी का भी मौसम होता है।

Full View बताते हैं, 'अप्रैल और मई में मुझे शादी समारोहों और फूलों की वृद्धि के कारण लगभग 50 प्रतिशत वार्षिक व्यापार मिलता था। अब चूंकि लॉकडाउन और सार्वजनिक समारोहों पर पाबंदी के कारण शादियां रद्द हो रही हैं और साथ ही सरकारी कामकाज भी नहीं हो रहे हैं, तो एक भी फूल नहीं बेचा जा रहा है। फूलों को केवल कचरे के रूप में डंप किया जा रहा है। पॉलीहाउस, कीटनाशक और उर्वरक के रखरखाव पर खर्च से बचने के लिए मैंने 30 अप्रैल से पॉलीहाउस बंद करने का फैसला किया है।'

पयुक्त तापमान की वजह से इन महीनों में फूलों का उत्पादन लगभग 25 प्रतिशत बढ़ जाता था और शादी समारोहों में सजावट की मांग में वृद्धि के बाद कीमतें बढ़ जाती थीं। उत्तराखंड में राज्य सरकार ने लॉकडाउन के दौरान विवाह समारोहों की अनुमति देने का फैसला किया है, लेकिन दूल्हा और दुल्हन के प्रत्येक पक्ष से केवल पांच ही व्यक्तियों की अनुमति के शामिल होने की अनुमति है। राज्य सरकार के अनुमानों के मुताबिक, उत्तराखंड में वार्षिक फूलों की खेती का कारोबार 250 करोड़ रुपये का है।

त्तराखंड बागवानी विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2018-19 में 3017 मीट्रिक टन फूल 1562 हेक्टेयर क्षेत्र में उगाए गए थे। लगभग 85 प्रतिशत उत्पादन हरिद्वार, देहरादून, उधम सिंह नगर और नैनीताल के चार जिलों में किया जाता है। कोरोनावायरस पॉजिटिव मामलों की अधिकतम संख्या की रिपोर्ट के बाद इन चार जिलों में लॉकडाउन के नियमों को सख्ती से लागू किया जा रहा है।

भारद्वाज का कहना है कि उत्तराखंड चार लाख वर्ग मीटर क्षेत्र में सजावटी फूल उगाता है और तालाबंदी से पहले अन्य राज्यों को प्रतिदिन कम से कम दो लाख फूलों की आपूर्ति करता था। राज्य के मैदानी क्षेत्रों में लिली, गुलाब, गेरबेरा, हैप्पीओलस फूल उगाए जाते हैं जबकि अनुकूल जलवायु के कारण मसूरी और नैनीताल की पहाड़ियों में कार्नेशन उगाए जाते हैं। लॉकडाउन के बाद उत्तराखंड से फूलों की आपूर्ति दिल्ली में गाजीपुर मंडी, राजस्थान के जयपुर और लखनऊ, सीतापुर, मुरादाबाद और सहारनपुर के बाजारों में बंद हो गई है, जहां लॉकडाउन के बाद सभी दुकानें बंद हैं।

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देहरादून के विकास नगर क्षेत्र में अपने 12,000 वर्ग मीटर के पॉलीहाउस में लिली और ग्लैडियोलस उगाने वाले नरेंद्र तोमर कहते हैं कि वह पिछले साल अप्रैल और मई के महीनों में प्रति दिन 12 लाख रुपये के फूलों की आपूर्ति कर रहे थे। तोमर कहते हैं, 'आय के बिना पॉलीहाउस के सेट को बनाए रखना एक कठिन काम है। पौधों पर कीटनाशक स्प्रे और सिंचाई की देखभाल करने के लिए केवल कुछ कर्मचारी सदस्य आ रहे हैं।' तोमर ने कहा कि फूलों को तोड़कर कचरे में फेंक दिया जा रहा है।

Full View इंडियन एक्सप्रेस' से बात करते हुए कृषि और बागवानी मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि उन्होंने इस मामले को भारत सरकार के समक्ष उठाया है। उन्होंने कहा, 'राज्य सरकार लॉकडाउन अवधि के दौरान बाजार की अनुपलब्धता के कारण फूल उत्पादकों को हुए नुकसान का मूल्यांकन करने के लिए एक सर्वेक्षण कर रही है। सर्वेक्षण के निष्कर्षों के आधार पर, राज्य सरकार किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार को लिखेगी। साथ ही राज्य सरकार मुख्यमंत्री राहत कोष से उत्पादकों को कुछ मदद प्रदान करने का प्रयास करेगी।'

सके अलावा इस महीने शुरू होने वाली चार धाम यात्रा भी लॉकडाउन के कारण प्रभावित है। पहाड़ियों में उगाए जाने वाले गुलाब और गेंदा की मांग भी कम रहने की संभावना है जिससे स्थानीय लघु किसानों को नुकसान होगा।

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